लखनऊ। राजस्थान में कपास के एक प्रकार नरमा की सरकारी खरीद में आढ़त को लेकर शुरु हुई हड़ताल से प्रदेश की करीब ढाई सौ मंडियों में कामकाज ठप है। एक सितंबर से शुरु हुई हड़ताल का आज तीसरा दिन है।
राजस्थान खाद्य पदार्थ व्यापार संघ के अध्यक्ष बाबूलाल गुप्ता ने समाचार भाषा एजेंसी को बताया कि राज्य की सभी 247 मंडियों में काम बिलकुल ठप है और कोई कारोबारी गतिविधि नहीं हो रही। उन्होंने कहा कि इस दौर में यह हड़ताल पांच सितंबर तक रहेगी। इसके बाद आगे का कार्यक्रम बनेगा। आढ़तिए केंद्र सरकार द्वारा नरमे की सरकारी खरीद में व्यापारियों को आढ़त नहीं देने के फैसले से नाराज चल रहे हैं।
गुप्ता ने कहा कि राज्य में 247 मंडियों के साथ-साथ बड़ी संख्या में तेल मिलें, दाल मिलें व आटा मिलें हैं। सरकार के इस फैसले से राज्य के 25,000 आढ़त व्यापारी ही बेरोजगार नहीं होंगे, बल्कि इससे उन पर नर्भिर साढ़े सात लाख अन्य लोगों की रोजी-रोटी पर भी संकट आएगा।
संघ की मांग है कि उनकी आढ़त न केवल बहाल की जाए बल्कि उसे दो प्रतिशत से बढ़ाकर ढाई प्रतिशत किया जाए। ऑफ सीजन के कारण मंडियों में पहले ही जिंसों की काफी कम थी, रही सही कसर इस हड़ताल ने पूरी कर दी है। हड़ताल के चलते राज्य की सभी मंडियों में एक तरह का सन्नाटा पसरा रहा।
स्थानीय मीडिया रिपोर्ट के अनुसार हड़ताल लंबी चलती है तो शहरों के किराना बाजार पर असर पड़ेगा। दैनिक भास्कर की एक ख़बर के मुताबिक उदयपुर संभाग की सबसे बड़ी सबीना मंडी से हड़ताल से संभाग की किराना दुकानों पर रोजाना 60-70 टन अनाज सप्ली होता था। जबकि गुजरात, मध्य प्रदेश और भी यहां से माल सप्लाई होता था, जो हड़ताल के चलते प्रभावित है।
मंडी कर्मचारी 32 मांगों को लेकर केंद्र सरकार के खिलाफ मोर्चा खोले हुए हैं। कर्माचारियों का कहना है 5 सितंबर तक मांगे न मानी गईं तो अनिश्चित कालीन हड़ताल होगी। आम लोगों पर फिलहाल इसका असर नजर नहीं आ रहा है।
अखिल भारतीय किसान सभा के प्रदेश अध्यक्ष प्रेमा राम ने गांव कनेक्शन को बताया कि हड़ताल का किसान पर सीधा असर नहीं है और इसमें भागी भागीदारी भी नहीं है। क्योंकि फसलों का कोई सीजन नहीं है। किसान को जिंस बेचने मंडी आ नहीं रहा, इसलिए हड़ताल का ज्यादा प्रभाव नहीं है।