इस बार यूपी में हो सकता है आम का बंपर उत्पादन

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रिपोर्टर- सुधा पाल

लखनऊ। मौसम को देखते हुए देश का मुख्य फल, आम की फसल लगाई जा चुकी है। राजधानी के उद्यान और खाद्य प्रसंस्करण विभाग के अनुसार आने वाले साल में (2016-17) प्रदेश में आम का उत्पादन लगभग 10 फीसदी तक बढ़ने की सम्भावना है। पिछले साल (2015-16) में 263.275 हजार हेक्टेयर के क्षेत्रफल में लगभग 4512.707 हजार मीट्रिक टन आम का उत्पादन किया गया था।

खाद्य प्रसंस्करण विभाग ने पांच हजार मीट्रिक टन का लगाया अनुमान

देश में फलों के अंतर्गत आने वाला कुल क्षेत्र 36 प्रतिशत है। आम की खेती उत्तर प्रदेश और आंध्र प्रदेश में बड़े पैमाने पर की जाती है। देश में उगाई जाने वाली आम की प्रमुख किस्मों में दशहरी, लंगड़ा, चौसा, बॉम्बे ग्रीन, अलफांसो, हिमसागर, किशनभोग, नीलम, सुवर्णरेखा, वनराज उन्नतशील प्रजातियां शामिल हैं। इसके साथ विकसित किस्मों में आम्रपाली, दशहरी-5, दशहरी-51 प्रमुख प्रजातियां हैं। देश में सबसे ज़्यादा उत्पादन दशहरी आम का किया जाता है। अपनी खास मिठास के लिए प्रसिद्ध दशहरी आम का उत्पादन लगभग 60 फीसदी तक किया जाता है। इस समय आम के बीजू पौधे तैयार किए जा चुके हैं। इसके लिए आम की गुठलियों की किसान 15 जुलाई से 30 सितम्बर के बीच बुवाई कर चुके हैं। बुवाई के दौरान आम की भेट कलम, विनियर, सॉफ्टवुड ग्राफ्टिंग, प्रांकुर कलम, तथा बडिंग प्रमुख है।

इसके साथ ही आम की सॉफ्टवुड ग्राफ्टिंग और विनियर करके किसान अच्छे किस्म के पौधे कम समय में तैयार कर लिए जाते हैं। उद्यान और खाद्य प्रसंस्करण विभाग के सहायक अधीक्षक संदीप प्रभाकर ने बताया कि आम की फसल के लिए 30 से 40 के बीच का तापमान उत्तम होता है। भारत के आम की मिठास देश के बाहर भी फैली हुई है। आम की इस मिठास को बांग्लादेश, नेपाल, यूके, अमेरिका, सऊदी अरब, कुवैत और अन्य मध्यपूर्व देशों में भी पहुंचाया जाता है। दुनिया के आम उत्पादकों में से लगभग 45 प्रतिशत का उत्पादन भारत में ही होता है और इस तरह यह विश्व का बड़ा आम उत्पादक है। संदीप ने बताया कि वर्तमान समय में जलवायु में नमी ज्यादा होती है जिससे फसल में रोग लगने का खतरा सबसे ज्य़ादा रहता है। इसके लिए सही समय पर ही कीट की पहचान कर कीटनाशक से उससे छुटकारा पाया जा सकता है।

इन जिलों में होता है आम का अच्छा उत्पादन

लखनऊ- 585.201 हजार हेक्टेयर

सहारनपुर- 575.102 हजार हेक्टेयर

उन्नाव- 355.965 हजार हेक्टेयर

बुलंदशहर- 261.484 हजार हेक्टेयर

अमरोहा- 196.291 हजार हेक्टेयर

राज्य में फरवरी महीने में आम के बौर का निरीक्षण किया जाएगा। इस निरीक्षण से ही प्रदेश में होने वाले कुल आम के उत्पादन का पता चल पाएगा। इस बार अधिक उत्पादन की आशंका है।

संदीप प्रभाकर (सहायक अधीक्षक)

फॉल्स बौर से पौधों को बचाना है ज़रूरी

सहायक अधीक्षक संदीप प्रभाकर बताते हैं कि आम के अच्छे और बेहतर उत्पादन के लिए पौधों को कई तरह के रोगों से बचाना ज़रूरी है। कुछ रोग पौधों में लगते हैं तो कुछ फल में लगते हैं। कुछ रोग बौर में भी लगते हैं जिससे फल के आने से पहले ही बौर झड़ जाते हैं। इस फॉल्स बौर से बचने के लिए किसान को पेड़ में बौर आने से पहले ही उसकी अच्छी देखभाल करनी चाहिए। इसके साथ ही आम के बाग में पाउडरी मिल्ड्यू और खर्रा या दहिया रोग भी लगता है। इससे फसल को बचाने के लिए पहले ट्राईमार्फ़ या डाईनोकैप का छिड़काव किया जाता है। इसके बाद बौर आने के तुरन्त बाद हर 15 दिन के अंतराल पर यह छिड़काव किया जाता है। इसके अतिरिक्त बौर को झड़ने से रोकने के लिए सल्फर का स्प्रे भी हर 15 दिन पर किया जाता है।

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