कंचे का खेल: कांच की रंग-बिरंगी गोलियों वाला बचपन

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कंचे का खेल: कांच की रंग-बिरंगी गोलियों वाला बचपनकंचे का खेल। 

ये सच है कि वक्त के साथ दुनिया बदलती है, आदतें बदलती हैं, प्राथमिकताएं बदलती हैं ...इन बदली हुई प्राथमिकताओं में कई बार वो चीज़ें पीछे छूट जाती हैं, जो कभी हमारी ज़िंदगी का महत्वपूर्ण हिस्सा हुआ करती थीं... जैसे वो खेल जिनके साथ हम बड़े हुए हैं।

उन पुराने खेलों को नए सिरे से जानने-समझने के लिए गाँव कनेक्शन ने शुरू की ये ख़ास मुहिम ‘ खेल जो कहीं खो गए ’ । हर शनिवार गाँव कनेक्शन में पढ़िए एक ऐसे ही भूले बिसरे खेल के बारे में, उन खेलों के बारे में, जो कहीं खो गए हैं। इस विशेष सीरीज़ के दूसरे भाग में आज, बात एक ऐसे खेल की, जिसे आपने भी बचपन में खूब खेला होगा। आज बात कांच की उन रंग-बिरंगी गोलियों की उन्हें इकट्ठा करने के चक्कर में मम्मी-पापा से हमने सबने खूब डांट खाई है।

कंचे -

गाँव के गलियारों में, स्मॉल टाउन के मुहल्लों में, स्कूल के अहाते में, एक वक्त था जब बच्चे अक्सर कंचे खेलते दिख जाते थे। यूं तो ये खेल लड़कों में ज्यादा प्रचलित रहा है, लेकिन कंचे की ये गोलियां लड़कियों के भी खेल-खिलोनों का हिस्सा रही हैं। हालांकि कंचे पूरी तरह से बच्चों की ज़िदगी से गुम नहीं हुए हैं, लेकिन पहले जितने लोकप्रिय नहीं रहे हैं।

कंचे के खेल के नियम

कंचे के खेल में कई खिलाड़ी खेल सकते हैं। इसे खेलने के लिए सबसे पहले एक गड्ढा बनाया जाता है और उसमें कुछ दूरी पर एक रेखा खींची जाती है। इस रेखा पर खड़े होकर खिलाड़ी गड्ढे की ओर कंचे फेंकता है, जिसके सबसे ज्यादा कंचे गड्ढे में जाते हैं वो खिलाड़ी गेम जीतता है। जो कंचे गड्ढे से बाहर होते हैं, उनमें से विपक्षी खिलाड़ी के बताए गए किसी एक कंचे पर वहीं खड़े रहकर निशाना लगाना होता। अगर निशाना लग जाता है, तो निशाना लगा रहा खिलाड़ी वह बाज़ी जीत जाता है, नहीं तो दूसरा खिलाड़ी को कंचे फेकने का मौका मिलता है।

कंचे का खेल लड़कों में है ज़्यादा प्रचलित।

ये हैं कंचे के खेल के प्रकार

ऊना-पूना कंचा

कंचे खेलने का यह तरीका लड़कियों में बहुत प्रचलित है। इसे दो खिलाड़ी खेलते हैं। इसमें गड्ढा बनाने की ज़रूरत नहीं पड़ती है, इस खेल में खिलाड़ी कंचों को दोनो हाथों की मुठ्ठी भरकर दूसरे खिलाड़ी को दिखाता है और पूछता है कि किस मुठ्ठी में ऊना है और किसमें पूना ? ऊना का मतलब होता है मुठ्ठी में एक कंचे का होना और पूना का अर्थ है मुठ्ठी में दो कंचों का होना। अगर दूसरा खिलाड़ी सही जबाव देता है, तो उसकी जीत होती है और अगर गलत जवाब देता है तो, वो खिलाड़ी जीत जाता है, जिसके हाथ में कंचा था।

टीप बिलिस्ता कंचा

टीप बलिस्ता कंचा में सबसे पहले ज़मीन पर एक गड्ढा बनाया जाता है, जिसे पिचकू कहते हैं। गड्ढे से चार से पांच मीटर की दूरी पर एक लाइन बनाई जाती है। इसके बाद सभी खिलाड़ी उस लाइन पर खड़े होकर गड्ढे में कंचे डालने की कोशिश करते हैं,जिसका कंचा गड्ढे में चला जाता है वो खिलाड़ी दूसरे खिलाड़ियों के कंचे पर निशाने लगाता है। अगर निशाना लगा रहे खिलाड़ी को टीप बोला जाता है, तो उसे अपने विपक्षी खिलाड़ी के बताए गए कंचे पर निशाना लगाना पड़ता है। अगर बिलिस्ता बोला जाता है, तो निशाना लगा रहे खिलाड़ी को अपना कंचा दूसरे खिलाड़ी के कंचे के पास तक पहुंचाना पड़ता है। यह दूरी इतनी होनी चाहिए कि दोनो कंचों के बीच की जगह को एक बीता हथेली से नापा जा सके।

ये भी पढ़ें- वीडियो - अगर आपका बचपन किसी गाँव, कस्बे या छोटे शहर में बीता है, तो इन खेलों को आपने ज़रूर खेला होगा 

हो गईं ना बचपन की यादें ताज़ा ? तो अपनी यादों के खज़ाने से ढूंढ लाइए उन कंचों को, ख़ुद खेलिए और अपनी नई पीढ़ी को भी सिखाइए। ऐसे ही भूले बिसरे खेलों के बारे में जानने के लिए पढ़ना ना भूलिए, गाँव कनेक्शन की इस विशेष सीरीज़ का अगला हिस्सा ।

  

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