पचास फीट गहरे सूखे कुएं में गिरा तेंदुआ कैसे निकला बाहर?
मध्य प्रदेश के पन्ना में एक तेंदुआ बिना मुंडेर वाले कुएं में गिर गया। कुआं करीब 50 फीट गहरा था, ऐसे में उसने निकालने के लिए वन अधिकारियों ने अथक प्रयास किए लेकिन वो नाकाम रहे, आखिर में उन्होंने एक देसी तरीका अपनाया जो कामयाब रहा।
Arun Singh 23 July 2021 1:07 PM GMT
पन्ना (मध्य प्रदेश)। बिना मुंडेर वाले तकरीबन 50 फीट गहरे सूखे कुआं में यदि कोई वन्य प्राणी गिर जाए, तो उसके गंभीर रुप घायल होने तथा जिंदगी खतरे में पड़ने की आशंका अधिक रहती है। इन हालातों में यदि वन्य प्राणी बिना किसी जख्म व क्षति के सुरक्षित निकल आए तो इसे प्राकृतिक चमत्कार ही कहा जाएगा।
मध्य प्रदेश के पन्ना टाइगर रिजर्व से लगे सुप्रसिद्ध मझगंवा हीरा खनन परियोजना क्षेत्र में स्थित बिना मुंडेर वाले सूखे गहरे कुएं में बीती रात्रि (22 जुलाई) एक तेंदुआ गिर गया था। जिसे 24 घंटे से भी अधिक समय गुजरने के बाद सुरक्षित निकालने में वन अधिकारियों को सफलता मिली है।
बुधवार व गुरुवार (22 जुलाई) की दरमियानी रात्रि पन्ना टाइगर रिजर्व के जंगल से निकलकर तेंदुआ हीरा खनन परियोजना क्षेत्र में पहुंच गया था। रात के अंधेरे में यह तेंदुआ हीरा खदान के निकट स्थित एक पुराने सूखे कुएं में जा गिरा। कुआं में तेंदुआ के गिरने की खबर 22 जुलाई को सुबह जैसे ही पार्क प्रबंधन को मिली आनन-फानन रेस्क्यू टीम को मौके पर रवाना किया गया। पन्ना टाइगर रिजर्व के वन्य प्राणी चिकित्सक डॉक्टर संजीव कुमार गुप्ता के नेतृत्व में रेस्क्यू टीम ने गहरे कुआं से तेंदुआ को सुरक्षित बाहर निकालने का हर संभव प्रयास किया, लेकिन दिनभर चले अथक प्रयासों के बावजूद सफलता नहीं मिली।
इस चुनौतीपूर्ण रेस्क्यू ऑपरेशन के दौरान पन्ना टाइगर रिजर्व के क्षेत्र संचालक उत्तम कुमार शर्मा व उप संचालक जरांडे ईश्वर राम हरि भी मौके पर मौजूद रहे। मोटी रस्सियों के सहारे कुआं में चारपाई भी डाली गई, लेकिन यह युक्ति भी काम नहीं आई। तेंदुआ कुआं की तलहटी में काफी देर चहल-कदमी करता और फिर बैठ जाता था। जिससे यह तो साफ नजर आ रहा था कि वह जख्मी नहीं हुआ। आसपास लोगों की मौजूदगी से वह असहज होकर नाराजगी जरूर प्रकट कर रहा था। जब पूरे दिन चले प्रयासों से तेंदुए को बाहर निकालने में सफलता नहीं मिली तो पार्क प्रबंधन ने एक देशी व प्राकृतिक तरीका अपनाया और यह युक्ति काम आ गई।
तेंदुआ को निकालने में प्राकृतिक युक्ति आई काम
क्षेत्र संचालक पन्ना टाइगर रिजर्व उत्तम कुमार शर्मा ने बताया, "देर शाम तक जब सारे प्रयास विफल हो गए तो हमने बिल्कुल देसी और प्राकृतिक तरीका अपनाया। कुआं की गहराई के नाप का एक यूकेलिप्टस का पेड़ शाम के समय कुआं के भीतर डालकर मौके से सभी को हटा दिया गया। पूरी रात तेंदुआ कुआं के भीतर ही रहा और जब उसे यह अहसास हुआ कि आस-पास कोई नहीं है तो वह सुबह लगभग 5:30 बजे बड़े आराम से पेड़ के सहारे चढ़कर कुएं के बाहर आ गया।"
शर्मा के मुताबिक तेंदुआ सहजता के साथ वहां से जंगल की तरफ निकल गया है। वन क्षेत्र के आसपास बिना मुंडेर वाला कुआं नहीं होना चाहिए, क्योंकि ऐसे असुरक्षित कुंओं में वन्य प्राणियों के गिरने की संभावना बनी रहती है।
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आबादी क्षेत्र के आस पास रहती है मौजूदगी
शर्मा आगे बताते हैं कि तेंदुआ एक शातिर शिकारी होने के साथ-साथ पेड़ पर चढ़ने में भी कुशल होता है। उसकी इसी कुशलता को ध्यान में रखकर पीटीआर के अधिकारियों ने कुआं में पेड़ डाला और तेंदुआ बाहर निकल गया। वन अधिकारियों के मुताबिक आमतौर पर तेंदुआ आबादी क्षेत्र के आसपास रहना पसंद करता है। क्योंकि छोटे बछड़े उसके आसान शिकार होते हैं।
पन्ना जिले में जंगल से लगे ग्रामों में तेंदुआ अक्सर ही छोटे बछड़ों को अपना शिकार बना लेते हैं। बीते मई के महीने में मझगंवा के निकट स्थित ग्राम जरुआपुर व मनौर में तेंदुए ने बछड़ों का शिकार किया था। आसपास के ग्रामों बडौर, दरेरा, मड़ैयन, हिनौता आदि में इस तरह की घटनाएं होती रहती हैं। पीड़ित मवेशी पालकों को होने वाली क्षति का वन विभाग द्वारा मुआवजा दिया जाता है।
पन्ना टाइगर रिजर्व में मौजूदा समय 29 बाघिन हैं, जिनमें 12 बाघिन शावकों को जन्म दे रही हैं। वर्ष 2020 में यहां शावकों सहित बाघों की संख्या 64 थी जो 2021 के अंत तक बढ़कर 78 होने की उम्मीद है।
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