अनाथ हो चुके शावकों का रखवाला बना नर बाघ, ऐसे कर रहा है परवरिश
आमतौर पर बाघिनों की मौत के उसके शावकों का जीवन संकट में पड़ जाता है। उन्हें बचाने के 2 ही तरीके होते हैं या तो उन्हीं किसी चिड़ियाघर में रखा जाए या फिर जंगल में उन्हें सुरक्षित ठिकाना दिया जाए, लेकिन जंगल में पालना बहुत जोखिम भरा होता है। लेकिन पन्ना के 4 शावकों की खुशकिस्मती है कि उन्हें रखवाला मिल गया है।
Arun Singh 24 May 2021 6:20 AM GMT
पन्ना (मध्यप्रदेश)। जंगल की निराली दुनिया में ऐसा कुछ न कुछ घटित होता रहता है, जिसे देख लोग अचंभित होते हैं और हैरत में पड़ जाते हैं। मध्यप्रदेश के पन्ना टाइगर रिजर्व में इन दिनों ऐसा ही कुछ दुर्लभ नजारा देखने को मिल रहा है, जिससे वन अधिकारी आश्चर्यचकित तो हैं ही उत्साहित और प्रसन्न भी हैं। कम उम्र में ही अनाथ हो चुके चार शावकों का रखवाला उनका पिता बन गया है। नर बाघ के इस रवैये शावकों का जीवन एक हद तक सुरक्षित हो गया है।
आमतौर पर बाघिनों की मौत के बाद बाघ बच्चों को पालने में रुचि नहीं लेते हैं। ऐसा बहुत कम बार होता है जब कोई नर बाघ छोटे-छोटे शावकों की परिवरिश का जिम्मा लेता है। लेकिन बाघों के स्वभाव व आचरण से अलहदा पन्ना के चार शावकों का पिता नर बाघ पी-243 उनका लालनपोषण कर रहा है। पन्ना टाइगर रिजर्व में बाघ-बाघिन को लेकर कई वाक्ये पहले भी हुए जिन्होंने बाघ पुनर्स्थापना योजना की सफलता के साथ-साथ अभिनव प्रयोगों के लिए भी इस टाइगर रिजर्व को पहचान दिलाई है। इसीलिए शायद पन्ना टाइगर रिजर्व में हर साल देशदुनिया से ना सिर्फ भ्रमण के लिए आते हैं बल्कि कई लोग शोध भी करते हैं। बीते साल पन्ना टाइगर रिजर्व को यूनेस्को की 'वर्ल्ड नेटवर्क ऑफ बायोस्फीयर रिजर्व' सूची में शामिल किया गया है। बुंदेलखंड क्षेत्र में यह एकमात्र टाइगर पापुलेशन वाला रिज़र्व वन क्षेत्र केन-बेतवा लिंक परियोजना को लेकर भी चर्चा में बना हुआ है।
संबंधित खबर- हाथियों और मनुष्य के टकराव को रोक रही हैं मधुमक्खियां, कर्नाटक में री-हैब प्रोजेक्ट की शुरुआत, ऐसे हो रहा किसानों को फायदा
पन्ना टाइगर रिजर्व में 15 मई को करीब 6 साल की बाघिन की अज्ञात कारणों से मौत हो गई थी। उसके 4 शावक 3 दिन बाद मिले थे। 6 से 8 महीने के इन शावकों की सुरक्षा, संरक्षण तथा उनके भविष्य को लेकर पार्क प्रबंधन ऊहापोह की स्थिति में था। प्रबंधन के सामने सिर्फ दो ही विकल्प थे, पहला यह कि उनका रेस्क्यू कर किसी सुरक्षित जगह में रखकर उनका पालन-पोषण हो। लेकिन यह उनके लिए किसी सजा से कम नहीं था, क्योंकि चारों शावक स्वाभाविक प्राकृतिक जीवन से वंचित रह जाते। दूसरा विकल्प शावकों को जंगल में ही चुनौतियों के बीच संघर्ष करते हुए अपने आप को बचाने का अवसर प्रदान करना था, जो जोखिमभरा और शावकों की जिंदगी के लिए खतरनाक था। लेकिन नर बाघ और इन शावकों के पिता ने पार्क प्रबंधन की ये मुश्किल आसान कर दी है।
नर बाघ के व्यवहार को देख लिया गया फैसला
नर बाघ पी-243 जो शावकों का पिता है, उसके अप्रत्याशित और शावकों के प्रति सकारात्मक व्यवहार को देख पार्क प्रबंधन ने शावकों को खुले जंगल में ही रखने का निर्णय लिया है। क्षेत्र संचालक पन्ना टाइगर रिजर्व उत्तम कुमार शर्मा बताते हैं, "बाघिन की मौत के बाद से नर बाघ उसी इलाके में हैं जहां चारों शावक हैं। नर बाघ यह एरिया छोड़कर कहीं भी अन्यत्र नहीं गया।"
वो आगे बताते हैं, "सबसे ज्यादा हैरत वाली बात यह है कि शावक भी नर बाघ के साथ सहज रूप से चहल-कदमी कर रहे हैं तथा उसके पीछे-पीछे घूमते और टहलते हैं। नर बाघ न सिर्फ शावकों की देखरेख कर रहा है, बल्कि उनके लिए खाने का भी प्रबंध करता है।"
क्षेत्र संचालक शर्मा के मुताबिक आमतौर पर नर बाघों में इस तरह का व्यवहार देखने को नहीं मिलता। बाघों की जीवनचर्या व खुले जंगल में उनके व्यवहार पर जो भी शोध व अध्ययन हुए हैं, कहीं भी यह बात निकलकर नहीं आई कि मां की मौत होने पर अनाथ शावकों की देखरेख नर बाघ करता हो।
ये भी पढ़ें- 'अगर वो हाथी बेजुबान न होता तो ज़रूर पूछता... फैसला कौन करेगा?'
नर बाघ पी-243 को पहनाया गया रेडियो कॉलर
बाघिन की मौत के बाद अनाथ हो चुके शावकों के प्रति नर बाघ का अच्छा व सहयोगात्मक व्यवहार देखकर पार्क प्रबंधन ने बाघ पी-243 को रेडियो कॉलर पहनाया है। ऐसा करने से न सिर्फ नर बाघ पी-243 की मॉनिटरिंग हो रही है, बल्कि उसके साथ रह रहे चारों शावकों पर भी नजर रखी जा रही है। यदि सब कुछ सामान्य रहा और आने वाले तीन-चार माह तक नर बाघ इसी तरह शावकों की देखरेख करता रहा, तो शावक एक वर्ष के होने पर खुद ही शिकार करने व स्वतंत्र रूप से अपना जीवन जीने में सक्षम हो जाएंगे।
पन्ना टाइगर रिजर्व का यह अभिनव प्रयोग यदि सफल रहा तो भविष्य में अनाथ शावकों के लिए यह एक मिसाल बनेगा। मालूम हो कि बाघिन की मौत के बाद यह आशंका जताई जा रही थी कि नर बाघ शावकों को मार सकता है, लेकिन फिलहाल यह आशंका निर्मूल साबित हुई है।
राजस्थान के रणथंभौर नेशनल पार्क में हुआ था ऐसा ही चमत्कार
पन्ना बाघ पुनर्स्थापना योजना के मुख्य सूत्रधार पूर्व क्षेत्र संचालक आर. श्रीनिवास मूर्ति ने पन्ना टाइगर रिज़र्व में नर बाघ पी-243 द्वारा अनाथ शावकों के प्रति जिस तरह का बर्ताव किया जा रहा है, उस पर प्रशन्नता जाहिर की है। मूर्ति ने कहा, "ठीक ऐसा ही व्यवहार करीब एक दशक पहले पूर्व राजस्थान के रणथम्भौर नेशनल पार्क में भी देखा गया था।"
इस बात की पुष्टि राज्य वन्य प्राणी बोर्ड के पूर्व सदस्य हनुमंत सिंह व बाघ विशेषज्ञ और वैज्ञानिक रघुनन्दन सिंह चुण्डावत ने भी की है।
हनुमंत सिंह ने बताया, "वर्ष 2011 में एक बाघिन की मौत हो गई थी, जिसके दो मादा शावक थे। इन अनाथ हो चुके शावकों की परवरिश नर बाघ टी-25 ने की थी। मौजूदा समय दोनों बाघिन सरिस्का राष्ट्रीय उद्यान में हैं। मादा शावकों की परवरिश कर उन्हें नैसर्गिक जीवन जीने के लिए सक्षम बनाने वाले नर बाघ टी-25 की गत वर्ष मौत हो चुकी है। इस बाघ की मौत होने पर राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलौत द्वारा बाघ की फोटो के साथ ट्वीट भी किया था।"
संबंधित खबर- पन्ना टाइगर रिजर्व: मृत बाघिन के चारों लापता शावक जंगल में अठखेलियां करते नजर आए
जंगल से राहत की खबर...
— GaonConnection (@GaonConnection) May 24, 2021
पन्ना टाइगर रिजर्व पार्क में बाघिन की मौत के बाद 4 शावकों का रखवाला बना नरबाघ
संबंधित खबर- https://t.co/ptWIo75wkS
वीडियो साभार- PTR, #MadhyaPradesh #Tiger #WildAnimals pic.twitter.com/k9rIw5HjBJ
बाघ के साथ अठखेलियां करते शावकों का वीडियो जारी
जंगल में नर बाघ पी-243 के साथ चहल-कदमी व अठखेलियाँ करते शावकों का एक वीडियो पन्ना टाइगर रिजर्व प्रबंधन द्वारा जारी किया गया है। यह वीडियो गत 22 मई को बनाया गया है जिसे देखकर प्रतीत होता है कि चारों अनाथ शावक नर बाघ (पिता) के साथ सहज और निश्चिन्त हैं। बाघ जंगल में जहां जाता है शावक भी उसके पीछे चलते हैं, जैसा मां के साथ चलते थे। बाघ के आसपास ही चारों शावक चट्टानों में बैठे नजर आते हैं। वन अधिकारियों ने बताया कि नर बाघ जब शिकार करता है तो वह इन शावकों को भी खिलाता है। अधिकारी बताते हैं कि नर बाघ व शावकों की सघन निगरानी की जा रही है। इसके लिए इलाके में दो प्रशिक्षित हाथियों सहित वन अमले को तैनात किया गया है।
#tiger #tiger reserve #madhya pradesh #story
More Stories