ट्विटर पर छाए गुजरात के ‘अनार दादा’

jenabhai

लखनऊ। लोगों को एक-दूसरे से जोड़े रखने वाली सोशल वेबसाइट फेसबुक और ट्विटर पर आजकल ‘अनार दादा’ चर्चा में हैं। अनार दादा गुजरात के एक ऐसे किसान हैं, जिन्होंने अपंगता को कभी अपनी राह का रोड़ा नहीं बनने दिया। अनार की खेती में नए आयाम स्थापित करने के वाले 52 वर्षीय जेनाभाई पटेल अब एक बड़ा नाम बन चुके हैं।

जेनाभाई न केवल किसानों के लिए बल्कि दिव्यांगों के लिए भी एक मिसाल हैं। उन्हें हाल ही में पदमश्री अवार्ड के लिए चुना गया है। इसी के चलते वह ट्विटर के ‘सेल्यूट टू फार्मर्स’ और ‘दिव्यांग’ नाम के दो पेजों पर छाए हुए हैं। पदम अवार्ड को लेकर उत्साहित जेनाभाई उत्तरी गुजरात में बनासकांठा जिले में अनार की खेती करते हैं। उनके दोनों पैरों में पोलियो है, बावजूद इसके उनकी लगन में कोई कमी नहीं आई।

उन्होंने 2005 में अनार की खेती को लेकर नए प्रयोग करने शुरू किए। जेनाभाई ने नई तकनीकों को अपनाया और ऐसा अनार तैयार किया जो पूरी तरह से ऑर्गेनिक है। यानी इस अनार की खेती में किसी प्रकार के रासायनिक कीटनाशकों का प्रयोग नहीं किया। इतना ही नहीं उन्होंने कम से कम पानी और बिजली की मदद से यह फसल तैयार की। खाद के रूप में यूरिया की बजाए उन्होंने गौमूत्र और गोबर का प्रयोग किया।

जेनाभाई बताते हैं कि उन्हें वर्ष 2003-2004 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा आयोजित कृषि महोत्सव से प्रेरणा मिली। उस वक्त मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री थे। उन्होंने ड्रिप इरीगेशन तकनीक के इस्तेमाल से पांच हेक्टेयर भूमि में अनार की फसल उगाई। आज उनके पास 12 हेक्टेयर में अनार की खेती है। इस काम में उनके भाई और बेटा मदद करते हैं।

पिछले साल दिसंबर में बनासकांठा आने पर मोदी ने जेनाभाई के काम की काफी सराहना की थी। उन्होंने कहा था कि जेना जी चल नहीं सकते, लेकिन वह एक अच्छे किसान हैं। जेनाभाई वार्षिक तौर पर 25 लाख रुपये की अनार की फसल उगाते हैं। आज जेनाभाई गुजरात के किसानों के लिए प्रेरणा बन चुके हैं। उनकी देखादेखी यहां के हजारों किसान भी अनार की खेती करने लगे हैं। उन्होंने बताया गुजरात ही नहीं पड़ोसी राज्य राजस्थान के किसान भी उनसे मिलने आते हैं। उन्हें गुजरात और राजस्थान के कई अवार्ड मिल चुके हैं। इतना ही नहीं जेनाभाई आईआईएम अहमदाबाद के छात्रों को लेक्चर देकर अनार की खेती करना बता चुके हैं।

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