केरल में काजू की करीब 850 फैक्टरियां बंद, ढाई लाख मजदूर बेरोजगार, 90 फीसदी महिलाएं बेकार

New Delhi

नई दिल्ली। केरल में पिछले एक साल में काजू की करीब 850 फैक्टरियां बंद हो चुकी हैं, जिनमें काम कर रहे ढाई लाख मजदूर बेरोजगार हो गए हैं। केरल देश में काजू उत्पादन करने वाले चौथा सबसे बड़ा राज्य है। काजू फैक्टरियों में काम करने वाले मजदूरों में 90 फीसदी से ज्यादा महिलाएं हैं। फैक्टरियां बंद हो जाने से बेकार हुए मजदूरों का जीवन-निर्वाह बेहद कठिन हो गया है।

राज्य विधानसभा में विपक्ष के नेता रमेश चेन्निथला ने इस मुद्दे को उठाते हुए हाल ही में कहा कि राज्य में 850 काजू फैक्टरियां बंद हो चुकी हैं, मगर मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन महज दावा करते हैं कि सरकार काजू उद्योग को पुनर्जीवित करने के लिए कार्य कर रहे हैं।

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उन्होंने कहा, “अधिकतर काजू फैक्टरियां बदहाल हैं। निजी क्षेत्र की करीब 800 फैक्टरियों को सरकार से समर्थन की जरूरत है।”

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विपक्ष के सवालों का जवाब देते हुए विजयन ने विधानसभा में कहा कि कच्चे माल की उपलब्धता नहीं होने के कारण फैक्टरियां बंद हुई हैं। उन्होंने कहा, “हम अफ्रीकी देशों के एक समूह के साथ इसके लिए बात कर रहे हैं ताकि वहां से कच्चे माल की निरंतर उपलब्धता सुनिश्चित हो। साथ ही केरल काजू बोर्ड गठित किया गया है जो राज्य में काजू उद्योग की स्थिति पर नियंत्रण रखेगा।”

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राज्य सरकार द्वारा गठित केरल राज्य काजू विकास कॉरपोरेशन के व्यवसायिक प्रबंधक वी. शाजी ने बताया, “राज्य में पिछले एक साल के दौरान काजू की करीब 850 से ज्यादा फैक्टरियां बंद हुई, जिसमें करीब ढाई लाख से ज्यादा मजदूर काम करते थे। इनके बंद होने के पीछे सरकार द्वारा कच्चे माल पर लगाया गया 9.3 फीसदी आयात शुल्क और निर्यात प्रेरक (इंसेंटिव) में बढ़ोत्तरी मुख्य कारण हैं। कच्चे माल की कमी भी एक बड़ी समस्या है।”

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वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) और नोटबंदी के असर पर सवाल के जवाब में उन्होंने बताया, “जीएसटी और नोटबंदी से पहले ही ये फैक्टरियां बंद हो चुकी थीं। जीएसटी में काजू पर पांच फीसदी कर का प्रावधान है, जबकि पहले लगने वाला वैट भी पांच ही फीसदी था।”

उन्होंने कहा, “काजू उद्योग से सरकार को करीब 275 करोड़ रुपए का राजस्व प्राप्त होता है। जिसे बचाने के लिए सरकार ने कदम भी उठाए हैं।”

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शाजी ने बताया, “सरकार ने काजू उद्योग को बचाने के लिए आयात शुल्क में कमी कर दी है। जहां पहले यह 9.3 फीसदी था इसे कम कर 2.5 फीसदी कर दिया गया है। निर्यात प्रेरक पांच फीसदी कर दिया गया है। इसके अलावा दूसरे देशों से कच्चे माल के लिए बातचीत की जा रही है।” उन्होंने कहा, “ऐसा अनुमान है कि काजू उद्योग के हालात एक से दो महीनों में फिर से ठीक हो जाएंगे।”

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इनपुट आईएएनएस

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