कोच्चि (आईएएनएस)। देश के मत्स्यपालन क्षेत्र में कृषि के अन्य उपक्षेत्रों की तुलना में बीमा कवरेज का स्तर खराब है। यह जानकारी सेंट्रल मरीन फिशरीज रिसर्च इंस्टीट्यूट (सीएमएफआरआई) के शोध में सामने आई है।
सीएमएफआरआई के शिनोज पाराप्पुराथु ने यह भी कहा कि मत्स्यपालन क्षेत्र पर केंद्र या राज्य स्तर से बहुत कम ध्यान दिया जाता है। इसमें समुद्री मछुआरों के दुर्घटना जोखिम सीमित हैं। इसके साथ ही केरल सहित मछली पकड़ने वाली नौकाओं व मछुआरों की तटवर्ती संपत्तियों के नुकसान का कवर देश भर में सीमित स्तर पर किया जाता है।
उन्होंने रविवार को एक विज्ञप्ति में कहा, “इसके अलावा देश में जोखिमों के लिए कोई बीमा नीति नहीं है। इस तरह से बड़े स्तर पर मछली प्रजातियों में गिरावट, समुद्री पिंजरों का नुकसान, मछली उत्पादन में नुकसान व फार्म की संरचनाओं का नुकसान हुआ है।”
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इस शोध को 14 मत्स्यपालन केंद्रों केरल, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, गुजरात व ओडिशा व केरल व तमिलनाडु के मत्स्यपालन किसानों के बीच किया गया। इसके लिए बीमा कंपनियों के पास से सूचनाएं जुटाई गईं व सरकारी विभागों ने भी शोध का विश्लेषण किया।
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