शाहजहांपुर/लखनऊ। सूखे की मार का असर किसान के साथ दूसरे क्षेत्रों पर भी दिखाई पड़ने लगा है। फसलें चौपट हुईं तो किसानों की कमाई से जुड़े बाजार भी चरमरा गए। इसी का नतीजा है कि मौजूदा वकेत में ट्रैक्टर और कृषि उपकरणों का 800 करोड़ रुपए का बाजार भारी गिरावट का सामना कर रहा है।
शाहजहापुंर जिला मुख्यालय से 30 किलोमीटर दूर पुवायां तहसील उत्तर भारत की पंजाब के बाद सबसे बड़ी कृषि उपकरण की मंडियों में से एक है। कल्टीवेटर से लेकर कंबाइन मशीनें तक यहां बनाई जाती हैं। 100 से ज्यादा उपकरण निर्माता और डीलर यहां काम करते हैं। यहां स्थिति यह है कि दुकानों के बाहर उपकरण तैयार खड़े हैं लेकिन खरीददार गायब हैं।
कृषि यंत्र निर्माता जसवंत सिंह (46 वर्ष) बताते हैं, “किसानों की फसलें नहीं हुई हैं खरीदेगा कहां से। दो साल से गेहूं की फसलें चौपट हो रही हैं, गन्ना किसानों को अच्छे रेट नहीं मिल रहे हैं। किसान आर्थिक रूप से कमजोर हुआ है, जिसका सीधा असर बाज़ार पर पड़ा है। दो साल पहले तक मेरा एवरेज (औसत) टर्नओवर 4-5 करोड़ था, अब एक करोड़ पर सिमट गया है।”
शोरूम के बाहर धूल खा रहे उपकरणों को दिखाते हुए डीलर कुलवंत सिंह (40 वर्ष) कहते हैं, “पिछले साल छोटे-बड़े कृषि यंत्रों को मिलाकर करीब हजार आइटम बिके थे इस साल स्थिति यह है कि 400 से भी कम आइटम बिके हैं।”
कृषि उपकरणों के साथ ट्रैक्टर का बाजार भी औंधे मुंह गिरा है। लखनऊ में महिंद्रा टैक्टर के डीलर यादव टैक्टर्स के जनरल मैनेजर राम आधार यादव बताते हैं, “खेती के कारोबार में ट्रैक्टर की सबसे ज्यादा डिमांड है। लेकिन इधर ट्रैक्टर की बिक्री 40 फीसदी कम हो गई है।” यादव ने साल 2013-14 में 750 ट्रैक्टरों की बिक्री की, वहीं 2014-15 में 550 ट्रैक्टर बिके और इस बार अभी तक उन्होंने 350 ट्रैक्टर ही बेचे हैं। यादव कहते हैं, “किसान के पास पैसा नहीं है इसलिए ब्रिकी भी कम है।”
भारतीय कृषि और सहकारिता विभाग की रिपोर्ट स्टेट ऑफ इंडियन एग्रीकल्चर 2011-2012 के अनुसार वर्ष 2001 से वर्ष 2012 तक कृषि यंत्रों का प्रयोग लगातार बढ़ रहा था। लेकिन वर्ष 2014 से 2015 के दौरान प्रयोग घट गया। कृषि मंत्रालय देश में कृषि उपकरणों का बाज़ार तकरीबन 800 करोड़ रुपए का है।
पुवायां के कारोबारी जसवंत बताते हैं, “प्रदेश के बाराबंकी, बहराइच, लखीमपुर, गोरखपुर समेत कई जिलों से कृषि उपकरणों को खरीदने के लिए किसान यहां आते हैं यहां का माल नेपाल तक जाता है। इसमें भी घाटा हुआ है किसान लेने ही नहीं आ रहे है।” वो बताते हैं, जैसी की खबरें आ रही हैं, इस बार मानसून सामान्य होगा, अगर ऐसा हुआ तो किसान फिर बाजार आएंगे।”