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आम लोगों को मिले सस्ता प्याज, इसके लिए सरकार ने उठाया यह कदम

प्याज की कीमतों को नियंत्रित करने के लिए सरकार ने छूट के साथ आयात करने की समय सीमा को 15 दिसंबर से बढ़ाकर 31 जनवरी 2021 कर दिया है।
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सरकार ने प्याज की घरेलू आपूर्ति बढ़ाने और खुदरा कीमतों को नियंत्रित करने के लिए शर्तों में छूट के साथ आयात की समय सीमा बढ़ा दी है। अब अगले साल 31 जनवरी 2021 तक प्याज का आयात हो सकेगा।

प्याज के आयात के लिए सरकार ने 31 अक्टूबर को आयात नियमों में छूट देने का ऐलान किया था। इसके तहत वनस्पति संगरोध आदेश (पीक्यू) 2003 के तहत ध्रुमीकरण और पौधों से संबंधित यानी फाइटोसैनिटरी प्रमाणन पर अतिरिक्त घोषणा से छूट दी गई थी। यह छूट 15 दिसंबर तक दी गई थी। अब सरकार ने इसे बढ़ाकर 31 जनवरी तक कर दिया है।

एक विज्ञप्ति जारी कर कृषि मंत्रालय ने कहा है कि बाजारा में प्याज की ऊंची कीमतों को लेकर आम लोगों में चिंता है। इसके देखते हुए आयात नियमों में दी गई ढील को बढ़ाकर 31 जनवरी 2021 ता किया जा रहा है। हालांकि यह छूट कुछ शर्तों के साथ दी गई है। भारत आने वाली खेप की जांच की जाएगी और कीटमुक्त होने पर ही प्याज को बाजार में भेजा जायेगा। जांच में कमी पायेगी तो खेप वापस कर दी जायेगी।

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मंत्रालय ने यह भी कहा है कि आयातकों से यह शपथपत्र भी लिया जायेगा कि आयातित प्याज सिर्फ उपभोग के लिए है। इसे स्टोर नहीं किया जायेगा। और अगर ऐसा नहीं होता तो पीक्यू (Plant quarantine) आदेश-2003 के तहत आयात की शर्तों का अनुपालन नहीं करने पर चार गुना अतिरिक्त निरीक्षण शुल्क नहीं लगाया जाता है।

इधर बाजार में प्याज की आवक पहुंचने से कीमतों में धीरे-धीरे गिरावट भी आ रही है, लेकिन अभी ज्यादातर बड़े शहरों में प्याज की खुदरा कीमत 35 से 50 रुपए प्रति किलो है। एक महीने पहले यह कीमत 60-70 रुपए प्रति किलो थी।

नई दिल्ली की आजादपुर मंडी के कारोबारी और ऑनियन मर्चेंट एसोसिएशन के अध्यक्ष राजेंद्र शर्मा ने गांव कनेक्शन को फोन पर बताया, “प्याज की कीमत धीरे-धीरे कम हो रही है। नई प्याज की आवक भी बढ़ी है दूसरे देशों से भी प्याज आ रहा है। ऐसे में आने वाले 15 दिनों में कीमतों में और गिरावट आयेगी।”

महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, कर्नाटक जैसे प्याज उत्पादक राज्यों में बारिश की वजह से प्याज की फसलें बर्बाद होने कली वजह इस साल प्याज की कीमतों में काफी तेजी देखी गई। इसे देखते हुए ही केंद्र सरकार ने प्याज के निर्यात पर भी रोक लगा दी थी।

पुणे में स्थित प्याज एवं लहसुन अनुसंधान निदेशालय (ICAR – DOGR) के अनुसार देश में सबसे अधिक प्याज उत्पादन महाराष्ट्र में होता है, उसके बाद कर्नाटक, गुजरात, बिहार, मध्य प्रदेश और आंध्र प्रदेश जैसे राज्य आते हैं। महाराष्ट्र के नाशिक, अहमदनगर, पुणे, धुले, शोलापुर जिले में किसान प्याज की खेती करते हैं।

राष्ट्रीय बागवानी अनुसंधान एवं विकास प्रतिष्ठान के आंकड़ों के अनुसार, महाराष्ट्र में लगभग 507.96(‘000 ha) क्षेत्रफल में प्याज की खेती और 8854.09 (‘000 MT) प्याज का उत्पादन होता है।

भारत दुनिया में चीन के बाद दूसरा सबसे बड़ा प्याज उत्पादक देश है। कृषि उत्पादों के निर्यात पर नजर रखने वाली सरकारी एजेंसी एपीडा के मुताबिक देश में प्याज की फसल दो बार आती है। पहली बार नवम्बर से जनवरी तक और दूसरी बार जनवरी से मई तक। महाराष्ट्र में सबसे ज्यादा प्याज होता है करीब 30 प्रतिशत। इसके बाद कर्नाटक 15 प्रतिशत उत्पादन के साथ दूसरे स्थान पर है। फिर आता है मध्य प्रदेश, राजस्थान और गुजरात का नंबर। 2015-16 में देश में 2.10 करोड़ टन प्याज का उत्पादन हुआ था। वहीं 2016-17 में करीब 1.97 करोड़ टन।

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