एक आइडिया ने इस गाँव को बना दिया देश का खूबसूरत पर्यटन स्थल

Shrinkhala PandeyShrinkhala Pandey   2 Feb 2018 3:04 PM GMT

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एक आइडिया ने इस गाँव को बना दिया देश का खूबसूरत पर्यटन स्थलइस गाँव की हर दीवार देती है संदेश।

अगर आपके अंदर कोई कला है तो वो भी कमाई का जरिया भी बन सकती है। ये बात साबित करके दिखाई है, हरियाणा के नूह तहसील के खेरला गांव के लोग वॉल पेंटिंग से रोजगार बना रहे हैं, साथ ही अपने गांव को स्वच्छ और सुंदर बना रहे हैं। इस गाँव की लगभग हर दीवारों पर खूबसूरत कलाकृतियां बनी होती हैं जिसे गाँव भी बहुत सुंदर दिखता है।

पूरे गाँव के लोगों ने कला को ही अपना रोजगार बना दिया है। यहां के दीवारों पर कुछ पेंटिंग चटक रंगों से बनाई जाती हैं और उसमें कोई न कोई संदेश छुपा होता है। सुस्त और निराश गांव वालों में इससे सकारात्मक ऊर्जा का संचार हो रहा है। कुछ दीवारों को चमकीले रंगों में सितारों से सजाया गया है, एक दीवार पर एक लड़की झूले में ऊंची उड़ान भरती दिख रही है,जिसका अर्थ है,"लड़कियों को अपने सपनों के लिए उड़ान भरने को प्रोत्साहित करना। ऐसे ही एक दीवार पर पक्षियों को पिंजरों से आजाद करते हुए दिखाया गया है, ये एक स्केच लोगों को सीमाओं को तोड़ने के लिए प्रेरित करना चाहता है।

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यह पहल गुड़गांव के एनजीओ डोनेट एन ऑवर ने शुरु की है, ये संस्था शिक्षा पर काम करती है। डोनेट एन ऑवर की संस्थापक मीनाक्षी सिंह ने फोन पर बताया, “हम गाँव गाँव जाकर उन्हें शिक्षा के लिए जागरुक करते हैं। जब खेरला गाँव गए तो वहां गरीबी भी बहुत थी, शिक्षा कम थी इसलिए लोगों के पास रोजगार नहीं था। हमने पूरे गाँव को पेटिंग बनाने के लिए प्रेरित किया, गाँव की दीवारों से शुरुआत हुई। इससे गाँव पर्यटन स्थल के रुप में भी आगे आता। स्थानीय लोग इस खास गाँव को देखने आते तो वहां की कला को बढ़ावा मिलता है और कमाई के भी विकल्प खुलते।”

वो आगे बताती हैं, “हम चाहते थे लोग दूर से जब घूमने आएं तो सहां कम से कम एक दिन गुजारे। इसलिए इसे उस तरीके से विकसित किया गया। अब टूरिस्ट यहां पर आकर स्थानीय भोजन, संगमरमर और अन्य स्थानीय खेलों का मजा ले सकते हैं।”

खूबसूरती के साथ कमाई भी।

आज गाँव के ज्यादातर लोग दीवारों पर चित्र बनाते हैं। गांव के प्रत्येक परिवार ने अपना रंग खरीद लिया और इस मुहिम में एनजीओ के वॉलयंटियरों ने उन्हें ये सिखाया। इसी गांव के रहने वाले फकरू के मुताबिक शुरुआत में बहुत से इससे जुड़ने में संकोच कर रहे थे। क्योंकि हम गरीब था हमें लगता था रंग, ब्रश इसमें पैसा फंसाने में कहीं बेवकूफी न हो जाए,सजावट के लिए गाँव में कौन पैसे खर्च करता है। लेकिन जब एक बार हमें इसके नतीजे दिखे तो हम और बेहतर करने लगे। गाँव के लोग अब सड़क किनारे अपनी दुकानें भी सजाने लगे हैं जिसमें सजावट व कुछ खास स्थानीय सामान बेचते हैं। इसमें घर के बने सामान, खाने की कुछ विशेष चीजें आराम से बिक जाती हैं।

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इस मुहिम में शामिल एक वॉलंटियर अमित सिंह ने बताया, ग्रामीणों को पर्यटकों को आकर्षित करने के लिए कई सारी चीजें बताई गईं, गाँव सुंदर व सबसे अलग दिखता है। हमारी आगे की योजना है कि पर्यटकों को विलेज टूर, गोबर के साथ खिलौने बनाने और पारंपरिक कपड़ों के साथ सवारी और ट्रेकिंग जैसी चीजों का आनंद भी दिया जाए। ग्रामीणों को बाजरा की रोटी, मक्खन, चटनी और लस्सी जैसे स्थानीय व्यंजन देकर परंपरा भी जीवित रहेगी और गाँव वालों को रोजगार भी मिलेगा।

गाँव वालों को मिल गया घर बैठे अच्छा रोजगार।

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