जगजीत सिंह... मैं उतना याद आऊंगा मुझे जितना भुलाओगे 

1999 में जब जगजीत पाकिस्तान गए तो वो पाकिस्तान के राष्ट्रपति परवेज़ मुशर्रफ़ के घर पर भी गए। वहां दोनों ने साथ-साथ पंजाबी गीत गाए और मुशर्रफ़ ने उनके साथ तबला भी बजाया। पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह भी जगजीत सिंह के दीवाने थे।

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जगजीत सिंह... मैं उतना याद आऊंगा मुझे जितना भुलाओगे 

जब-जब गजल की बात चलेगी किंग ऑफ गजल यानी जगजीत सिंह का जिक्र होगा। मखमली आवाज़ के धनी जगजीत सिंह ने अपनी गायकी की ऐसी छाप छोड़ी की वो अपने संगीत और शब्दों में अमर हो गए। अपनी गायकी से दूसरों के दिलों में प्यार, दर्द और भावनाओं को उमड़ा देने वाले जगजीत सिंह की जिंदगी उतार चढ़ाव से भरी थी।

पत्नी चित्रा भी हो गई थीं जगजीत की गज़ल की दीवानी

‍अपनी गज़लों से लाखों लोगों को दीवाना बनाने वाले जगजीत सिंह की आवाज़ का जादू उनकी पत्नी चित्रा पर भी चला था। एक इंटरव्यू में चित्रा ने बताया, 'जब मैंने पहली बार जगजीत को अपनी बालकनी से देखा था तो वो इतनी टाइट पैंट पहने हुए थे कि उन्हें चलने में दिक्कत हो रही थी। वो मेरे पड़ोस में गाने के लिए आए थे। मेरी पड़ोसी ने पूछा कि संगीत सुनोगी? क्या गाता है। क्या आवाज़ पाई है लेकिन जब मैंने उन्हें पहली बार सुना तो वो मुझे क़तई अच्छे नहीं लगे। मैंने एक मिनट बाद ही टेप बंद कर देने के लिए कहा।

दो साल बाद हम दोनों संयोग से एक ही स्टूडियो में गाना रिकॉर्ड करा रहे थे। रिकॉर्डिंग के बाद मैंने जगजीत को अपनी कार में लिफ़्ट देने की पेशकश की।। जब वो मेरे घर पहुंचे तो मैंने शालीनतावश ऊपर अपने फ़्लैट में उन्हें चाय पीने के लिए बुलाया। मैं रसोई में चाय बनाने चली गई। तभी मैंने ड्राइंग रूम में हारमोनियम की आवाज़ सुनी। जगजीत सिंग गा रहे थे 'धुआं उठा था' उस दिन से मैं उनके संगीत की कायल हो गई।'

गुलज़ार की दी थी सलाह

फिल्मफेयर को दिए एक इंटरव्यू में चित्रा ने बताया था कि वह जगजीत को पापा और जगजीत उन्हें मम्मी बुलाते थे। चित्रा के मुताबिक, 'जगजीत सिंह खुद में ही एक संगीत का संस्थान थे। वह अद्भुत संगीतकार थे उनकी आवाज भी अलग थी। वह कभी किसी को राय देने में हिचकिचाते नहीं थे। अपने हर दिल अज़ीज दोस्त गुलज़ार की एक कविता पर उन्होंने कहा, मुझे ही नहीं समझ आया लोगों को क्या समझ आएगा।' चित्रा ने बताया कि जगजीत न सिर्फ उनके पति थे बल्कि एक गुरु और उनकी आत्मा भी थे।

एक के बाद एक झटकों से टूट गए थे जगजीत- चित्रा

साल 1990 और 27 जुलाई का दिन चित्रा और जगजीत की ज़िंदगी का सबसे बुरा दिन था। मरीन ड्राइव पर गाड़ी चलाते हुए उनके बेटे विवेक का एक्सीडेंट हो गया। अस्पताल ले जाते वक्त विवेक की मौत हो गई। अचानक हुए हादसे से दोनों पति-पत्नी इतना बिखर गए कि चित्रा ने फिर गाना छोड़ दिया और जगजीत छह महीने तक संगीत से दूर रहे। इसके कुछ समय बाद ही चित्रा की बेटी मोनिका दत्ता द्वारा आत्महत्या करना चित्रा और जगजीत को अंदर से हिला गया। चित्रा ने बताया, पापा (जगजीत) मोनिका की मौत से बहुत ज्यादा दुखी थे उन्होंने उसे पांच साल की उम्र से देखा है।

सत्या सरन द्वारा लिखी किताब बात निकलेगी तो फिर – एक ग़ज़लनामा में जगजीत सिंह की ज़िंदगी के कुछ रोचक पहलुओं का जिक्र है-

लड़कों को पसंद नहीं था जगजीत के साथ रहना

जगजीत सिंह ने जालंधर के डीएवी कॉलेज से पढ़ाई की थी। उन दिनों कॉलेज जालंधर टाउनशिप के बाहर हुआ करता था और उसका नया हॉस्टल कॉलेज के सामने की सड़क के उस पार था। जगजीत सिंह इसी हॉस्टल में रहते थे। लड़के उनके आसपास के कमरों में रहना पसंद नहीं करते थे क्योंकि जगजीत सिंह सुबह पांच बजे उठ कर दो घंटे रियाज़ करते थे। वे न ख़ुद सोते थे, न बग़ल में रहने वाले लड़कों को सोने देते थे। बहुत कम लोगों को पता है कि उन्हीं दिनों ऑल इंडिया रेडियो के जालंधर स्टेशन ने उन्हें उपशास्त्रीय गायन की शैली में फ़ेल कर दिया लेकिन शास्त्रीय संगीत में उन्हें बी ग्रेड मिला था।

मुशर्रफ भी हैं जगजीत के फैन

1999 में जब जगजीत पाकिस्तान गए तो वो पाकिस्तान के राष्ट्रपति परवेज़ मुशर्रफ़ के घर पर भी गए। वहां दोनों ने साथ-साथ पंजाबी गीत गाए और मुशर्रफ़ ने उनके साथ तबला भी बजाया। पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह भी जगजीत सिंह के दीवाने थे।

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