नहीं रहीं भारत में जन्मी मशहूर पाकिस्तानी शायरा फ़हमीदा रियाज़

Divendra SinghDivendra Singh   22 Nov 2018 9:34 AM GMT

  • Whatsapp
  • Telegram
  • Linkedin
  • koo
  • Whatsapp
  • Telegram
  • Linkedin
  • koo
  • Whatsapp
  • Telegram
  • Linkedin
  • koo
नहीं रहीं भारत में जन्मी मशहूर पाकिस्तानी शायरा फ़हमीदा रियाज़

पाकिस्तान की मशहूर शायरा और मानवाधिकार कार्यकर्ता फ़हमीदा रियाज़ का लंबी बीमारी के बाद 73 साल की उम्र लाहौर में निधन हो गया है।

उत्तर प्रदेश के मेरठ में जुलाई 1945 को जन्मी और अपने पिता के सिंध प्रांत में तबादले के बाद हैदराबाद में जा बसीं फ़हमीदा ने हमेशा पाकिस्तानी में महिला अधिकारों और लोकतंत्र के लिए अपनी आवाज बुलंद की।

ये भी पढ़ें : चढ़ते सूरज के पूजारी तो लाखों हैं 'फ़राज़', डूबते वक़्त हमने सूरज को भी तन्हा देखा...

एक दर्जन से ज्यादा किताबों की लेखिका रियाज़ का नाम साहित्य में एक ऊंचा दर्जा रखता है। उन्होंने अल्बेनियन लेखक इस्माइल कादरी और सूफ़ी संत रूमी की कविताओं को उर्दू में अनुवादित किया था। तानाशाह जनरल जिया-उल-हक के शासनकाल के दौरान फ़हमीदा पाकिस्तान चली गई थीं और सात साल तक भारत में आत्म निर्वासन में रही थीं। वह पिछले कुछ महीने से बीमार थीं।

  • पढ़िए उनकी एक नज़्म

  • कभी धनक सी उतरती थी उन निगाहों में
  • वो शोख़ रंग भी धीमे पड़े हवाओं में
  • मैं तेज़-गाम चली जा रही थी उस की सम्त
  • कशिश अजीब थी उस दश्त की सदाओं में
  • वो इक सदा जो फ़रेब-ए-सदा से भी कम है
  • न डूब जाए कहीं तुंद-रौ हवाओं में
  • सुकूत-ए-शाम है और मैं हूँ गोश-बर-आवाज़
  • कि एक वादे का अफ़्सूँ सा है फ़ज़ाओं में
  • मिरी तरह यूँही गुम-कर्दा-राह छोड़ेगी
  • तुम अपनी बाँह न देना हवा की बाँहों में
  • नुक़ूश पाँव के लिखते हैं मंज़िल-ए-ना-याफ़्त
  • मिरा सफ़र तो है तहरीर मेरी राहों में

फ़हमीदा एक जानी मानी प्रगतिशील उर्दू लेखिका, कवियित्री, मानवाधिकार कार्यकर्ता और नारीवादी थीं जिन्होंने रेडियो पाकिस्तानी और बीबीसी उर्दू सर्विस (रेडियो) के लिए काम किया। उदार और राजनीतिक सामग्री के कारण फ़हमीदा की उर्दू पत्रिका आवाज़ की ओर जि़या का ध्यान गया। इसके बाद फ़हमीदा और उनके दूसरे पति पर अलग-अलग मामलों में आरोप लगाए गये और पत्रिका को बंद कर दिया गया।

ये भी पढ़ें : Aawaazein : अनवर जलालपुरी, जिसके जाने से मुशायरे सूने हो गए

पति की गिरफ्तारी के बाद, वह अपने दो बच्चों और बहन के साथ भारत आईं और उन्हें शरण मिल गई। उनके बच्चों ने भारत के स्कूल में पढ़ाई की। जेल से रिहाई के बाद उनके पति उनके पास भारत आ गये। खबर में बताया गया है कि जिया की मौत के बाद पाकस्तिान लौटने से पहले फ़हमीदा का परिवार करीब सात साल तक भारत में निर्वासन में रहा।


    

Next Story

More Stories


© 2019 All rights reserved.