एमएसपी पर गेहूं-धान खरीद- पिछले साल से 16 फीसदी ज्यादा धान की खरीद

न्यूनतम समर्थन मूल्य पर पिछले साल पूरे देश में 5 सितंबर तक 889.62 लाख मीट्रिक टन धान की खरीद हुई, जिससे किसानों को 1,67,960.77 करोड़ रुपए मिले। वहीं 18 अगस्त तक पूरे देश में 433.44 लाख मीट्रिक टन गेहूं की खरीद की गई थी, जबकि पिछले साल का आंकड़ा 389.93 एलएमटी था।
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नई दिल्ली। देश के ज्यादातर राज्यों में नए सीजन के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य पर अक्टूबर से धान की खरीद शुरु होने वाली है। इसी बीच सरकार ने वर्तमान खरीफ 2020-21 के लिए आंकड़े जारी किए हैं, जिसके मुताबिक 130.47 लाख किसानों से 1,67,960.77 करोड़ रुपये के धान की खरीद हुई है।

उपभोक्‍ता कार्य, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक पांच सितंबर 2021 तक देश में 889.62 लाख मीट्रिक टन से अधिक धान की खरीद हुई, जिसमें खरीफ फसल का 718.09 एलएमटी और रबी का 171.53 लाख मीट्रिक टन शामिल है। जबकि पिछले साल यानि 2019-20 में समान अवधि में 764.39 लाख मीट्रिक टन धान की खरीद हुई थी, इस वर्ष हुई खरीद 16 फीसदी ज्यादा है। धान की खरीद खरीफ विपणन सत्र 2019-20 में पिछले उच्च स्तर 773.45 लाख मीट्रिक टन को पार करते हुए अब तक के उच्चतम स्तर पर पहुंच चुकी है।

धान खरीद

सरकार के आंकड़ों के मुताबिक धान के साथ गेहूं खरीद में रिकॉर्ड कायम किया गया है। वर्तमान रबी विपणन सत्र 2021-22 के लिए गेहूं खरीद पूरी हो चुकी है। 18 अगस्त 2021 तक 433.44 लाख मीट्रिक टन गेहूं की खरीद की गई थी (जो कि अब तक की खरीद का सबसे उच्चतम स्तर है, क्योंकि इसने आरएमएस 2020-21 के पिछले उच्च स्तर 389.93 लाख मीट्रिक टन गेहूं की खरीद हुई थी), जबकि बीते साल की इसी समान अवधि में 389.93 लाख मीट्रिक टन गेहूं खरीदा गया था।

केंद्र सरकार के आंकड़ों के मुताबिक करीब 49.20 लाख किसानों से एमएसपी पर गेहूं खरीदकर उन्हें 85603.57 करोड़ रुपये का भुगतान किया जा चुका है।

गेहूं खरीद का आंकड़ा

 

गेहूं धान के अलावा सरकारी आंकड़ों के मुताबिक फसल वर्ष 2020-21 के लिए (जिसमें खरीफ 2020-21 और रबी 2021 तथा ग्रीष्म सत्र 2021 शामिल हैं) 5 सितंबर 2021 तक सरकारी एजेंसियों के द्वारा 11,99,713.15 मीट्रिक टन दलहन और तिलहन की खरीद एमएसपी मूल्यों पर की गई है। इस खरीद से तमिलनाडु, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, गुजरात, उत्तर प्रदेश, तेलंगाना, हरियाणा, ओडिशा और राजस्थान के 7,02,368 किसानों को 6,742.51 करोड़ रुपये का भुगतान किया गया है।

खरीफ विपणन सत्र (केएमएस) 2021-22 की फसल की आवक जल्द ही होने की उम्मीद है। कर्नाटक राज्य से प्राप्त प्रस्ताव के आधार पर केएमएस 2021-22 के दौरान मूल्य समर्थन योजना (पीएसएस) के तहत 40,000 मीट्रिक टन दालों की खरीद के लिए मंजूरी प्रदान की गई थी। यदि अधिसूचित फ़सल अवधि के दौरान संबंधित राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में बाजार की दरें एमएसपी से नीचे चली जाती हैं, तो राज्य की नामित ख़रीद एजेंसियों के माध्यम से केंद्रीय नोडल एजेंसियों द्वारा इन राज्यों तथा केंद्र शासित प्रदेशों को मूल्य समर्थन योजना (पीएसएस) के अंतर्गत दलहन, तिलहन और खोपरा फसल की खरीद के प्रस्तावों की प्राप्ति पर भी मंजूरी दी जाएगी, ताकि पंजीकृत किसानों से वर्ष 2021-22 के लिए अधिसूचित किये गए न्यूनतम समर्थन मूल्य पर सीधे इन फसलों के एफएक्यू ग्रेड की खरीद की जा सके।

विपणन सत्र 2021-22 के लिए तमिलनाडु से 51000 मीट्रिक टन खोपरा खरीदने की मंजूरी दी जा चुकी है और 5 सितंबर तक तमिलनाडु में 36 किसानों को लाभान्वित करते हुए 0.09 करोड़ रुपये के एमएसपी मूल्य वाले 8.30 मीट्रिक टन खोपरा की खरीद की गई है।

धान की खरीद शुरु होने से पहले विवाद

खरीफ विपणन सत्र 2021-22 में धान की खरीद शुरु होने से पहले विवाद शुरु हो गया है। केंद्र सरकार ने धान खरीद खासकर धान कुटाई (मिलर्स) के लिए नियमों में बदलाव किया है। जिसका पंजाब में जोरधार विरोध हो रहा है। पंजाब के मिलर्स ने खरीद से किनारा करने का ऐलान किया है तो मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह पीएम तक को खत लिख चुके हैं।

धान खरीद के नए मापदंडों के मुताबिक गुणवत्ता को लेकर कई बदलाव किए हैं। अब सरकारी एजेंसियां सिर्फ 20 फीसदी टूटे चावल खरीदेंगी जबकि पहले ये 25 था। इसके अलावा नमी की मात्रा घटाकर 15 से 14 कर दी गई है। साथ ही क्षतिग्रस्त अनाज का प्रतिशत 3 से घटाकर दो किया गया है। लाल अनाज की मात्रा भी 2 फीसदी की गई है।

इसके अलावा मंडियों में भी धान की खरीद घटाकर 17 से 16 फीसदी की गई है। क्षतिग्रस्त अनाज, मुरझाए, अंकुरित आदि का प्रतिशत 5 से घटाकर 3 किया गया है। जिसका विरोध हो रहा है।

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