कृषि के छात्र खेती करने में सक्षम नहीं हैं : केन्द्रीय कृषि राज्य मंत्री

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कृषि के छात्र खेती करने में सक्षम नहीं हैं : केन्द्रीय कृषि राज्य मंत्रीगाँव कनेक्शन

लखनऊ वर्तमान कृषि शिक्षा व्यवस्था को बदलने की आवश्यकता है आज विश्वविद्यालयों में कृषि की सैद्धांतिक शिक्षा दी जाती है, जिसे पढ़कर कृषि छात्र खेती भी नहीं कर सकते, इसलिए हमें पूरी कृषि शिक्षा व्यवस्था में बदलाव करने की ज़रूरत है। डॉ. संजीव कुमार बालियान, कृषि एवं किसान कल्याण राज्य मंत्री, भारत सरकार ने यह बात कही।

डॉ. बालियान 12 दिसम्बर को लखनऊ स्थित भारतीय गन्ना अनुसंधान संस्थान में ‘प्राकृतिक खेती एवं गौ आधारित अर्थव्यवस्था’ विषय पर आयोजित दो दिवसीय कार्यशाला का उद्घाटन करने पहुंचे थे।

कृषि शिक्षा के साथ ही पशुधन के विशेषज्ञ केन्द्रीय राज्य मंत्री ने देशी नस्लों की गायों की महत्ता पर भी जोर दिया। उन्होंने कहा, “हम विदेशी नस्लों को लाते रहे और अपनी देशी गायों को भूल गए, फिर ब्राजील जैसे देश ने हमारी ही गिर प्रजाति की गाय से रिकॉर्ड उत्पादन किया और हमे बताया कि आपकी गाय भी अच्छा दूध दे सकती हैं”।

डॉ बालयान ने कहा कि हमने गायों के पूरे शोध को अब देशी प्रजातियों की ओर मोड़ दिया है। सरकार देशी गायों संख्या बढ़ाने में प्रयासरत है, उम्मीद है कि अगले दस वर्षों में प्रत्येक गाँव में देशी गाय की उपलब्धता होगी तथा शंकर किस्मों की गायें कम हो जाएंगी। लेकिन हमें देशी गाय की वर्तमान उत्पादकता 4-5 किलो दूध प्रतिदिन से बढ़ाकर 10-15 किलो प्रतिदिन दूध देने वाली करनी होगी।

किसानों की खेती की लागत कम करने में पहले बैलों की बहुत एहमियत थी जो ट्रैक्टरों के आने से धीरे धीरे कम होती गयी। डॉ बालयान ने इस विषय पर शोध में भी कमी होने की बात कही। “वैज्ञानिकों को बैल चालित खेती के यंत्र विकसित करने चाहिए लेकिन वो ट्रैक्टर के पीछे लगने वाले यंत्र बनाने में ही पड़े हैं,” उन्होंने कहा।

डॉ बालियान ने बताया कि केन्द्रीय सरकार सलाना 70,000 करोड़ रूपये यूरिया पर सब्सिडी देता है। उन्होंने ऐसी योजना कृषि मंत्री और प्रधानमंत्री जी को सुझाई है जिसके तहत इस सब्सिडी को बंद कर सीधा किसानों को 5000 रु प्रति हेक्टेयर के हिसाब से सीधी सब्सिडी दी जाए, जिससे किसान अपने मन से खाद खरीद ले। ऐसा होने पर बहुत से किसान अपने खेतों में गोबर जैसी खाद भी डालना चाहेंगे।

केन्द्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री स्मृति ईरानी भी वीडियो कान्फ्रेंसिंग के ज़रिये दिल्ली से ही इस कार्यशाला से जुडीं। दरअसल ये कार्यशाला ‘उन्नत भारत अभियान’ का अंग है, यह अभियान आईआईटी दिल्ली ने शुरू किया था और मूलतः मानव संसाधन विकास मंत्रालय के तहत आता है। ईरानी ने आश्वासन दिया कि इस कार्यशाला से उभरे सभी निष्कर्षों पर मंत्रालय गंभीरता से चिंतन और क्रियान्वयन करेगा।

इस कार्यक्रम की अध्यक्षता भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद् के उप महानिदेशक (कृषि शिक्षा) डॉ नरेन्द्र सिंह राठौड़ कर रहे थे। उन्होंने कहा कि कृषि शिक्षा में आमूलचूल परिवर्तन के लिए परिषद् स्नातक कृषि के लिए नया पाठ्यक्रम बनाने जा रहा है जिसमें एक वर्ष सिर्फ प्रायोगिक खेती बतायी जाएगी और छात्र गाँव जायेंगे। गाँवों में प्राकृतिक खेती, उद्यमिता विकास, सामाजिक एवं कृषि परिवेश का अध्ययन विद्यार्थियों द्वारा होगा।

उन्नत भारत अभियान के संरक्षक हृदयनाथ सिंह के अलावा कार्यक्रम में कनेरी मठ, कोल्हापुर के स्वामी सन्त कणिसिद्धेश्वर महाराज विशिष्ठ अतिथि के रूप में उपस्थित रहे।

इस कार्यक्रम के संयोजक के रूप में भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान दिल्ली के प्रोफेसर वी.के. विजय व राजेन्द्र प्रसाद ने भी संस्थान के प्रयासों का ज़िक्र किया।

आईआईएसआर के प्रधान वैज्ञानिक डा एके साह ने कार्यक्रम की विस्तृत जानकारी देते हुए बताया कि इस कार्यशाला में विभिन्न राज्यों जैसे उप्र, महाराष्ट्र, हरियाणा, पंजाब, सिक्किम, बिहार, उत्तराखंड, झारखंड, मध्यप्रदेश के 265 से अधिक कृषि विद्वान एवं प्रयोगधर्मी किसानों ने भाग लिया।

दो दिवसीय कार्यशाला का समापन 13 दिसंबर को होगा जिसमें देश के कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री राधा मोहन सिंह मुख्य अतिथि होंगे। 

 

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