मध्य प्रदेश: पर्यटन उद्योग को मानसून सीजन में "बफर में सफ़र" से मिलेगी संजीवनी
कोरोना महामारी के चलते लगाये गए प्रतिबंधों से मध्य प्रदेश में भी पर्यटन उद्योग को भारी क्षति हुई है। टाइगर रिजर्वों के खुलने से थोड़ी राहत मिली थी, लेकिन बारिश के मौसम में 3 माह के लिए प्रदेश के सभी टाइगर रिजर्व बंद हो जायेंगे। ऐसी स्थिति में मानसून सीजन में "बफर में सफ़र" पर्यटन उद्योग के लिए संजीवनी साबित हो सकता है।
Arun Singh 28 Jun 2021 1:44 PM GMT

मध्य प्रदेश में मॉनसून सीजन के 1 जुलाई से 30 सितंबर तक पन्ना टाइगर रिजर्व का बफर जोन भी पर्टयन के लिए खुला रहेगा।
पन्ना (मध्यप्रदेश)। झमाझम बारिश के बीच जंगल में टलहने, पहाड़ों से गिरते झरनों और जंगली जानवरों को देखने का शौक रखने वालों के लिए अच्छी खबर है। मध्य प्रदेश में इस बार मानसून सीजन में टाइगर रिजर्व पार्कों के बफर जोन में पर्यटन गतिविधियां जारी रहेंगी। बारिश के मौसम में प्रदेश के सभी टाइगर रिजर्व तीन माह के लिए 1 जुलाई से 30 सितंबर तक पर्यटकों के भ्रमण हेतु बंद हो जाते हैं। ऐसी स्थिति में पर्यटन उद्योग, पर्टयकों और स्थानीय रहवासियों को राहत देने के लिए प्रदेश सरकार ने पन्ना, बांधवगढ़, कान्हा, पेंच एवं सतपुड़ा टाइगर रिजर्व के बफर क्षेत्र में बारिश के मौसम में भी पर्यटन चालू रखने का निर्णय़ लिया है।
पन्ना टाइगर रिजर्व के क्षेत्र संचालक उत्तम कुमार शर्मा ने गांव कनेक्शन को बताया कि "बफर में सफर" योजना के तहत प्रदेश के अन्य टाइगर रिज़र्वों की तरह पीटीआर के अकोला व झिन्ना बफर क्षेत्र में कोरोना गाइडलाइन का पालन करते हुए पर्यटकों को जंगल में सैर करने की इजाजत रहेगी। 30 जून से टाइगर रिजर्व के कोर क्षेत्र में पर्यटन बंद हो जायेगा। लेकिन बफर क्षेत्र के अकोला व झिन्ना सहित पांडव फॉल एवं रनेह फॉल में पर्यटन मानसून सीजन में भी यथावत जारी रहेगा।"
मॉनसून सीजन में पर्यटन ने लिए पन्ना रिजर्व प्रबंधन द्वारा पूरी तैयारियां कर ली गई हैं। बारिश के दौरान जंगल की सैर में पर्यटकों को असुविधा न हो, इसके लिए उन मार्गों पर जहां मिट्टी है वहां पत्थर की पिचिंग करा दी गई है।
उत्तम कुमार शर्मा ने बताया, "बारिश के तीन माह टाइगर रिजर्व के कोर क्षेत्र पर्यटन हेतु इसलिए बंद रहते हैं, क्योंकि नदी व नालों में पानी आ जाता है तथा जंगली मार्ग भी खराब हो जाते हैं। इसके अलावा वन्य प्राणियों का यह प्रजनन काल भी होता है। पर्यटन बंद रहने से उन्हें इस दौरान एकांत और शांत वातावरण मिल जाता है।"
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होटल, रिसॉर्ट संचालकों व गाइडों की हुई बैठक
पन्ना टाइगर रिजर्व के दफ्तर से मिले आंकड़ों के मुताबिक साल 2018-19 में पर्टयकों से रिजर्व पार्क को 2 करोड़ 22 लाख की रेवेन्यु मिला था जबकि 2019-20 में 1 करोड़ 80 लाख मिले, वहीं साल 2020-21 में लगभग एक करोड़ का रेवेन्यु मिला है।
पन्ना टाइगर रिजर्व के उपसंचालक जरांडे ईश्वर रामहरि के मुताबिक मानसून पर्यटन को बेहतर तरीके से संचालित करने के लिए पूरी तैयारियां की गई हैं। पिछली 23 जून को कर्णावती व्याख्यान केंद्र मंडला में होटल व रिसॉर्ट संचालकों के साथ ही गाइडों और जिप्सी ड्राइवरों की बैठक भी हुई थी। जिसमें उन्हें बफर क्षेत्र के पर्यटक मार्गों व अट्रैक्शन प्वाइंटों (रोचक स्थलों) की जानकारी दी गई है।
जरांडे बताते हैं, "अकोला बफर में बराछ डेम, रॉक पेंटिंग तथा बाघ पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र रहेंगे। जबकि झिन्ना बफर क्षेत्र में बल्चर पॉइंट के साथ प्राकृतिक मनोरम स्थल, वाटरफॉल तथा गहरे सेहा हैं, जिनका पर्यटक लुत्फ उठा सकेंगे।"
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पन्ना-मंडला के बीच कोर क्षेत्र में स्थित पांडव जलप्रपात का मनोरम दृश्य। फोटो- अरुण सिंह
पर्यटन से जुड़े लोगों ने ली राहत की सांस
गौरतलब है कि कोरोना महामारी के चलते लगाये गए प्रतिबंधों से पर्यटन उद्योग बेपटरी हो गया था। विदेशी पर्यटकों के न आने से पन्ना टाइगर रिजर्व के निकट स्थित पर्यटन गांव मंडला के होटल और रिसॉर्ट सूने पड़े थे। मंदिरों के लिए प्रसिद्ध खजुराहो में भी सन्नाटा पसरा था। लेकिन 1 जून से टाइगर रिजर्व खुलने के बाद होटलों में चहल-पहल शुरू हुई है।
मानसून में पर्यटन जारी रहने से इस उद्योग से जुड़े लोगों ने राहत की सांस ली है। पन्ना टाइगर रिजर्व के एंट्री गेट पर मंडला गांव के पास ही मध्य प्रदेश टूरिज्म के अधिकारिक रिजार्ट के अलावा 8 रिजार्ट और है। यहीं पर केन नदी के किनारे स्थित एक रिजॉर्ट के मालिक रघुनंदन सिंह चुंडावत ने गांव कनेक्शन बताया, " कोराना काल में लगभग पूरा कामकाज बंद रहा। जब लॉकडाउन काम चालू होने पर भी सामान्य दिनों की अपेक्षा मुश्किल से 15-30 फीसदी कारोबार हुआ। ऐसे में अगर मॉनसून के दौरान बफर जोन ही खुला रहेगा तो कुछ खर्च तो निकलेगा ही।"
पन्ना टाइगर रिजर्व और खजुराहों हर साल विदेशी पर्टयक काफी संख्या में आते हैं। लेकिन कोरोना के बाद विदेशी पर्यटक नहीं आए और देशी पर्यटक घूमने तो जाते हैं लेकिन रिजार्ट में रुकते कम हैं।
एक होटल के संचालक प्रदीप सिंह राठौड बताते हैं, "बफर क्षेत्र में पर्यटन जारी रहने से इस संकट काल में कम से कम होटल का खर्च निकल आयेगा। स्थानीय गाइडों, जिप्सी ड्राइवरों को भी मानसून पर्यटन से लाभ मिलेगा।" पर्यटक गाइड पुनीत शर्मा ने बताया, "अकोला बफर का पर्यटकों में जबरदस्त आकर्षण है, क्योंकि यहां टाइगर की अच्छी साइटिंग हो रही है। निश्चित ही जब पर्यटक आएंगे तो हमें इसका लाभ भी मिलेगा।"
सैर करने में कहां कितना होगा खर्च
मानसून सीजन में पन्ना टाइगर रिजर्व के बफर क्षेत्र में पर्यटकों को सैर करने के लिए कहां कितना खर्च करना पड़ेगा, सैर में जाने से पहले यह जानना भी जरूरी है। उप संचालक जरांडे ने गांव कनेक्शन को बताया, "अकोला व झिन्ना बफर क्षेत्र में 12 सौ रुपए प्रति जिप्सी या 200 रुपये प्रति व्यक्ति शुल्क देना होता है। दोनों जगह पर्यटक दिन के उजाले में जंगल की सैर करने के साथ-साथ नाइट सफारी का भी आनंद ले सकते हैं। बफर क्षेत्र में सुबह, शाम व रात तीन शिफ्ट में पर्यटकों को भ्रमण हेतु इंट्री मिलती है।"
जरांडे के मुताबिक अकोला और झिन्ना बफर क्षेत्र के अलावा पर्यटक बारिश के मौसम में पन्ना-मंडला घाटी के बीच राष्ट्रीय राजमार्ग के किनारे स्थित सुप्रसिद्ध पांडव जलप्रपात के सौंदर्य का भरपूर लुत्फ ले सकते हैं। इसके अलावा खजुराहो के पास केन घड़ियाल अभयारण्य में रनेह फॉल के नजारे भी दर्शकों लुभाते हैं।
जरांडे ने बताया, "पांडव फॉल में प्रवेश शुल्क दोपहिया वाहन सौ रुपये, तीन पहिया वाहन 200 रुपये तथा चार पहिया वाहन का 300 रुपये लगता है। जबकि रनेह फॉल में दोपहिया वाहन 200 रुपये, तीन पहिया वाहन 400 तथा चार पहिया वाहन का 600 रुपए शुल्क लिया जाता है।"
The main attraction of Tourists at Madla gate, Panna Tiger Reserve. T-141 with two cubs.
— Panna Tiger Reserve (@PannaTigerResrv) June 28, 2021
Vc : Our Guest Rajiv Sharma pic.twitter.com/7I1ey4y6sJ
बाघ शावक हीरा व पन्ना बने आकर्षण का केंद्र
पन्ना टाइगर रिजर्व के कोर क्षेत्र से लगे अकोला बफर के जंगल में पर्यटकों को अमूमन रोज ही टाइगर दिख जाते हैं। बफर क्षेत्र के इस जंगल में 7-8 बाघों का रहवास है। अकोला बफर में तैनात रहे वन अधिकारी लालबाबू तिवारी ने बताया कि यहां बाघिन पी-234 (23) अपने तीन शावकों के साथ जहां अक्सर नजर आती है, वहीं 17 माह के हो चुके दो बाघ शावक हीरा और पन्ना जंगल में खूब चहल-कदमी करते हैं।
यहां के वन परिक्षेत्राधिकारी राहुल पुरोहित बताते हैं, "पन्ना-अमानगंज मार्ग पर भी चहल-कदमी करते हुए आए दिन हीरा और पन्ना नजर आते हैं। यह दोनों बाघ शावक पर्यटकों को बेहद प्रिय हैं तथा पर्यटकों ने ही इनका नाम हीरा और पन्ना रखा है। अकोला बफर में हजारों वर्ष पुरानी रॉक पेंटिंग भी हैं, जिन्हें देखने बड़ी संख्या में पर्यटक आते हैं।"
Happy News!. Panna Tiger Reserve, buffer area will be open for tourism during monsoon. Decision taken at meeting Chaired by Field Director and Deputy Director of PTR. pic.twitter.com/ix7VyJScBQ
— Panna Tiger Reserve (@PannaTigerResrv) June 23, 2021
क्या होता है टाइगर रिजर्व (जंगल) का बफर जोन
टाइगर रिजर्व के मुख्य जंगल से सटे जंगल को आम तौर पर बफर जोन कहा जाता है। यहां पर वाइल्ड लाइफ के नजारे दिखते हैं लेकिन इनकी आबादी इतनी सघन नहीं होती है। इन बफर जोन में भी चीतल, हिरन, तेंदुआ, टाइगर आदि दिख जाते हैं। यहां की सुरक्षा और रखरखाव भी टाइगर रिजर्व के द्वारा किया जाता है। मॉनसून के दौरान पहले कोर जंगल के साथ बफर जोन भी पर्टयन के लिए बंद कर दिया जाता था। लेकिन इस बार मध्य प्रदेश सरकार ने पर्यटन जारी रखने का फैसला किया है।
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