कृषि, सहयोग एवं किसान कल्याण विभाग ने कृषि गणना 2010-11 (चरण-II) जारी की है। इस गणना की मुख्य बातें निम्नलिखित हैं:
oकृषि गणना 2010-11 के मुताबिक,
§परिचालन जोतों की कुल संख्या 138.35 मिलियन रहने का अनुमान लगाया गया था।
§कुल संचालित क्षेत्र 159.59 मिलियन हेक्टेयर था।
§जोत का औसत आकार 1.15 हेक्टेयर रहने का अनुमान लगाया गया है। जोत का औसत आकार 1970-71 के बाद से ही विभिन्न कृषि गणनाओं की तुलना में निरंतर कमी का रुख दर्शा रहा है।
§परिचालन जोतों की संख्यास एवं क्षेत्र का आकार समूह वार प्रतिशत निम्नलिखित तालिका में दिया गया है :
क्र. सं.
आकार-समूह
कुल जोतों में परिचालन जोतों की संख्या का प्रतिशत
कुल क्षेत्र में संचालित क्षेत्र का प्रतिशत
1
सीमांत (1.00 हेक्टेयर से कम)
67.10
22.50
2
छोटी (1.00-2.00 हेक्टेयर)
17.91
22.08
3
अर्ध-मध्यम (2.00-4.00 हेक्टेयर)
10.04
23.63
4
मध्यम (4.00-10.00 हेक्टेयर)
4.25
21.20
5
बड़ी (10.00 हेक्टेयर और इससे अधिक)
0.70
10.59
·सकल फसल क्षेत्र (जीसीए) 193.76 मिलियन हेक्टेयर रहने का अनुमान लगाया गया था।
·देश के सकल फसल क्षेत्र में नौ राज्यों, अर्थातआंध्र प्रदेश, कर्नाटक, गुजरात, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र,राजस्थान, उत्तर प्रदेश, पंजाब और पश्चिम बंगाल का कुल मिलाकर लगभग 78 प्रतिशत हिस्सा।
·64.57 मिलियन हेक्टेयर के निवल सिंचित क्षेत्र में48.16 प्रतिशत हिस्सा छोटी एवं सीमांत जोतों का, 43.77 प्रतिशत हिस्सा अर्ध-मध्यम जोतों एवं मध्यम जोतों का और 8.07 प्रतिशत हिस्सा बड़ी जोतों का रहा।
·कृषि गणना 2010-11 के अनुसार, फसल गहनता 1.37 आंकी गई।
·96.95 प्रतिशत परिचालन जोतों के लिए संपूर्ण संचालित क्षेत्र निवास स्थान के गांव के भीतर अवस्थित था।
·सिंचाई के विभिन्न स्रोतों में नलकूप सिंचाई के मुख्य स्रोत थे, जिसके बाद नहरों का नंबर आता है।
वर्ष 2010-11 के दौरान अखिल भारतीय स्तर पर निवल बुवाई क्षेत्र में निवल सिंचित क्षेत्र का अनुपात 45.70 प्रतिशत था।
संचालित क्षेत्र के आधार पर, कृषि जनगणना में परिचालन जोतों को कुछ इस तरह से वर्गीकृत किया जाता है: -