कश्मीरियों की मदद के लिए बनाया वेब पोर्टल

  • Whatsapp
  • Telegram
  • Linkedin
  • koo
  • Whatsapp
  • Telegram
  • Linkedin
  • koo
  • Whatsapp
  • Telegram
  • Linkedin
  • koo
कश्मीरियों की मदद के लिए बनाया वेब पोर्टलgaonconnection

नई दिल्ली। वैसे तो कई सारे एनजीओ और पोर्टल हैं जो आपदा के समय में दूर इलाके में बसे लोगों की मदद करते हैं। ऐसा ही एक वेब पोर्टल है माय राहत डॉट कॉम और इस पोर्टल की सबसे खास बात यह है कि यह पोर्टल एक कश्मीरी शख्स द्वारा बनाया गया है और कश्मीरियों के लिए अपने तरीके से काम कर रहा है।

जम्मू कश्मीर जैसे राज्य में जहां कनेक्टिविटी एक बड़ी बाधा है उसे बाजार की पहुंच में लाना अपने आप में एक बड़ा चैलेंज था। काशिफ और उनके दोस्त आबिद रशीद और जहीर हसन ने मिलकर एक ऐसा पोर्टल बनाया जिससे कश्मीरियों को मदद मिल सके। 

किसी भी क्षेत्र के विकास में वहां के स्वास्थ्य, शिक्षा और सार्वजनिक वितरण प्रणाली का बेहतर होना जरूरी है। काशिफ ने जम्मू यूनिवर्सिटी से इंजीनियरिंग की डिग्री ली है और इन क्षेत्रों को और भी बेहतर बनाने के लिए माय राहत डॉट कॉम नामक एक पोर्टल शुरू किया। इसके माध्यम से वे स्थानीय लोगों की गैस कनेक्शन, पशु चिकित्सा, शिक्षा समेत वे तमाम सुविधाएं कश्मीरियों को दिलाने के लिए जम्मू कश्मीर मंत्रालय से समन्वय बनाने की कोशिश करते हैं।

                                                 

क्या है माय राहत डॉट कॉम?

यह एक ऐसी सर्विस है जिसका मुख्य उद्देश्य इलेक्ट्रॉनिक सर्विस को आम लोगों के दरवाजे तक पहुंचाना है।

माय राहत के उद्देश्य

=माय राहत 8 प्रमुख क्षेत्रों जैसे शिक्षा, स्वास्थ्य, कृषि, समाचार, मीडिया, उपयोगिताओं, उत्पादों, ई-गवर्नेंस और यात्रा जैसे क्षेत्रों में अपनी सर्विस देता है। इसके अलावा वे कई सामाजिक उद्यमों के साथ संबंधों के की स्थापना की है। वे राज्य के भीतर काम करने वाली तमाम कंपनियों और व्यवसायों को खड़ा करने, सरकार के लिए एक मंच तैयार करना और सबसे महत्वपूर्ण बात कि कश्मीरी युवाओं को रोजगार उपलब्ध कराने की कोशिश में लगे हैं। वे सरकार और कश्मीरी युवाओं के बीच पुल का काम कर रहे हैं। 

=वे उन तमाम ग्रामीण इलाकों में रहने वाले और बुनियादी सुविधाओं से वंचित नौजवानों को इस पोर्टल से जोड़ने के प्रयास में लगे हैं। वे बताते हैं कि इस सेवा के लिए ग्राहक को 300 से 500 रुपए खर्च करने होते हैं और आज इस पोर्टल से जुड़े ग्राहकों की संख्या 1,500 पहुंच चुकी है। वे इस बीच 30 संस्थाओं को जोड़ चुके हैं और बेहद कम कीमतों में राज्य के तमाम ग्रामीण और हाशिए पर रहने वाले लोगों की मदद कर रहे हैं। आज उनके पोर्टल से प्रतिदिन फायदा उठाने वाले लोगों की संख्या 1000 है और इस बीच ही उन्होंने एके मिलियन का आंकड़ा छुआ है। 

साभार : इंटरनेट

 

Next Story

More Stories


© 2019 All rights reserved.