कृषि सुझाव: सभी फसलों में करें हल्की सिंचाई
vineet bajpai 21 Dec 2015 5:30 AM GMT
लखनऊ। उत्तर प्रदेश कृषि अनुसंधान परिषद से कराई गई फसल मौसम सतर्कता समूह की बैठक में मंथन कर, कृषि सुझाव जारी किए हैं। तापमान में कमी की संभावना देखते हुए सभी फसलों एवं सब्जियों में हल्की सिंचाई करें यह फसलों को संभावित पाले से बचाने में सहायक होती है।
गेहूं
- किसानों को सलाह है वे पछेती गेहूं की बुवाई अतिशीघ्र करें। बीज दर 125 किग्रा प्रति हेक्टयर। उन्नत प्रजातियां-पीबी डब्ल्यू 373, डब्ल्यू आर 544, यूपी 2338, यूपी 2425, एचडी 2843। बुवाई से पूर्व बीजों को बाविस्टिन या थायरम, 2.0-2.5 ग्राम प्रति किग्रा बीज की दर से उपचारित करें। जिन खेतों में दीमक का प्रकोप हो किसान भाई क्लोरपाईरिफास (20 ईसी) 5.0 लीटर/हेक्टयर की दर से पलेवा के साथ या सूखे खेत में छिड़क दे।
- जिन किसानों की गेहूं की फसल 21-25 दिन की हो गई हो, वे आवश्यकतानुसार पहली सिंचाई करें। सिंचाई के 3-4 दिन बाद उर्वरक की दूसरी मात्रा डालें।
अन्य फसलें
- समय पर बोई गई सरसों की फसल में विरलीकरण तथा खरपतवार नियंत्रण का कार्य करें। जिन किसानों की सरसों की फसल 35 दिन की हो गयी हो, वे पहली सिंचाई करें। पेटेंड बग तथा चेंपा कीट की निरंतर निगरानी करते रहें।
- इस मौसम में तैयार खेतों में प्याज की रोपाई करें। रोपाई वाले पौधे छह सप्ताह से ज्यादा के नहीं होने चाहिए। पौधों को छोटी क्यारियों में रोपाई करें। रोपाई से 10-15 दिन पूर्व खेत में 20-25 टन सड़ी गोबर की खाद डालें। 20 किग्रा नत्रजन, 60-70 किग्रा फॉस्फोरस तथा 80-100 किग्रा पोटाश आखिरी जुताई में डालें। पौधों की कतार से कतार की दूरी 15 से.मी. पौधे से पौधे की दूरी 10 से.मी. रखें। प्याज की फसल में हल्की सिंचाई की आवश्यकता होती है।
- हवा में अधिक नमी के कारण आलू तथा टमाटर में अगेती झुलसा रोग आने की संभावना है अत: फसल की नियमित रूप से निगरानी करें।
संकलन : विनीत
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