कुआनों नदी की मछलियों के लिए काल बना जहरीला पानी

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कुआनों नदी की मछलियों के लिए काल बना जहरीला पानीगाँव कनेक्शन

टिनिच (बस्ती)। अपने फायदे के लिए इंसान कुछ भी कर सकता है। इंसानों ने कुआनों नदी के पानी को जहर बना दिया है। नतीजन कुआनों नदी की मछलियां दम तोड़ रही हैं। जहरीले पानी से मछलियों की मौत का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा, तो वहीं पशु-पक्षी नदी का पानी पीकर मौत को गले लगा रहे हैं। मौत का यह सिलसिला ऐसे समय में गति पकड़े हुए है जब प्रदेश से लेकर केंद्र सरकार नदियों को स्वच्छ बनाने से जुड़ी विभिन्न परियोजनाओं को अपनी प्राथमिकता में शामिल कर करोड़ों रुपये खर्च कर रही हैं। 

कुआनों नदी के आधा दर्जन से अधिक घाटों पर लोगों की भीड़ जुट रही है। चंद घंटों में यह बात पूरे क्षेत्र में फैल गई कि एक बार फिर कुआनों के पानी में मछलियां तड़प कर मर रही हैं। 

नाले में जहरीला रसायन छोडऩे वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई न होने से क्षेत्र के लोग जिम्मेदारों को जानबूझ कर बेसुध बना करार दे रहे है। टिनिच शुक्ल गाँव निवासी गया प्रसाद ने कहा, ''पूरा प्रशासन और संबंधित विभाग जान रहा है कि कारखानों द्वारा रसायन नदी में छोड़ा जा रहा है। तो आखिर किस डर से उन पर कार्रवाई नहीं हो रही है। किसानों के जानवर नदी का पानी पीते है। पशु-पक्षियों की मौत का कौन जिम्मेदार है।" बेतौहा निवासी प्रकाश ने कहा, ''यह पहली बार नहीें हो रहा कि मछलिया मर रही हैं, साल में कई बार ऐसा होता है।" अजगैवा निवासी राधे चौधरी ने कहा, ''फैक्ट्री मालिकों को भी इसके लिए गंभीर होना चाहिए।" 

टिनिच शुक्ल गाँव के मछुआरा विमलेश ने बताया, "अधिकांश मछलियां तो रसायन के प्रभाव से मर गई। लेकिन जो बड़ी मछलिया बच गई वह संक्रमण के प्रभाव से बेसुध हो नदी के किनारे तक आ गईं। संक्रमित मछलियों के सेवन से स्वास्थ्य पर पडऩे वाले विपरीत प्रभाव को दरकिनार कर लोग बस जैसे-तैसे मछलियों को बटोर रहे हैं।"

गोंड़ा जिले के कारखानों से छोड़ा गया जहरीला रसायन

नदी का पानी जहरीला होने का कारण गोंडा जिले के बिसुही नाले में विभिन्न कारखानों द्वारा डाला गया जहरीला रसायन व गंदा पानी है। बीते दिन बिसुही नाले में बड़े पैमाने पर जहरीला रसायन छोड़ा गया। जिसके बाद नदी का पानी पहले तो पूरी तरह काला हो गया और दूसरे दिन से मछलियों के मरने का सिलसिला शुरू हो गया। बिसुही नाले में साल में तीन से चार बार यह हैवानियत की जाती है। जबकि बरसात के मौसम में लगातार जहरीला पानी छोडऩे का सिलसिला जारी रहता है। 

 

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