नई दिल्ली (भाषा)। गर्मी के मौसम की बुवाई से पहले कृषि मंत्रालय ने तुअर दाल के थोक बिक्री मूल्य में भारी गिरावट को रोकने और किसानों के मनोबल को उंचा रखने के लिए इसके आयात शुल्क को 10 से बढ़ाकर 20 प्रतिशत करने का प्रस्ताव किया है।
एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने कहा, मौजूदा आयात शुल्क का घरेलू दरों पर कोई प्रभाव नहीं है, जो न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से कम बनी हुई हैं। हमने वित्त मंत्रालय को लिखा है कि आयात की खेप को रोकने के लिए आयात शुल्क को बढ़ाकर 20 प्रतिशत किया जाए।
अधिकारी ने कहा कि जुलाई से शुरू होने वाले खरीफ (गर्मी) रोपाई सत्र वर्ष 2017-18 से पहले किसानों को सही मूल्य संकेतक देना महत्वपूर्ण है क्योंकि यह उनके मनोबल को बढ़ाएगा और उन्हें दलहन उगाने के लिए प्रेरित करेगा। इन दलहनों को मुख्यत: सीमांत से उप सीमांत भूमि में वर्षा सिंचित परिस्थिति में उगाया जाता है।
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तुअर दाल पर 28 मार्च को आयात शुल्क लगाया गया था, क्योंकि अगले महीने समाप्त होने जा रहे फसल वर्ष 2016-17 के लिए इसका थोक बिक्री मूल्य 5,050 रुपए प्रति क्विंटल के न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से नीचे चला गया था। इस साल 42.3 लाख टन के बंपर उत्पादन की वजह से इसकी कीमतों पर दबाव है, 2015-16 यह 25.6 लाख टन था।
भारत दुनिया में दलहन का सबसे बड़ा उत्पादक देश है, देश में कुल 2.2 करोड़ टन के दलहन उत्पादन में तुअर दाल का योगदान 15 प्रतिशत का है।