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किसानों के लिए सुरक्षित है मेंथा पेराई की ये आधुनिक टंकी  

uttar pradesh

स्वयं कम्युनिटी जर्नलिस्ट

विशुनपुर (बाराबंकी)। मेंथा पेराई के सीजन के दौरान आए दिन टंकी फटने से दुर्घटना होती रहती है। केवल बाराबंकी जिले में बीते दिनों में मेंथा टंकी फटने से तीन लोगों को मौत हो गई और दर्जनों लोग घायल हुए। ऐसे में आधुनिक टंकी मेंथा पेराई के दौरान होने वाली दुर्घटनाओं को रोकने में वरदान सिद्ध हो रही है।

मेंथा पेराई के दौरान हो रही दुर्घटनाओ को कम करने के लिये एग्री विजनेस सिस्टम इंटरनेशनल ने एक ऐसी संशोधित मेंथा टंकी का निर्माण किया है, जिससे मेंथा पेराई के दौरान होने वाली दुर्घटनाओ पर अंकुश लगाया जा सकता है।

बाराबंकी मुख्यालय से 25 किमी उत्तर फतेहपुर ब्लाक के इसरौली गाँव में पुरानी जोखिम भरी टंकियों की जगह एग्रीविजनेस सिस्टम इंटरनेशनल ने मेंथा पेराई की आधुनिक इकाई लगाई है। इस इकाई में टंकी में लगे प्रेशर और टेम्प्रेचर मीटर के साथ पेराई के आधुनिक सिस्टम ने दुर्घटना का रिस्क कम कर दिया है। वहीं किसानों के औसत मेंथा आयल के में भी वृद्धि हुई है।

पिपरमिंट की निराई करता किसान।

इसके तहत इसरौली में करीब एक दर्जन मेंथा उत्पादक किसानों को अच्छी प्रजाति की मेंथा जड़ें उपलब्ध कराने के साथ ही गाँव के ही सुशील वर्मा को आधुनिक तकनीक की मेंथा पेराई की इकाई भी उपलब्ध करायी गयी है।इ काई पर लगी आधुनिक टंकियों पर किसान अब निर्भय होकर अपनी मेंथा की पेराई कर रहे हैं। किसान सुशील वर्मा (45 वर्ष) बताते हैं, “पहले मैं देशी तकनीक की टंकी से पिपरमेंट तेल निकालता था। उन टंकियों में टेम्परेचर और प्रेशर का आंकलन नहीं हो पता था, जिससे हर समय भय बना रहता था। पहले एक बार आसवन के समय टंकी फट भी चुकी है, जिससे तेल निकालने के समय किसान भयभीत रहते थे। अब इस आसवन इकाई में लगी टंकी में प्रेशर और टेम्प्रेचर मीटर के साथ ही कुकर की तरह वाल्ब भी लगी है। जो अधिक प्रेशर होने पर खुल कर भाप को बाहर कर देती है।”

सुशील आगे बताते हैं, “इस प्लांट में पेराई के सेपरेटर को भी आधुनिक तकनीक से बनाया गया है, जिससे गर्म पानी की निकासी और ठंडे पानी की सप्लाई पानी की टंकी से होती है। इस तकनीक से टंकी से आसवित मेंथा आयल की मात्रा का औसत भी बढ़ जाता है और किसान निश्चिन्त होकर अपने तेल का आसवन कर रहे हैं

सुशील वर्मा बताते हैं कि वह किसानों को खेत से मेंथा लाने से लेकर भराई और निकासी सहित सारी सुविधाएं किसानों को उपलब्ध कराते हैं। इसके बदले में किसानों से प्रति टंकी 600 ग्राम मेंथा आयल लिया जाता है।

कंपनी के मैनेजर अमित कुमार सिंह ने बताया, “कंपनी द्वारा पूरे बाराबंकी जिले में 10 से 12 मेंथा पेराई की टंकिया लगाई गई है। हमारी कम्पनी नान प्रॉफिट के आधार पर काम करती है। इसमें गरीब किसानों को कम्पनी मुफ्त में मेंथा की जड़े उपलब्ध कराती है। फिर जब तक फसल तैयार नही हो जाती कंपनी फसल की देखभाल करती है।कम्पनी का प्रमुख उद्देश्य मेंथा की पैदावार बढ़ाना है, जिससे किसानों का मेंथा के प्रति कम हो रहे रुझान को रोका जा सके।

क्या आप जानते हैं, मेंथा के ठंडे-ठंडे तेल के लिए किस अग्निपरीक्षा से गुजरता है किसान, देखिए वीडियो

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