भूमाफ़िया का पैंतरा, पुलिस की किसान पर ज़्यादती और ज़मीन का केस बन गया राजनीति का मुद्दा

गुना में किसान परिवार के साथ जो हुआ वो शर्मनाक है। मामला बढ़ने पर सरकार ने आनन-फानन में कलेक्टर-एसपी को हटा दिया लेकिन इसके दूसरे पहलू पर बात नहीं हो रही, इसके पीछे के मास्टर माइंड पर अब तक कार्रवाई क्यों नहीं हुई?

Arvind ShuklaArvind Shukla   16 July 2020 11:13 AM GMT

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मध्य प्रदेश के गुना जिले के वायरल हो रहे वीडियो में पुलिस से पिटता एक किसान परिवार दिख रखा है, एक महिला, एक पुरुष बेसुध हैं और बच्चे बिलखते नजर आ रहे हैंए लेकिन जो नहीं दिख रहा है वह एक शख्स जिसके आपराधिक दिमाग का मोहरा ये किसान परिवार बन गया। पुलिस के डंडे से मार खाते किसान का वीडियो सोशल मीडिया में वायरल होने और सरकार की चौतरफा आलोचना होने के बाद सीएम शिवराज सिंह चौहान ने उत्तस्तरीय जांच के आदेश दिए हैं। रात तक कलेक्टर और पुलिस अधीक्षक को हटाने के आदेश दिए गए।

इस मास्टरमाइंड की कहानी से पहले वो जानना जरुरी है जो 30 से 45 सेकेंड के वीडियो में सोशल मीडिया में वायरल हुआ। भोपाल से करीब 200 किलोमीटर दूर गुना जिले में कैंट के नानखेडी गांव (ग्राम पंचायत जगनपुर) में राजकुमार अहिरवार का परिवार करीब 10 एकड़ जमीन बटाई पर लेकर खेती कर रहा था। ये जमीन शिक्षा विभाग के नाम पर आवंटित है, जिस पर एक कॉलेज का निर्माण होना है। मंगलवार को राजस्व और पुलिस की टीमें दलबल के साथ जमीन की नाप-जोख करवाकर जमीन अपने कब्जे में लेने गई थीं,

बटाईदार किसान राजकुमार अहिरवार और उनकी पत्नी सावित्री ने कीटनाशक पिया, जिसके बाद वो बेसुध गए। तस्वीर में बिलखते उनके बच्चे। फोटो- साभार सोशल मीडिया

उक्त जमीन पर राजकुमार अहरिवार, उनकी पत्नी सावित्री देवी और भाई शिशुपाल अहिरवार आदि ने मिलकर सोयाबीन और मक्का बो रखी थी, अपनी फसल में जेसीबी चलती देख राजकुमार अहिरवार ने फसल खराब न करने का अनुरोध किया, और सुनवाई न होने पर पति-पत्नी ने फसल में डालने के लिए रखा जहरीला कीटनाशक पी लिया।

कलेक्टर गुना (तत्कालीन) एस विश्वनाथन ने गांव कनेक्शन को बताया, " जमीन सरकार की है, इससे पहले भी प्रशासन ने इसे कब्जा मुक्त कराया था, लेकिन फिर भूमाफिया ने फिर कब्जा कर लिया था। मंगलवार को जब टीम पहुंची तो भूमाफिया गब्बू पारदी ने बटाईदार किसान राजुकमार अहिरवार को आगे कर दिया। कार्रवाई रोकने के लिए राजकुमार अहरिवार और उनकी पत्नी ने कीटनाशक पी लिया। पुलिस उन दोनों को तत्काल अस्पताल ले जाना चाहती थी, लेकिन इन्हीं के बीच के कुछ लोग ले जाने नहीं दे रहे थे। राजकुमार के भाई शिशुपालन एक महिला पुलिस कर्मी को धक्का दिया (वीडियो में दिख रहा है) जिसके बाद पुलिस ने कार्रवाई की।"

बुधवार देर शाम गांव कनेक्शन से फोन पर कलेक्टर एस विश्वनाथन ने बताया की उन्होंने मामले की अपने स्तर पर जांच कराई है। " जांच में प्राथमिक तौर पर पता चलता है कि अतिक्रमणकारी (गब्बू पारदी) चाहते थे कि राजकुमार और उनकी पत्नी की मौके पर मौत हो जाए, ताकि केस दूसरा बन जाए, लेकिन पुलिस ने उन्हें किसी तरह अस्पताल पहुंचाया और जिनकी जान बच गई। हमारी मुख्य कार्रवाई भूमाफिया गब्बू पारदी के खिलाफ है, लेकिन वो सामने नहीं आया। प्रशासन की टीम राजकुमार के परिवार की सरकारी घर दिलाने (पीएम आवास आदि) में मदद करेगी, उसके रोजगार का प्रबंध कराएगी और बच्चों को महास्वरूप बाल आश्रम में भर्ती कराएगी।'

इसी बीच मध्य प्रदेश के गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा ने ट्वीटर पर लिखा, " गुना के वीडियो को देखकर व्यथित हूं। इस तरह की घटनाओं से बचा जाना चाहिए।" उन्होंने जारी वीडियो में कहा कि मुख्यमंत्री (शिवराज सिंह) ने मामले में उच्चस्तरीय जांच के आदेश दिए हैं, भोपाल से अधिकारी जाकर जांच करेंगे, और ये देखेंगे कि कौन दोषी है, दोषी पर क्या कार्रवाई हुई इसकी रिपोर्ट देंगे।"

इससे पहले मामला सुर्खियों में आने के बाद मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने 44 सेकेंड के वीडियो को ट्वीटर पर जारी करते हुए इसे मध्य प्रदेश में जंगलराज बताया। पूर्व मुख्यमंत्री ने सरकार से सवाल किया कि गुना में दलित किसान दंपति पर बड़ी संख्या में पुलिस कर्मियों ने बर्बरता पूर्ण लाठीचार्ज किया। अगर जमीन संबंधी कोई शासकीय विवाद है तो उसका कानूनन हल निकाला जाना चाहिए था। इस तरह कानून हाथ में लेकर किसान उसकी पत्नी और बच्चों की बेरहम पिटाई कहां का न्याय है?"

कमलानाथ के अलावा कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्वजिय सिंह ने कहा कि इस तरह की बर्बारता किसी हाल में स्वीकर नहीं की जाएगी तत्काल दोषियों पर कार्रवाई हो।

कांग्रेस के कई नेताओं, विधायकों ने भी शिवराज सरकार को आड़े हाथों लिया, इस दौरान कांग्रेस गुना के पूर्व सांसद और बीजेपी नेता ज्योतिरादित्य सिंधिंया पर भी निशाना साधा।

क्यों पिया किसान और उसकी पत्नी ने कीटनाशक

पीड़ित किसान राजकुमार अहिरवार की पत्नी सावित्री देवी अहरिवार के कार्रवाई के दौरान पत्रकारों से बात करते हुए बताया, उन्हें नहीं पता था कि ये जमीन सरकारी है। हमने तो उनसे (गब्बू पारदी) से बटाई पर ली है। हमने खेती के लए तीन लाख रुपए का कर्ज़ लिया है। इसलिए हम कर रहे थे कि 2 महीने और रुक जाओ, हम फसल काटने के बाद चले जाएंगे।"

पत्रकार पूछते हैं कि आपकी गेहूं की फसल भी उखाड़ी गई थी, फिर आपने ये फसल बोई, और आप पर कितना कर्जा है?

जिसके जवाब में सावित्री बाई अहिरवार कहती हैं," हां हमने ये फसल (गेहूं के बाद वाली) बोई, ताकि कर्ज़ा चुका सकें। हम पर 3 लाख का कर्ज़ा चढ़ा है। अब कर्जा़ कैसे चुकाएंगे अगर सरकार नहीं देगी तो हम दवाई (कीटनाशक) पीएंगे और मरेंगे। इतने बच्चे कहां से पालेंगे, राशन कार्ड हमारे पास है नहीं और कुटी (सरकारी कॉलोनी) है नहीं।"

किसकी है ये विवादित जमीन और कहां से शुरु हुआ विवाद?

गुना जिला प्रशासन द्वारा जारी विज्ञप्ति के मुताबिक कैंट थाना इलाके में जून-18 में ग्राम जगनपुर स्थित सर्वे नंबर 13/1 वा 13/4 रकबा 2.090 और 2.090 हेक्टेयर को नवीन आदर्श महारविद्याल के नाम स्वीकृत किया गया था। इस सरकारी जमीन पर गब्बू पारदी ने कब्जा कर रखा था, जिनके खिलाफ नवंबर 2019 में तहसीलदार ने बेदखली की कार्रवाई थी। जिसके बाद इस पर फिर से कब्जा हो गया।

इस जमीन का मामला दोबारा सुर्खियों तब आया मध्य प्रदेश उच्च शिक्षा आयुक्त ने जिला प्रशासन को एक खत लिखा, जिसमें कहा गया कि जून 2020 तक अगर कॉलेज का निर्माण कार्य शुरु नहीं कराया गया तो ये विद्यालय जिसके लिए 12 करोड़ रुपए भी आवंटित है, दूसरे जिलों को दे दिया जाएगा। जिसके बाद जिला प्रशासन इस जमीन पर कब्जा लेकर दोबार शिक्षा विभाग को हैंडओवर करने में लगा था।

कलेक्टर विश्वनाथन ने गांव कनेक्शन को बताया कि जमीन कब्जाने वाला गब्बू पारदी (पुत्र गाल्या पारदी) बड़ा भूमाफिया है, जिले के सरकारी आंकड़ों में 91 एकड़ जमीन रजिस्टर्ड है। तीन बीघे में उसकी कोठी बनी है। उसने ही ये जमीन कब्जा कर राजकुमार अहिरवार परिवार को दी थी। प्रशासन ने उस पर केस दर्ज किया है और जल्द उस पर कड़ी कार्रवाई होगी"

पूर्व पार्षद और भूमाफिया गब्बू पारदी-कलेक्टर

कलेक्टर गांव कनेक्शन को बताते हैं, कि मंगवलवार को जो घटनाक्रम हुआ, उसमे कई लोग अहिरवार परिवार को कीटनाशक पीने के लिए उसका रहे थे वो चाहते थे कि बच्चे भी कीटनाशक पी लें। जब वो दंपति ने कीटनाशक पी लिया तो वो उसे अस्पताल नहीं ले जाने देना चाहते थे। शायद उनकी मंशा की थी कि किसी की मौत हो जाए और मामला दूसरा रुप ले ले।"

लेकिन आपकी पुलिस ने किसान परिवार से मारपीट की है? वीडियो में दिख रहा है?

इसके जवाब में कलेक्टर गुना ने कहा कि पूरे वीडियो में पुलिस और अधिकारी कीटनाशक पिए दंपति को अस्पताल ले जा रहे थे लेकिन उनके भाई ने आकर महिला पुलिसकर्मि को धक्का दिया, दंपति की हालत बिगड़ रही थी और उनकी जान बचाना प्राथमिका थी, शिशुपाल अरिहवार ले धक्का मुक्की भी कर रहा था, इसलिए पुलिक को 'कार्रवाई' करनी पड़ी।

गांव कनेक्शन ने कलेक्टर से पूछा कि अगर आप को पता है कि आरोपी भूमाफिया कोई और है फिर पुलिस के कार्य में बाधा डालने और आत्महत्या की कोशिश का मामला राजकुमार के परिवार पर क्यों दर्ज किया गया?

इसके जवाब में कलेक्टर विश्वनाथन (मौजूदा) ने कहा कि क्योंकि अरिहवार परिवार के लोगों ने कीटनाशक जान आत्महत्या करने की कोशिश की है तो उसके सरकारी रिकॉर्ड में तो लाना पड़ेगा। लेकिन प्रशासन उनकी पूरी मदद करेगा। अहिरवार परिवार के पुर्नवास और रोजगार, सरकारी कॉलोनी के लिए जांचकर मदद मुहैया कराई जाएगी। हम देखेंगे कि उन्हें कर्ज़ा कहां से लिया है और उसमे क्या कानून संगत हो सकता है।"

रात में मध्य प्रदेश के वरिष्ठ पत्रकार बृजेश राजपूत ने ट्वीट किया कि गुना में पुलिस बर्बरता को गंभीरता से लेते हुए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह ने गुना के कलेक्टर और एसपी को तत्काल हटाने के निर्देश दिए हैंं।


वीडियो और संबंधित खबरें सोशल मीडिया में शेयर होने के बाद लोगों ने ट्वीटर और फेसबुक पर गुना पुलिस के खिलाफ तीखी प्रतिक्रिया दी। कई लोगों ने कहा कि इसी लिए आम आदमी पुलिस ने डरता है। एमपी के पूर्व सीएम कमलनाथ की तरह कई दूसरे लोगों ने भी लिखा कि अगर जमीन में कानूनी विवाद था तो कानूनी तरीके से निपटा जाना चाहिए था। वरिष्ठ पत्रकार अरविंद कुमार सिंह ने फेसबुक पर लिखा कि ऐसे मामलों में डीएम एसपी को हटाया जाना नाकाफी है, किसान जमीन नहीं फसल बचाने की जंग लड़ रहा था, थोड़ी मोहलत देने में आसामान नहीं टूट पड़ता...

इनपुट साभार- गुना से मोहन बघेल

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