क्यों हो रहीं हैं वैज्ञानिकों की आकस्मिक मौतें?
गाँव कनेक्शन 4 May 2016 5:30 AM GMT

नई दिल्ली। पिछले एक दशक में कई वैज्ञानिकों की आकस्मिक मौतों का मामला मंगलवार को लोकसभा में उठा और केंद्र सरकार से इसकी जांच की मांग की गयी।
शून्यकाल के दौरान सदन में यह मामला उठाते हुए भाजपा के वीरेन्द्र कुमार सोनकर ने कहा कि वर्ष 2000 से लेकर 2013 तक देश के 77 वैज्ञानिकों की आकस्मिक मौत हो चुकी है।
उन्होंने कहा कि देश पिछले करीब दस साल की अवधि में अपने कई महान वैज्ञानिकों को खो चुका है जिनमें ईआर महालिंगम का भी मामला शामिल है जो 8 जून 2009 को सुबह सैर पर गए थे और पांच दिन बाद उनका शव मिला था।
सोनकर ने वैज्ञानिकों की मौतों को रोकने के लिए सरकार से ठोस उपाय करने तथा वैज्ञानिकों की मौतों के इन मामलों की जांच करने की मांग की। मृत इन 77 वैज्ञानिकों में से 11 अकेले परमाणु वैज्ञानिक थे, जिनकी मृत्यु वर्ष 2009-13 के दौरान हुई।
देश के परमाणु ऊर्जा विभाग ने एक आरटीआई के जवाब में कुछ पांच महीने पहले दी गई जानकारी में कहा था कि इन वैज्ञानिकों में से आठ की मौत देश की अलग-अलग जगहों पर अज्ञात परिस्थितियों में फांसी लगाकर, लैब में ब्लास्ट और डूबने से हुई।
इनमें से ज्यादातर केसों को राज्यों की पुलिस आत्महत्या या दुर्घटना बताकर बंद कर चुकी है।
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