नहीं लगेंगे कीट और रोग, इस किसान ने खोजा बिना लागत वाला जैविक तरीका.. देखिए वीडियो

Neetu SinghNeetu Singh   28 Feb 2020 9:19 AM GMT

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मध्य प्रदेश (मंदसौर)। अगर आप अपनी फसल में लगने वाले कीट-पतंग से परेशान हैं, तो मध्य प्रदेश के इस किसान से जरूर मिलिए। मध्य प्रदेश का ये किसान फसल में लगने वाले कीट-पतंगों के लिए बाजार नहीं जाता। अर्जुन पाटीदार घर पर ही कुछ देसी कीटनाशक दवाईयां बनाकर अपने फसलों में लगने वाले कीट-पतंग से छुटकारा पा लेते हैं।

"मैं कई वर्षों से बाजार नहीं गया हूँ, फसल में बीज से लेकर खाद, कीटनाशक दवाईयां सबकुछ घर पर ही बना लेता हूँ। मुझे लगता है, अगर किसान हर चीज बाजार से खरीदेगा तो उसकी लागत भी ज्यादा होगी और वो अपनी मिट्टी को भी बर्बाद कर देगा।" ये किसान है किसान अर्जुन पाटीदार (35 वर्ष) का। वो आगे बताते हैं, "हमारे खेत में लगी कोई भी सब्जी या फल आप बिना धुले बेधड़क खा सकते हैं क्योंकि उसमे जहर नहीं होता है। हम अपने खाने में शुद्ध देसी चीजें खाते हैं जिसमें जहर नहीं होता है।" ( देखिए वीडियो)

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अर्जुन पाटीदार घर पर बनाते हैं देसी खाद और दवाईयां।

मध्यप्रदेश के मंदसौर जिला मुख्यालय से 70 किलोमीटर दूर पूरब दिशा में गुराडिया प्रताप गाँव के प्रगतिशील किसान अर्जुन पाटीदार की तरह कई किसान हैं जो पूरी तरह से जैविक खेती करते हैं। यहां के किसानों का मानना है कि हमें अपनी फसलों की लागत कम करने के लिए और मिट्टी को बर्वाद करने से खुद बचाना है। अगर हमें स्वस्थ्य रहना है तो खेत में जहर का छिड़काव बंद करना होगा। अर्जुन पाटीदार द्वारा बनाए कुछ देसी तरीके कोई भी किसान अपनी फसल में इस्तेमाल करके अपनी लागत बचा सकता है। अर्जुन जैविक खेती पर किसानों को प्रशिक्षित करने वाले 'साकेत' नाम के ग्रुप से जुड़े हुए हैं।( देखिए वीडियो)

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पांच पत्ती काढ़ा बनाने की विधी-

किसी भी फसल में अगर कीट-पतंग लगने की शुरूवात हो गयी है तो पहली खुराक के रूप में पांच पत्ती का काढ़ा बनाकर छिड़काव किया जाता है। पांच प्रकार के पत्ते जिसमें नीम, आक, धतूरा, बेसरम, सीताफल की पत्तियों को पांच लीटर देसी गाय के गोमूत्र में भरकर मिट्टी के बर्तन में रख दें। इसे छानकर 200 लीटर पानी में मिलाकर एक एकड़ फसल में इसका छिड़काव करने से फसल में कीट-पतंग नहीं लगेंगे।

छोटी सी जगह में बनी है हर प्रकार की कीटनाशक दवाईयां

लहसुन आधारित जैविक कीटनाशक

लहसुन, अदरक, हींग का छिड़काव करने से कीटपतंग मरते नहीं हैं। इसके छिड़काव के बाद इसकी गंध से फसल में कीट पतंग लगते नहीं हैं।

दशपर्णी अर्क बनाने की विधि

दशपर्णी अर्क का उपयोग फसल में लगने वाले सभी प्रकार के रस चुसक और सभी इल्लियों के नियंत्रण के लिए किया जाता है। 200 लीटर पानी, दो किलो गाय का गोबर, 10 लीटर गोमूत्र, दो किलोग्राम करंज के पत्ते, दो किलोग्राम सीताफल के पत्ते, दो किलोग्राम धतूरा के पत्ते, दो किलोग्राम तुलसी के पत्ते, दो किलोग्राम पपीता के पत्ते, दो किलोग्राम गेंदा के पत्ते, दो किलोग्राम नीम के पत्ते, दो किलोग्राम बेल के पत्ते, दो किलोग्राम कनेर के पत्ते, 500 ग्राम तम्बाकू पीसकर या काटकर, 500 ग्राम लहसुन, 500 ग्राम पीसी हल्दी, 500 ग्राम तीखी हरी मिर्च, 200 ग्राम अदरक या सोंठ।

एक प्लास्टिक के बर्तन में सभी सामग्री मिलाकर जालीदार कपड़े से बांधकर 40 दिन छाया में रख दें। सुई की दिशा में सुबह शाम हिलातें रहें। इसका फसल में छिड़काव करने से रस चुसक और इल्लियाँ नहीं लगेंगी।

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अपनी फसल को दिखाते अर्जुन पाटीदार।

नीम आधारित कीटनाशक की निर्माण विधि

नीम आधारित कीटनाशक बनाने के लिए 10 लीटर गोमूत्र में 3 किलोग्राम नीम की पत्ती की चटनी, 2 किलोग्राम आक के पत्तों की चटनी, 2 किलोग्राम सीताफल पत्ते की चटनी, 2 किलोग्राम धतुरा के पत्ते की चटनी, 2 किलोग्राम बेशरम के पत्ते की चटनी को एक मिट्टी के बर्तन में डालकर आग में तबतक उबालें जबतक चार उबाले न आ जाएं। आग से उतारकर 48 घंटे छाँव में ठंडा होने के लिए रख दें। इसके बाद कपड़े से छानकर 15 लीटर पानी में आधा से एक लीटर तक कीटनाशक मिलाकर स्प्रे करे।

तनाछेदक कीटों से बचाव के लिए इसी में आधा किलोग्राम हरी तीखी मिर्च की चटनी और 500 ग्राम देसी लहसुन की चटनी मिलाकर कीटनाशक बनाये।

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इन देसी उपकरणों भी ये बनाते हैं घर पर।

फफूंदनाशक दवा की निर्माण विधि

खट्टी छाछ में दो दिन के लिए एक तांबे का टुकड़ा डालकर रखा रहने दें, दो दिन बाद इस छाछ की आधा लीटर मात्रा को 15 लीटर पानी में खूब अच्छी तरह मिलाकर फसल में छिड़काव करें। इससे फसल में फफूंदनाशक नहीं लगेगी।

फसल को वायरस से ऐसे बचाएं

पौधों को वायरस के संक्रमण से बचाने के लिए पूरे फसल चक्र में तीन बार एक लीटर देशी गाय के दूध में 15 लीटर पानी, 50 ग्राम हल्दी प्रति टंकी के हिसाब से स्प्रे करें। इसके अलावा पानी में हींग, हल्दी मिलकर फसल की जड़ों में ड्रिन्चिग करने से वायरस नहीं लगेगा।

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फेरोमेन ट्रैप और स्ट्रिकी ट्रैप से फसल में नहीं लगते कीट पतंग

प्रभावी कीट नियंत्रण के लिए स्वनिर्मित लाईट ट्रैप, फेरोमेन ट्रैप और स्ट्रिकी ट्रैप का उपयोग करने से फसल में कीट नहीं आते हैं। फेरोमेन ट्रैप में मादा का लेप करने से इसकी गंध से कीट मर जाते हैं। एक एकड़ में 10 फेरोमेन ट्रैप या फिर 10 पीले रंग के स्ट्रिकी ट्रैप में गिरीस का लेप लगाने से कीट उसी स्ट्रिकी ट्रैप में चिपक जायेंगे।

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