शहद की शुद्धता बताएगा एक कीट, शोध जारी
Sanjay Srivastava 2 Feb 2018 5:25 PM GMT

नई दिल्ली। अब जल्द ही एक कीट के जरिए आप ये पता लगा सकेंगे कि शहद शुद्ध है या अशुद्ध। बाजार में शहद की मांग बढ़ रही है पर उपलब्ध शहद में अक्सर मिलावट की आशंका रहती है। मिलावटी शहद की समस्या से बचने के लिए वैज्ञानिक एक कीट विकसित कर रहे हैं जो जल्द ही बाजार में उपलब्ध हो जाएगा।
कृषि मंत्री राधामोहन सिंह ने आज राज्यसभा में प्रश्नकाल के दौरान मिलावटी शहद की समस्या और शहद के विपणन की सुविधाएं उन्नत करने संबंधी पूरक प्रश्न के मौखिक जवाब में यह जानकारी दी।
बाजार में मिलावटी शहद की भारी मात्रा में हो रही बिक्री को रोकने के तृणमूल कांग्रेस के मनीष गुप्ता के सवाल के जवाब में कृषि मंत्री ने कहा हमारे वैज्ञानिक एक कीट विकसित करने में लगे हैं जिससे शहद की गुणवत्ता की जांच हो सके।
स्वास्थ्य और परिवार कल्याण राज्यमंत्री अश्विनी कुमार चौबे ने लोकसभा में एक प्रश्न के जवाब में बताया कि देश में वर्ष 2016-17 के दौरान खाद्य मिलावट के 16,659 मामले सामने आए जिसमें सर्वाधिक 5663 मामले उत्तर प्रदेश के थे। वर्ष 2015-16 के दौरान देशभर में खाद्य मिलावट के 16133 मामले सामने आए थे।
कृषि मंत्री राधामोहन सिंह ने कहा कि मधुमक्खी पालन और शहद उत्पादन के प्रोत्साहन के लिए गठित राष्ट्रीय बोर्ड (एनबीबी) और राष्ट्रीय बागवानी बोर्ड, खादी ग्रामोद्योग बोर्ड की तरफ से शहद उत्पादकों को प्रशिक्षण एवं अन्य प्रकार की मदद दी जा रही है।
कृषि मंत्रालय के अनुसार देशभर में दो लाख मधुमक्खी पालक हैं और मधुमक्खियों की 20 लाख कॉलोनियां हैं। पूरे देश में प्रतिवर्ष 80 हज़ार टन शहद का उत्पादन होता है और 1000 करोड़ रुपए मूल्य के शहद का निर्यात किया जाता है। पहली बार देश में मधुमक्खी पालन को बढ़ावा देने के लिए केन्द्र सरकार ने राष्ट्रीय मधुमक्खी बोर्ड को 10 करोड़ की राशि दी है।
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उन्होंने कहा कि जहां तक शहद के विपणन का सवाल है तो सरकार ने दिल्ली में मदर डेयरी के साथ करार किया गया है। इसके तहत दूध उत्पादकों से दूध के एकत्रीकरण की तर्ज पर शहद उत्पादकों से शहद लेने के काम को जोड़ा गया है। इसे आगे बढ़ाने के लिए अन्य राज्यों से भी बात की जा रही है जिससे शहद उत्पादक वाजिब दाम पर अपना शहद बेच सकेंगे।
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