पंडित रविशंकर: पूरी दुनिया को बनाया भारतीय संगीत का दीवाना
Shrinkhala Pandey 11 Dec 2017 3:17 PM GMT
पंडित रविशंकर एक सितार वादक के रूप में भारत के साथ साथ विश्व भर में लोकप्रिय रहे हैं। जब वो सितार बजाते थे तो लगता था कि रवि शंकर और सितार मानो एक-दूसरे के लिए ही बने हों। सदी के सबसे महान् संगीतज्ञों में गिने जाने वाले पंडित रविशंकर का निधन 11 दिसंबर 2012 को अमेरिका में हुआ था।
पंडित रविशंकर का जन्म 7 अप्रैल, 1920 को बनारस में हुआ था। उनके भाई पंडित उदयशंकर महान नृतक थे। करीब दस साल की उम्र से पंडित रविशंकर अपने भाई के नृत्य समूह का हिस्सा थे और दुनिया भर में खास तौर पर यूरोप और अमेरिका में नृत्य के कार्यक्रम किया करते थे। उसके बाद उन्होंने अपने गुरू महान कलाकार उस्ताद अलाउद्दीन खान से सितार की शिक्षा ली।
ये वो दौर था जब विश्व में रॉक और पॉप का जोर था। ऐसे में पंडित रविशंकर ने ना सिर्फ चलन को बदला साथ ही पूरी दुनिया को भारतीय संगीत का दीवाना बना डाला। इस बात का अंदाजा यूं भी लगाया जा सकता है कि बीटल्स के जॉर्ज हैरिसन, विश्वविख्यात गिटारिस्ट जिमी हैंड्रिक्स और वायलिन वादक यहूदी मेनूहिन के साथ विदेशी संगीत और सितार का 'फ्यूजन' हुआ था।
पंडित रविशंकर व सुरशंकर का रिश्ता
पंडित रविशंकर के जीवन से कई कहानियां जुड़ी हैं। पंडित रविशंकर का अपने सितार से आध्यात्मिक रिश्ता था। पंडित रविशंकर दुनिया भर में जब भी जहां भी गए उनके लिए जहाज में दो सीटें बुक होती थीं, अगल-बगल। एक सीट पर पंडित रविशंकर बैठते थे और दूसरी पर सुर शंकर। सुर शंकर पंडित जी का सितार था।
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महात्मा गांधी की हत्या के बाद तैयार की थी नई राग
पंडित रविशंकर ने तमाम नई रागों को तैयार किया। इसमें राग मोहनकौंस का किस्सा कुछ ऐसा था कि पंडित रविशंकर ने ये राग महात्मा गांधी की हत्या के बाद बनाया। नए राग को उन्होंने गांधी जी को समर्पित किया। बाद में ये राग महात्मा गांधी पर बनी फिल्म में भी इस्तेमाल हुआ। पंडित रविशंकर ने महान निर्देशक सत्यजीत रे के लिए भी काम किया।
संगीत को धर्म मानते थे
पंडित रविशंकर ने 1969 में 'वुडस्टॉक फेस्टिवल' में धूम मचाने के बाद वहां कार्यक्रम करने से मना कर दिया। उन्होंने देखा कि किस तरह उनके कार्यक्रम के दौरान वहां बैठे दर्शकों में 'ड्रग्स' के दौर चल रहे हैं। इस बात से नाराज पंडित रविशंकर ने कहा- संगीत हमारा धर्म है। ईश्वर तक सबसे तेजी से पहुंचने का जरिया। इतनी पवित्र चीज के साथ ड्रग्स जुड़े ये मुझे मंजूर नहीं, ऐसा कहकर उन्होंने बाद में इस कार्यक्रम में शामिल ना होने का फैसला कर लिया। उनकी एकाग्रता का एक उदाहरण ये था कि एक बार उनके एक कार्यक्रम में श्रोता के तौर पर आई एक महिला स्वेटर बुन रही थीं, पंडित रविशंकर ने सितार बजाना बंद कर दिया, बोले- या तो मेरी ऊंगलियां चलेंगी या फिर आपकी।
इन सम्मानों से नवाजा गया
- पंडित रवि शंकर को विभिन्न विश्वविद्यालयों से डाक्टरेट की 14 मानद उपाधियां मिल चुकी हैं।
- संयुक्त राष्ट्र संघ के अंतर्गत संगीतज्ञों की एक संस्था के सदस्य रहे।
- रवि शंकर को तीन ग्रेमी पुरस्कार मिले हैं।
- रेमन मैग्सेसे पुरस्कार, पद्म भूषण, पद्म विभूषण तथा भारत का सर्वोच्च सम्मान भारत रत्न भी मिल चुका है। 1986 में राज्यसभा के मानद सदस्य चुनकर भी उन्हें सम्मानित किया गया। 1986 से 1992 तक राज्य सभा के सदस्य रहे। सितार वादक पंडित रविशंकर भारत के उन गिने चुने संगीतज्ञों में से थे जो पश्चिम में भी लोकप्रिय रहे।
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