गाँव कनेक्शन ने 20 जनवरी को ही प्रकाशित खबर चीनी उत्पादन में बढ़ोतरी के संकेत, कीमतों में आयेगी गिरावट में ऐसी उम्मीद जतायी थी कि इस सीजन में चीनी का उत्पादन बढ़ सकता है। आैर ऐसा ही हुआ। चालू गन्ना पेराई सत्र 2017-18 (अक्टूबर-सितंबर) के आरंभिक पांच महीनों में देशभर की चीनी मिलों ने 230.5 लाख टन चीनी का उत्पादन किया है, जो पिछले साल की समान अवधि के मुकाबले 67.88 लाख टन यानी 41 फीसदी ज्यादा है। चीनी मिलों का संगठन इंडियन शुगर मिल्स एसोसिएशन (इस्मा) की ओर से जारी विज्ञप्ति के मुताबकि, एक अक्टूबर, 2017 से लेकर 28 फरवरी, 2018 तक देश में 230.50 लाख टन चीनी का उत्पादन हुआ। चालू सत्र में देशभर में 522 चीनी मिलों ने उत्पादन शुरू किया मगर 28 फरवरी 2018 तक 479 मिलें चालू थीं। बाकी मिलों में उत्पादन बंद हो चुका था।
इस्मा ने बताया कि अगले कुछ सप्ताह में कुछ और मिलों में उत्पादन बंद हो जाएगा। ज्यादातर कर्नाटक, महाराष्ट्र और तमिलनाडु की चीनी मिलें बंद हुई हैं, जबकि उत्तर प्रदेश में चीनी मिलों ने अभी अपना उत्पादन बंद नहीं किया है।
उत्तर प्रदेश में इस सत्र में 73.95 लाख टन चीनी का उत्पादन हुआ है, जबकि महाराष्ट्र में 84.24 लाख टन। इस प्रकार महाराष्ट्र इस साल उत्तर प्रदेश को पीछे छोड़ देश में सबसे ज्यादा चीनी उत्पादन करने वाले राज्य का दर्जा फिर प्राप्त कर सकता है। कर्नाटक 33.44 लाख टन चीनी उत्पादन के साथ देश में तीसरे नंबर पर बना हुआ है।
पिछले साल देश में महज 203 लाख टन चीनी का उत्पादन हुआ था, मगर इस सालाना खपत से ज्यादा उत्पादन होने की उम्मीद है। इस्मा ने जनवरी में कहा था कि चालू सत्र में 261 लाख टन चीनी उत्पादन उत्पादन हो सकता है, जो उसके पिछले अनुमान से 10 लाख ज्यादा है। इधर महाराष्ट्र में गन्ने की पैदावार ज्यादा होने के अनुमान के हो सकता है कि चीनी उद्योग संगठन अपने इस अनुमान में भी बढ़ोतरी करे।
इस्मा के अनुसार, देश में चीनी खपत इस साल 250 लाख टन हो सकती है, जो पिछले साल के 246 लाख टन से अधिक है। पिछले महीने चीनी मिलों की मांग पर सरकार ने चीनी के आयात पर शुल्क 50 फीसदी से बढ़ाकर 100 फीसदी कर दिया। चीनी उद्योग संगठनों को लगता था कि पाकिस्तान के रास्ते देश में विदेशों से सस्ती चीनी आ सकती है, जिससे बाजार में चीनी के दाम में और सुस्ती आने की संभावना थी।
अब आपूर्ति आधिक्य को कम करने के लिए चीनी उद्योग सरकार से मौजूदा निर्यात शुल्क 20 फीसदी को वापस लेने की मांग कर रहा है। सहकारी चीनी मिलों का संगठन नेशनल फेडरेशन ऑफ को-ऑपरेटिव शुगर फैक्टरीज लिमिटेड (एनएफसीएसएफ) के एमडी प्रकाश नाइकनवरे ने बताया कि चीनी पर निर्यात शुल्क हटाने को लेकर सरकार जल्द ही फैसला ले सकती है। उन्होंने बताया इस हफ्ते सात मार्च को उद्योग संगठनों के साथ खाद्य विभाग के अधिकारियों की बैठक होने वाली है, जिसमें चीनी के निर्यात को लेकर बातचीत होगी।
2015-16 के अनुमान के मुताबिक, उत्तर प्रदेश गन्ने का सबसे बड़ा उत्पादक राज्य है, क्योंकि यह अनुमानित 145.39 मिलियन टन गन्ने का उत्पादन करता है, जो अखिल भारतीय उत्पादन का 41.28 प्रतिशत है। उत्तर प्रदेश में गन्ने की फसल 2.17 लाख हेक्टेयर के क्षेत्र में बोई जाती है, जो कि अखिल भारतीय गन्ने की खेती का 43.79 प्रतिशत हिस्सा है।
महाराष्ट्र 2015-16 में गन्ने के 72.26 मिलियन टन अनुमानित उत्पादन के साथ दूसरे स्थान पर है, जो कि अखिल भारतीय गन्ना उत्पादन का 20.52 प्रतिशत है। महाराष्ट्र की कृषि भूमि का क्षेत्रफल जहां गन्ने की कुल बुवाई 0.99 मिलियन हेक्टेयर पर की जाती है वह मोटे तौर पर काली मिट्टी से युक्त क्षेत्र है।
वर्ष 2015-16 में कर्नाटक 34.48 मिलियन टन गन्ना उत्पादन के साथ तीसरे स्थान पर आता है, जो कि देश के कुल गन्ना उत्पादन का लगभग 11 प्रतिशत है। राज्य की कृषि भूमि के 0.45 मिलियन हेक्टेयर क्षेत्र के कुल क्षेत्र पर गन्ने की बुवाई की जाती है। तमिलनाडु गन्ने का चौथा सबसे बड़ा उत्पादक है, जो कि 26.50 मिलियन टन गन्ना का अनुमानित उत्पादन करता है, जो कि देश के गन्ना उत्पादन का लगभग 7.5 प्रतिशत है। बिहार 14.68 मिलियन टन गन्ना के उत्पादन के साथ आता है – यह देश के गन्ना उत्पादन का 4.17 प्रतिशत है।