मध्य प्रदेश: पन्ना के आधा दर्जन गांवों में तेंदुए का आतंक, हीरे की खदान में भी नहीं जा रहे ग्रामीण

मध्य प्रदेश के पन्ना जिले के मनौर व जरुआपुर गांव के लोग दहशत के माहौल में जीने को मजबूर हैं। घटना के बाद तेंदुए के पैरों के निशान भी साफ देखे गए।

Arun SinghArun Singh   21 May 2021 11:37 AM GMT

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मध्य प्रदेश: पन्ना के आधा दर्जन गांवों में तेंदुए का आतंक, हीरे की खदान में भी नहीं जा रहे ग्रामीण

पन्ना जिले का जरुआपुर गांव जहाँ से तेंदुआ बछड़े को उठाकर ले गया, वहां सन्नाटा पसरा है।  फोटो - सुनील गोंड

पन्ना ( मध्य प्रदेश)। जंगल के आसपास स्थित पन्ना जिले के आधा दर्जन गांवों में बीते दो दिनों से तेंदुए का आतंक कायम है। इस दौरान तेंदुए ने एक घर के बाड़े में बंधे तीन बछड़ों व एक पड़िया को जहां मार दिया है, वहीं एक बछड़ को घसीट कर जंगल की तरफ ले गया है। तेंदुए के डर से मनौर व जरुआपुर गांव समेत कई गांवों में लोग घरों में कैद हैं और दहशत के माहौल में जी रहे हैं।

पन्ना टाइगर रिजर्व के बफर क्षेत्र व उत्तर वन मंडल के जंगल से लगे 150 से अधिक गांव हैं, जहां हिंसक वन्य प्राणियों का खतरा बना रहता है। इन गांवों में तेंदुआ अक्सर ही मवेशियों को अपना शिकार बना लेते हैं। पन्ना शहर से लगभग 10 किलोमीटर दूर जरुआपुर गांव में गुरुवार (20 मई) तड़के करीब 3 बजे के लगभग तेंदुआ शंकर बंगाली के घर में घुस गया। घर के जिस हिस्से में मवेशी बंधे थे, वहां से इस तेंदुए ने एक बछड़े को दबोच कर उसे जंगल की तरफ घसीट ले गया। घर के बाहर तेंदुए के पैरों के निशान साफ देखे जा सकते थे।

ग्रामीणों ने रास्ते में बने तेंदुआ के पैरों के निशान दिखाते हुए बताया कि बछड़े को यहीं से घसीटकर तेंदुआ ले गया। इस घटना के पहले पास के ही मनौर गांव में मंगलवार (18 मई) की रात तेंदुए ने गांव के पशुपालक राजेंद्र सिंह यादव के बाड़े में पहुंचा और तीन बछड़ों व एक पड़िया को बुरी तरह से जख्मी कर मार डाला। रात में बारिश होने व बिजली नहीं रहने के कारण राजेंद्र को तेंदुआ के आने की भनक नहीं लगी। अगले दिन (19 मई) सुबह जब राजेंद्र पशुओं के बाड़े में गए, तो वहां का नजारा देख हैरान रह गए। बछड़े मृत पड़े थे और तेंदुए के पंजे के निशान आसपास मौजूद थे।

वन्य प्राणी तेंदुआ फाइल फोटो

तेंदुए के डर से हीरा खदान में नहीं जा रहे ग्रामीण

तेंदुए के आबादी क्षेत्र में दस्तक देने से मनौर व जरुआपुर सहित आसपास के गांव बडौर, दरेरा व मडैयन में दहशत बनी हुई है। इस वजह से ग्रामीण काम पर भी नहीं जा रहे हैं। गांव की महिलाएं व बच्चे घरों के भीतर कैद हैं। लोगों को डर है कि तेंदुआ आसपास ही मौजूद है, जो कभी भी हमला कर सकता है। जरुआपुर के भागवत गोंड़ ने बताया, "हमारे गांव के बहुत लोग हीरा खदान में मजदूरी करने जाते हैं, लेकिन दो दिना से नहीं जा रहे।"

गांव के ही युवक सुनील गोंड़ ने बताया, "कोरोना के डर से ज्यादातर लोग गांव से बाहर नहीं जाते थे, कुछ लोग ही हीरा खदान जाते रहे हैं, लेकिन तेंदुए की मौजूदगी के कारण अब कोई भी काम पर नहीं जा रहा। सुनील ने बताया कि गांव का राकेश गोंड़ हीरा खदान गया था, लेकिन जैसे ही उसे पता चला कि तेंदुआ बछड़ा उठाकर ले गया है वह भी वापस लौट आया है।"

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पीड़ित पशुपालकों को मिलेगा मुआवजा

मनौर व जरुआपुर गांव में जहां तेंदुए ने मवेशियों के बच्चों को मारा है। ये दोनों गांव उत्तर वन मंडल पन्ना के विश्रमगंज वन परिक्षेत्र में आते हैं। घटना के संबंध में जब उत्तर वन मंडल पन्ना के वन मंडल अधिकारी (DFO) गौरव शर्मा से जानकारी ली गई, तो उन्होंने गांव कनेक्शन को बताया, "अभी उन्हें घटना की जानकारी नहीं हैं। रेंजर से जानकारी लेकर पीड़ित पशुपालकों को त्वरित मुआवजा राशि दिलाने की प्रक्रिया शुरू की जाएगी।" शर्मा ने आगे कहा, " जंगली जानवरों से पशु हानि होने के प्रकरण चार-पांच दिन में निपटने के प्रयास किए जाते हैं। दुधारू पशुओं, बछड़ों व बकरी आदि की क्षति होने पर अलग-अलग मुआवजा राशि तय है। उसी के अनुरूप पीड़ितों को राशि प्रदान की जाती है।"

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