नयी दिल्ली। किसानों के लिए एक बड़ी खुशखबरी। सरकार ने यूरिया सब्सिडी की अवधि बढ़ाकर वर्ष 2020 तक करने तथा उवर्रक सब्सिडी के वितरण के लिए प्रत्यक्ष लाभ अंतरण (डीबीटी) योजना के क्रियान्वयन के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी।
किसानों को यूरिया सांविधिक रूप से नियंत्रित कीमत 5,360 रुपए प्रति टन पर उपलब्ध है। किसानों को उर्वरक आपूर्ति की लागत और अधिकतम खुदरा मूल्य( एमआरपी) के बीच अंतर का भुगतान सब्सिडी के रूप में विर्निमाताओं को किया जाता है।
यूरिया सब्सिडी वर्ष 2018-19 में 45,000 करोड़ रुपए रहने का अनुमान है। इस साल यह 42,748 करोड़ रुपए रही।
ये भी पढ़ें- गोवंश तो बढ़े लेकिन देशी खाद नहीं: गोबर की जगह किसान धड़ल्ले से कर रहे हैं यूरिया-डीएपी का इस्तेमाल
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में मंत्रिमंडल की आर्थिक मामलों की समिति (सीसीईए) ने कहा, यूरिया सब्सिडी योजना जारी रहने से किसानों को सांविधिक रूप से नियंत्रित मूल्य पर पर्याप्त मात्रा में यूरिया की आपूर्ति सुनिश्चित करने में मदद मिलेगी।
बयान के अनुसार यूरिया सब्सिडी तीन साल के लिए यानी वर्ष 2020 तक बढ़ाई गई है। इस पर 1,64,935 करोड़ रुपए की लागत आने का अनुमान है। सामान्य रूप से उर्वरक मंत्रालय सालाना आधार पर यूरिया सब्सिडी की मंजूरी लेता है लेकिन इस बार तीन साल के लिये मंजूरी ली गई है।
इसके अलावा सीसीईए ने उर्वरक सब्सिडी वितरण के लिये प्रत्यक्ष लाभ अंतरण( डीबीटी) के क्रियान्वयन को भी मंजूरी दे दी। इसका मकसद सब्सिडी चोरी पर लगाम लगाना है।
उर्वरक विभाग देशभर में उर्वरक क्षेत्र में प्रत्यक्ष लाभ अंतरण को लाने की प्रक्रिया में है। प्रत्यक्ष लाभ अंतरण से किसानों को आर्थिक सहायता के साथ उर्वरक की बिक्री से उर्वरक कम्पनियों को शत-प्रतिशत भुगतान सुनिश्चित हो सकेगा। अत: यूरिया सब्सिडी योजना जारी रखने से उर्वरक क्षेत्र में प्रत्यक्ष लाभ अंतरण योजना का आसानी से कार्यान्वयन हो सकेगा।
यूरिया सब्सिडी 1 अप्रैल, 2017 से उर्वरक विभाग की केन्द्रीय क्षेत्र की योजना का हिस्सा है और बजटीय सहायता से सरकार पूरी तरह से इसका वित्तीय प्रबन्ध करती है। यूरिया सब्सिडी योजना जारी रहने से यूरिया निर्माताओं को समय पर सब्सिडी का भुगतान सुनिश्चित हो सकेगा। इसके परिणामस्वरूप किसानों को समय पर यूरिया उपलब्ध होगा। यूरिया सब्सिडी में आयातित यूरिया सब्सिडी शामिल है, जो देश में यूरिया की निर्धारित मांग और उत्पादन के बीच की खाई को पाटने के लिए आयात को सुधारने की तरफ संचालित है। इसमें देश में यूरिया को लाने-ले जाने के लिए माल भाड़ा सब्सिडी भी शामिल है।
रसायन उर्वरक ने खाद्यान्न उत्पादन में देश को आत्मनिर्भर बनाने में एक अहम भूमिका निभाई है और यह भारतीय कृषि के विकास के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान करते हैं। निरन्तर कृषि विकास और संतुलित पोषक प्रयोग के लिए यूरिया वैधानिक नियंत्रित मूल्य पर किसानों को उपलब्ध कराया जाता है जिसका मूल्य इस समय 5360/- रुपए प्रति मीट्रिक टन (नीम कोटिंग के लिए केन्द्रीय/राज्य कर और अन्य शुल्कों को हटाकर) है। खेत पर पहुंचाए गए उर्वरक के मूल्य और किसान द्वारा भुगतान किए गए अधिकतम खुदरा मूल्य के बीच का अन्तर सरकार द्वारा उर्वरक निर्माता/आयातक को दी जाने वाली सब्सिडी के रूप में दिया जाता है।
इस समय 31 यूरिया निर्माण इकाईयां हैं जिनमें से 28 यूरिया इकाईयां प्राकृतिक गैस (रसोई गैस/एलएनजी/सीबीएम का इस्तेमाल कर रही हैं) का इस्तेमाल फीडस्टॉक/ईंधन के रूप में और शेष तीन यूरिया इकाईयां नाप्था का इस्तेमाल फीडस्टॉक/ईंधन के रूप में कर रही हैं।
कृषि व्यापार से जुड़ी सभी बड़ी खबरों के लिए यहां क्लिक करके इंस्टॉल करें गाँव कनेक्शन एप
इनपुट भाषा
फेसबुक पेज को लाइक करने के लिए यहां, ट्विटर हैंडल को फॉलो करने के लिए यहां क्लिक करें।