पंजाब 10 नवंबर से छोटी और 11 नवंबर से कई बड़ी मंडियों में धान की खरीद बंद हो जाएंगी। राज्य सरकार ने राज्य सरकार ने केंद्र द्वारा निर्धारित 170 लाख मीट्रिक टन धान खरीद सीमा को देखते हुए कई खरीद केंद्रों को बंद करने का फैसला लिया है। लेकिन पंजाब के किसान और किसान नेता इसके विरोध में उतर आए हैं। इसके अलावा पंजाब सरकार के इस फैसले पर सियासत भी शुरु हो गई है। किसान नेताओं का कहना है अभी तक बड़े पैमाने पर धान की फसल किसानों के खेत में ही लगी है।
पंजाब के खाद्य, नागरिक आपूर्ति और उपभोक्ता मामले मंत्री भारत भूषण आशू ने 9 नवंबर को ट्वीटर पर लिखा, प्रदेश में “173 लाख मीट्रिक टन धान कल (8 नवंबर) को ही मंडियों में आ चुका था। यह अपेक्षित आगमन का लगभग 95% कवर करता है। अन्य राज्यों से आने वाले धान की फर्जी खरीद और बिक्री रोकने के लिए मंडियों को अगले 3 दिनों के लिए चरणबंद तरीके से बंद किया जा रहा है। हालांकि, बाद में भी, किसी भी वास्तविक किसान को उचित सत्यापन के बाद भी अपनी उपज बेचने का अवसर दिया जाएगा। आइए खरीद प्रक्रिया को भ्रष्ट करने के किसी भी प्रयास को विफल करने के लिए हाथ मिलाएं।
173 Lakh MT had already arrived in the Mandis yesterday and procured in a very smooth manner. This covers almost 95% of the expected arrival. In an attempt to check bogus purchases and sale of paddy sown in other states. 1/2
— Bharat Bhushan Ashu (@BB__Ashu) November 9, 2021
किसान नेता सिंगारा सिंह मान ने गांव कनेक्शन से कहा, “मंडियों में खरीद बंद करने का फैसला बहुत अफसोसजनक है। अभी तो बहुत कम धान बिका है। अगर अभी खरीद बंद हुई तो किसानों को प्राइवेट व्यापारी के हाथों औने-पौने दाम में बेचना पड़ेगा।”
भठिंडा से फोन पर वो आगे कहते हैं, “पहले मौसम ने किसानों को काफी नुकसान किया है। फिर एक अक्टूबर से हमारी मांग के अनुसार सरकार खरीद नहीं शुरु कर पाई। अब समय से पहले मंडियां बंद की जा रही हैं, किसानों का चौतरफा नुकसान है।”
अकाली दल के नेता और पूर्व डिप्टी सीएम सुखवीर सिंह बादल ने राज्य सरकार को घेरते हुए ट्वीट किया, “पंजाब सरकार का 10 नवंबर तक 300 मंडियों को बंद करने का फैसला बेहद निंदनीय है। मैं सीएम से मांग करता हूं कि धान खरीद सत्र समाप्त होने तक सभी मंडियों और खरीद केंद्रों को खुला रखा जाए।
देश में अब तक 209 लाख मीट्रिक टन धान की खरीदी
न्यूनतम समर्थन मूल्य पर देश के 14 धान उत्पादक राज्यों में धान की खरीद जारी है। सरकार के आंकड़ों के मुताबिक 8 नवंबर तक 209.52 लाख मीट्रिक टन से ज्यादा की धान की खरीद हो चुकी है। जिसके बदले 11.57 लाख किसानों को उनकी उपज के 41,066.80 करोड़ रुपये मिले हैं।
उपभोक्ता कार्य, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मंत्रालय ने अपने बयान में कहा कि खाद्य और सार्वजनिक वितरण विभाग ने 8 नवंबर तक चंडीगढ़, गुजरात, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, जम्मू-कश्मीर, पंजाब, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, तेलंगाना, राजस्थान, केरल, तमिलनाडु और बिहार के खरीद राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में खरीफ विपणन सीजन 2021-22 209.52 एलएमटी धान की खरीद की है।
सरकारी बयान में कहा गया है कि धान की खरीद तेजी से जारी है। 4 नवंबर तक देश में सिर्फ 179.96 लाख मीट्रिक टन धान की खरीद हुई थी जबकि अगले चार दिन में ये आंकड़ा 209.52 एमएलटी तक पहुंच गया है।
Paddy procurement up to 08.11.2021 in the ongoing KMS 2020-21 season. #MSP #value #Paddy #benefits #KMS @Secretary_DFPD @PIBConsumerFood pic.twitter.com/REAxFd2dLB
— @FoodDeptGOI (@fooddeptgoi) November 9, 2021
यूपी में 70 लाख मीट्रिक टन का लक्ष्य, 2.16 लाख मीट्रिक टन की खरीद
उत्तर प्रदेश में धान खरीद की रफ्तार सुस्त है। यूपी में धान खरीद का लक्ष्य करीब 70 लाख मीट्रिक टन है। 10 नवंबर तक प्रदेश में 2.16 लाख मीट्रिक टन धान की खरीद हुई है कुल लक्ष्य का महज 3.08 फीसदी है।
य़ूपी में धान की खरीद चरणों में शुरु हुई है। पश्चिमी यूपी में 1 अक्टूबर से धान खरीद शुरु हुई है जबकि पूर्वी यूपी और बाकी इलाकों में 1 नवंबर से धान की खरीद शुरु हुई है। लेकिन खरीद को लेकर काफी शिकायतें रही हैं। लखीमपुर पीलीभीत, शाहजहांपुर आदि जिलों में जहां 1 अक्टूबर से खरीद शुरु होने थी वहां 13 अक्टबूर तक खरीद शुरु नहीं हो पाई थी। कई जिलों से धान खरीद को लेकर किसान शिकायतें करते रहे हैं।