पन्ना की धरती से मिला नायाब हीरा, 20 साल से जुटे शख्स को मिला 26.11 कैरेट का हीरा, जानिए क्या है कीमत

पन्ना जिले की धरती में एक बेशकीमती हीरा निकला है, जिसकी अनुमानित कीमत एक करोड़ से ऊपर बताई जा रही है। जिस शख्स को हीरा मिला है, उसके पास रहने को खुद का घर तक नहीं है।

Arun SinghArun Singh   22 Feb 2022 12:57 PM GMT

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पन्ना की धरती से मिला नायाब हीरा, 20 साल से जुटे शख्स को मिला 26.11 कैरेट का हीरा, जानिए क्या है कीमत

26.11 कैरेट हीरा पाने वाले सुशील शुक्ला।

पन्ना (मध्य प्रदेश)। पन्ना की खदान में एक एक हीरा मिला है, जिसकी कीमत एक करोड़ से ज्यादा बताई जा रही है। जिस शख्स को ये हीरा मिला है, वो 20 साल से हीरे की तलाश में था। लेकिन किस्मत 21 फरवरी को चमकी। हीरा मिला भी तो ऐसा कि किस्मत ही बदल गई।

पन्ना शहर के किशोरगंज मोहल्ला निवासी 47 वर्षीय सुशील शुक्ला को जेम क्वालिटी का 26.11 कैरेट वजन वाला बेशकीमती हीरा मिला है, जिसकी अनुमानित कीमत एक करोड़ रुपये से भी अधिक है। सुशील के पास अपना घर तक नहीं है। उनका परिवार परिवार मामा के यहां रहता है। सुशील के मुताबिक रत्नगर्भा पन्ना की धरती ने एक ऐसा नायाब तोहफा दिया है, जिसने उनकी दुनिया ही बदल गई है।

हीरा मिलने के बाद घर के उत्सवी माहौल में गांव कनेक्शन से चर्चा करते हुए सुशील शुक्ला (47 वर्ष) ने बताया, "पूरे 20 साल तक पन्ना की विभिन्न हीरा खदानों में उन्होंने हीरों की तलाश की, हीरा नहीं मिला। लेकिन मैंने हिम्मत नहीं हारी और हीरों की तलाश को जारी रखी। और 21 फरवरी को ऊपरवाला मेहरबान हुआ तो हीरा मिल गया, जिसका वजन 26.11 कैरेट है।"

इतना कीमती हीरा मिलने के बाद किसी के घर में जश्न होगा लेकिन ये खुशख़बरी सुशील के परिवार के लिए बहुत खास है, क्योंकि उनके तो पास अपनी खुद की छत तक नहीं। उनका पूरा परिवार मामा के घर में रहता है। सुशील 5 भाई हैं, जिसमें एक दिव्यांग है, विधवा बहन भी उन्हीं के साथ रहती है।

सुशील शुक्ला को मिले हीरे की नीलामी 24 फरवरी को होगी।

सुशील बताते हैं, "पांच भाइयों के संयुक्त परिवार में दो भाइयों के परिवार और बहन का भरण-पोषण मैं ही करता हूं। एक भाई, एसडीएम के यहां ड्राइवर है। बाकी लोग खदान में आदि में ही करते हैं।"

सुशील शुक्ला 10वीं तक पढ़े हैं, इसके आगे वो पढ़ नहीं पाए। परिवार चलाने के ईंट बनाने (स्थानीय तरीकों से) काम करते हैं और हीरा खदान में भी किस्मत आजमाते हैं।

कृष्णा कल्याणपुर स्थित इस खदान का पट्टा उन्होंने फरवरी में ही बनवाया था। अभी पूरी खदान खुदी भी नहीं और उन्हें इतना बड़ा हीरा मिल गया।

अपनी खुशी का इजहार करते हुए सुशील शुक्ला ने गांव कनेक्शन को बताया, "वर्षों से मेरी यह ख्वाहिश रही है कि उनके पास अपना घर हो, अब यह ख्वाहिश पूरी हो सकेगी। हम शिक्षा नहीं हासिल कर सके लेकिन अपने इकलौते 10 वर्षीय बेटे और बड़े भाई के दोनों बेटों को अच्छी शिक्षा दिलाउंगा। साथ ही ईट भट्ठा के बजाय कोई दूसरा व्यवसाय करेंगे।"

सुशील शुक्ला, अपने मामा के घर के दरवाजे पर।

बड़े नायाब हीरों की लिस्ट में यह हीरा भी हुआ शामिल

मध्य प्रदेश के पन्ना जिले की रत्नगर्भा धरती में सैकड़ों सालों से हीरों की तलाश लोग करते आ रहे हैं लेकिन ऐसे किस्मत के धनी कम ही लोग होते हैं जिन्हे हीरा मिलता है। यहां की उथली हीरा खदानों से अब तक अनगिनत हीरे निकले होंगे, लेकिन बड़े नायाब और बेशकीमती हीरे उंगलियों में गिने जा सकें उतने हैं। इन नायाब हीरों की लिस्ट में सुशील शुक्ला को मिला हीरा भी शामिल हो चुका है।

हीरा अधिकारी पन्ना रवि पटेल ने गांव कनेक्शन को बताया, "हीरा कार्यालय में दर्ज रिकॉर्ड के मुताबिक 61 वर्ष पहले सबसे बड़ा 44.33 कैरेट वजन का हीरा वर्ष 1961 में रसूल मुहम्मद को मिला था। यह रिकॉर्ड अभी भी कायम है।"

पटेल आगे बताते हैं, "25 कैरेट से अधिक वजन वाले जेम क्वालिटी के हीरों को बेशकीमती और नायाब श्रेणी में रखा जाता है उस लिहाज से यह ग्यारवां बड़ा हीरा है जो हीरा कार्यालय में विधिवत जमा किया गया है।"

हीरा अधिकारी के मुताबिक इस बड़े हीरे को 24 फरवरी से शुरू होने वाली नीलामी में रखा जायेगा। नीलामी में हीरे की बिक्री होने पर शासन की रायल्टी काटने के बाद शेष राशि हीरा धारक को दे दी जाएगी।

नीलामी में मिली रकम पर सरकार (हीरा विभाग) 11.50 फीसदी रॉयल्टी (अपना हिस्सा) काटकर बाकी रकम हीराधारक को दे दी जाती है।

पन्ना के हीरा विशेषज्ञ पवन देव बुंदेला के मुताबिक ये हीरा बहुत उच्च क्वालिटी (जेम्स) का है, इसलिए इसकी रकम अच्छी मिलनी चाहिए। वो कहते हैं, " अभी ये रफ हीरा है तो भी नीलामी में एक करोड़ से ऊपर ही जाएगा। जब ये तराशा जाएगा तो इसमे 13 कैरेट का सिंगल हीरा निकलेगा जो कई करोड़ का भी हो सकता है।"

हीरा अधिकारी पन्ना रवि पटेल बताते हैं, "बीते तीन वर्ष के दौरान मिले हीरों में यह चौथा बड़ा हीरा है। इसके पहले पन्ना के ही गरीब मजदूर मोतीलाल को वर्ष 2018 में 42 कैरेट 59 सेंट वजन का बेशकीमती नायाब हीरा

मिला था। यह 42.59 कैरेट वजन वाला नायाब हीरा खुली नीलामी में 6 लाख रू. प्रति कैरेट की दर से 2 करोड़ 55 लाख रू. में बिका था, जिसे झांसी निवासी राहुल अग्रवाल ने खरीदा था। इसी तरह वर्ष 2019 में पन्ना शहर के बड़ा बाजार निवासी बृजेश उपाध्याय को 29.46 कैरेट वजन का हीरा मिला। जिसके बाद अब 21 फरवरी को कृष्ण कल्याणपुर उथली हीरा खदान क्षेत्र में मिला 26.11 कैरेट वजन का चौथा बड़ा हीरा है।"

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कलेक्टर पन्ना से हीर जमा कराने की रशीद प्राप्त करते सुशील।

एक लिपिक व हीरा पारखी के सहारे चल रहा हीरा कार्यालय

बेशकीमती हीरों के लिए प्रसिद्ध पन्ना जिले में स्थित देश के इकलौते हीरा कार्यालय पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं। यहां की रत्नगर्भा धरती से भले ही बेशकीमती हीरे निकलते हैं लेकिन लेकिन इन हीरों की चमक यहां कहीं नजर नहीं आती। शासन की अनदेखी और उपेक्षा के चलते पन्ना स्थित हीरा कार्यालय भी अब बंद होने की कगार में जा पहुंचा है। पिछले कई वर्षों से इस कार्यालय में कर्मचारियों के रिटायर होने पर उनकी जगह किसी की पदस्थापना नहीं हुई, जिसके चलते इस कार्यालय के ज्यादातर पद खाली पड़े हैं। आलम यह है कि देश का यह इकलौता हीरा कार्यालय एक लिपिक व एक हीरा पारखी के सहारे संचालित हो रहा है।

पहले जहां पन्ना स्थित हीरा कार्यालय में जहाँ हीरा अधिकारी की तैनाती होती थी वहीं अब खनिज अधिकारी के पास हीरा कार्यालय का प्रभार है। नवीन कलेक्ट्रेट भवन में हीरा अधिकारी का चेंबर तक नहीं है, हीरा कार्यालय एक छोटे से कमरे में संचालित हो रहा है।

हीरा पारखी अनुपम सिंह ने बताया, "पहले पन्ना जिला मुख्यालय के साथ-साथ इटवांखास व पहाड़ीखेरा में उप कार्यालय हुआ करते थे जो अब बंद हो चुके हैं। उस समय उथली हीरा खदानों की निगरानी व खदानों से प्राप्त होने वाले हीरों को जमा कराने के लिए तीन दर्जन से भी अधिक सिपाही और हीरा इंस्पेक्टर पदस्थ थे। लेकिन अब सिर्फ दो सिपाही बचे हैं जो अपने रिटायरमेंट की राह देख रहे हैं।"

पन्ना स्थित हीरा विभाग का दफ्तर।

70 किलोमीटर में है हीरा धारित पट्टी का विस्तार

पन्ना जिले में हीरा धारित पट्टी का विस्तार लगभग 70 किलोमीटर क्षेत्र में है, जो मझगवां से लेकर पहाड़ीखेरा तक फैली हुई है। हीरे के प्राथमिक स्रोतों में मझगवां किंबरलाइट पाइप एवं हिनौता किंबरलाइट पाइप पन्ना जिले में ही स्थित है। यह हीरा उत्पादन का प्राथमिक स्रोत है जो पन्ना शहर के दक्षिण-पश्चिम में 20 किलोमीटर की दूरी पर है। यहां अत्याधुनिक संयंत्र के माध्यम से हीरों के उत्खनन का कार्य सार्वजनिक क्षेत्र के प्रतिष्ठान राष्ट्रीय खनिज विकास निगम (एनएमडीसी) द्वारा संचालित किया जाता रहा है। मौजूदा समय उत्खनन के लिए पर्यावरण की अनुमति की समय सीमा समाप्त हो जाने के कारण यह खदान 1 जनवरी 2021 से बंद है। एनएमडीसी हीरा खदान बंद होने से हीरों के उत्पादन का ग्राफ जहाँ नीचे जा पहुंचा है वहीं शासन को मिलने वाली रायल्टी में भी कमी आई है। अगर निकट भविष्य में एनएमडीसी हीरा खदान चालू नहीं हुई और हीरा कार्यालय की हालत नहीं सुधरी तो हीरों से जो पन्ना की पहचान थी वह भी ख़त्म हो सकती है।

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