विश्व पर्यटन दिवस: मध्य प्रदेश के सभी टाइगर रिजर्व 1 अक्टूबर से खुलेंगे, पर्यटक कर रहे ऑनलाइन बुकिंग

मध्य प्रदेश के सभी 6 टाइगर रिजर्व पर्यटकों के लिए 1 अक्टूबर से खुल रहे हैं। बारिश के पूरे 3 माह बाद टाइगर रिजर्व के प्रवेश द्वार खुलने से प्रकृति व वन्यजीव प्रेमी पर्यटक उत्साहित हैं और घूमने के लिए ऑनलाइन बुकिंग कर रहे हैं।

Arun SinghArun Singh   27 Sep 2021 5:55 AM GMT

विश्व पर्यटन दिवस: मध्य प्रदेश के सभी टाइगर रिजर्व 1 अक्टूबर से खुलेंगे, पर्यटक कर रहे ऑनलाइन बुकिंगपर्यटकों की मेजबानी को तैयार मध्य प्रदेश का पन्ना टाइगर रिजर्व पार्क। सभी फोटो अरुण सिंह

पन्ना (मध्यप्रदेश)। बारिश में तीन माह तक पर्यटन गतिविधियों के लिए बंद रहने के उपरांत आज से ठीक 3 दिन बाद 1 अक्टूबर से मध्य प्रदेश के सभी टाइगर रिजर्व (पन्ना, बांधवगढ़, कान्हा, सतपुड़ा, पेंच व संजय डुबरी) पर्यटकों के भ्रमण हेतु खुल रहे हैं। वन विभाग द्वारा इसके लिए जहां व्यापक तैयारियां की जा रही हैं, वहीं पर्यटन व्यवसाय से जुड़े लोग भी पर्यटकों को जंगल की निराली दुनिया का दीदार कराने व उनकी आवभगत की तैयारियों में जुटे हुए हैं।

पर्यटक गाइड मनोज दुबे बताते हैं कि पन्ना टाइगर रिजर्व के मंडला प्रवेश द्वार को जहां सजाया और संवारा जा रहा है, वहीं होटल व रिसॉर्ट संचालकों में भी पर्यटन सीजन शुरू होने को लेकर भारी उत्साह है। कोरोना संक्रमण के चलते पर्यटन व्यवसाय लंबे अरसे से ठप्प पड़ा था, जिसके अब पटरी पर आने की उम्मीद जताई जा रही है।

देश में कुल 52 टाइगर रिजर्व हैं। वर्ष 2019 में आई बाघों की गणना रिपोर्ट के मुताबिक भारत में 2967 बाघ हैं। सबसे अधिक 526 बाघ मध्यप्रदेश में पाए गए थे। जबकि दूसरा स्थान 524

बाघों के साथ कर्नाटक का है। प्रदेश का पन्ना टाइगर रिजर्व जो कोर व बफर क्षेत्र को मिलाकर 1598 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है, वहां 70 से भी अधिक बाघ स्वच्छंद रूप से विचरण करते हैं। यहां की खास पहचान विलुप्त प्राय दुर्लभ गिद्ध भी हैं, जिनकी 9 में से 7 प्रजातियां पन्ना टाइगर रिजर्व में पाई जाती हैं। अभी हाल ही में यहां दुर्लभ फिशिंग कैट भी पाई गई है, जो पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र रहेगी।

पन्ना टाइगर रिजर्व का मंडला प्रवेश द्वार।

पहले कोविड फिर मानसून की बंदी ने टाइगर रिजर्व पार्क से जुड़े तमाम लोगों को मायूस किया है। लेकिन अब नए सीजन में उनमें भी उम्मीद जागी है। पन्ना टाइगर रिजर्व की महिला गाइड मानसी शिवहरे बेहद खुश हैं। देसी व विदेशी पर्यटकों को टाइगर रिजर्व के कोर क्षेत्र में भ्रमण कराने के रोमांचक सफर की शुरुआत होने को लेकर वे बेहद उत्साहित हैं। मानसी ने गांव कनेक्शन को बताया कि उन्हें दो बार गाइड की ट्रेनिंग दी गई है। पन्ना के क्षेत्र संचालक उत्तम कुमार शर्मा ने भी सभी महिला गाइडों को प्रशिक्षण दिया है। पूरे आत्मविश्वास के साथ मानसी गांव कनेक्शन को बताती हैं कि उन्होंने वन्य प्राणियों के साथ-साथ पक्षियों व पेड़ पौधों के बारे में भी बहुत कुछ सीखा है। भ्रमण के दौरान वे पर्यटकों को बड़े ही रोचक ढंग से इन सब के बारे में बताएंगे।

पन्ना टाइगर रिजर्व में 5 महिला गाइड हैं। उनके अलावा साक्षी सिंह, पुष्पा सिंह गोंड, नीलम सिंह गोंड़ व आरती रैकवार हैं, जिन्होंने प्रशिक्षण प्राप्त किया है। हम पांचों महिला गाइड 1 अक्टूबर को पर्यटन गेट मंडला में पर्यटकों को भ्रमण में ले जाने से पहले उनका स्वागत करेंगी।

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जरधोवा के जंगल में पहाड़ के शेल्टर में अंकित शैल चित्र। फोटो- अरुण सिंह

पन्ना को पर्यटन व रोजगार से जोड़ा जाएगा: मुख्यमंत्री

प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने पिछली 24 सितंबर को पन्ना दौरे में इस बात का ऐलान किया है कि पर्यटन विकास की विपुल संभावनाओं वाले जिले पन्ना को पर्यटन व रोजगार से जोड़ा जाएगा। उन्होंने कहा कि पन्ना टाइगर रिजर्व में रोजगार के अवसर कैसे बढ़े, इस दिशा में अभिनव पहल की जा रही है। आपने बताया कि पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए पन्ना टाइगर रिजर्व के समीप 66 हेक्टेयर जमीन चिन्हित की गई है। यहां एडवेंचर गतिविधियों का विराट कैंपस स्थापित किया जाएगा।

उन्होंने कहा कि पन्ना में मंदिरों के गौरवशाली इतिहास को देखते हुए यहां "टेंपल वॉक" बनेगा ताकि जो पर्यटक खजुराहो आयें वे पन्ना भी आकर मंदिरों के दर्शन कर सकें। मुख्यमंत्री ने कहा कि पन्ना की पुरानी सकरिया हवाई पट्टी को फिर से शुरू किया जाएगा ताकि यहां पर विमान उतर सकें। इससे पर्यटन को बढ़ावा मिलने के साथ रोजगार के नए अवसर भी सृजित होंगे।

मानसी शिवहरे, महिला गाइड

होम स्टे में पर्यटक बुंदेली व्यंजनों का उठाएंगे लुत्फ

बुंदेलखंड की समृद्ध संस्कृति तथा रीति-रिवाजों से पर्यटकों को परिचित कराने तथा ग्रामीण पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए मध्य प्रदेश पर्यटन विकास विभाग द्वारा होम स्टे स्थापित कराने की अभिनव पहल शुरू की गई है। जिसके तहत पन्ना टाइगर रिजर्व के निकट राष्ट्रीय राजमार्ग क्रमांक 39 के किनारे स्थित पर्यटन गांव मंडला को चिन्हित किया गया है। इस गांव की

निवासी आदिवासी महिला रमाबाई की बखरी को ठेठ बुंदेली अंदाज में सजा संवार कर विकसित किया गया है। यहां देसी व विदेशी पर्यटक होम स्टे करके न सिर्फ पन्ना टाइगर रिजर्व का भ्रमण कर वन्यजीवों का दीदार कर सकेंगे बल्कि सुप्रसिद्ध बुंदेली व्यंजनों का लुत्फ उठाते हुए अन्य गतिविधियों का भी भरपूर आनंद ले सकेंगे।

पन्ना जिले के पर्यटन गांव मंडला में विकसित किए गए होम स्टे का कलेक्टर संजय कुमार मिश्रा ने निरीक्षण कर यहां की व्यवस्थाओं का जायजा लिया है। उन्होंने बताया कि यह होम स्टे ग्रामीण पर्यटन को बढ़ावा देने के साथ-साथ ग्रामीणों को उनके ही गांव में रोजगार भी उपलब्ध कराएगा। होम स्टे में पर्यटकों के लिए उपलब्ध कराई जा रही सुविधाओं की जानकारी लेने के साथ कलेक्टर ने इस अभिनव पहल की सराहना करते हुए हर संभव सहयोग प्रदान करने की बात कही है। उन्होंने कहा कि यहां आने वाले पर्यटकों को किसी भी तरह की असुविधा न हो इस बात का पूरा ध्यान रखा जायेगा।

पन्ना के जंगलों में मौजूद है मानव सभ्यता का इतिहास

पन्ना टाइगर रिज़र्व का जंगल सिर्फ बाघों का ही घर नहीं है बल्कि यहाँ पर मानव सभ्यता का इतिहास भी पहाड़ियों की विशालकाय चट्टानों व गुफाओं में अंकित है। जिला मुख्यालय पन्ना से लगभग 18 किमी. दूर ग्राम जरधोवा के निकट पन्ना नेशनल पार्क के बियावान जंगल में स्थित गुफाओं व ऊँचे पहाड़ों की चट्टानों पर प्राचीन भित्त चित्र हैं। हजारों वर्ष पूर्व आदिमानवों द्वारा पहाड़ों व गुफाओं में ये चित्र बनाये गये हैं, जो आज भी दृष्टिगोचर हो रहे हैं।

पन्ना के जंगलों में दुर्गम पहाड़ों और गुफाओं में नजर आने वाली यह रॉक पेंटिंग कितनी प्राचीन है, इसका पता लगाने के लिए जानकारों व विषय विशेषज्ञों की मदद ली जानी चाहिए ताकि यहाँ के प्राचीन भित्त चित्रों का संरक्षण हो सके।

पन्ना नेशनल पार्क के घने जंगलों में दर्जनों की संख्या में ऐसी गुफायें मौजूद हैं जहाँ हजारों वर्ष पूर्व आदिमानव निवास करते रहे हैं। उस समय चूंकि खेती शुरू नहीं हुई थी, इसलिए आदिमानव पूरी तरह से जंगल व वन्यजीवों पर ही आश्रित रहते थे। वन्यजीवों का शिकार करके वे अपनी भूख मिटाते थे। यहाँ की गुफाओं व पहाड़ों की शेल्टर वाली चट्टानों पर उस समय के आदिमानवों की जीवनचर्या का बहुत ही सजीव चित्रण किया गया है। भित्त चित्रों में वन्यजीवों के साथ-साथ शिकार करने के दृश्य भी दिखाये गये हैं। वन्य जीवों का शिकार करने के लिए आदिमानवों द्वारा तीर कमान का उपयोग किया गया है। चित्रों से यह पूरी तरह स्पष्ट नहीं होता कि तीर की नोक लोहा की है या फिर नुकीले पत्थर अथवा हड्डी से उसे तैयार किया गया है। जानकारों के मुताबिक अगर तीर की नोक लोहा से निर्मित नहीं है तो भित्त चित्र पाषाण काल के हो सकते हैं।

पन्ना नेशनल पार्क के अलावा भी जिले के अन्य वन क्षेत्रों में भी इस तरह के भित्त चित्र पाये गए हैं। अकोला बफर क्षेत्र में बराछ की पहाड़ी, बृहस्पति कुण्ड की गुफाओं व सारंग की पहाड़ी में भी कई स्थानों पर आदिमानवों द्वारा बनाई गई रॉक पेंटिंग मौजूद हैं।

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