फिल्म ऐन इनसिग्निफिकेंट मैन केजरीवाल पर नहीं बल्कि लोकतंत्र पर आधारित : फिल्मकार

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फिल्म ऐन इनसिग्निफिकेंट मैन केजरीवाल पर नहीं बल्कि लोकतंत्र पर आधारित : फिल्मकारडॉक्यूमेंटरी फिल्म ऐन इनसिग्निफिकेंट मैन

नई दिल्ली (भाषा)। अरविंद केजरीवाल के भारतीय राजनीति में कदम रखने के साथ दिल्ली में जब नाटकीय घटनाक्रम आकार ले रहे थे तब दो फिल्मकारों ने अपने कैमरे में उन्हें उतारा। आखिर में उनके कैमरे में आम आदमी पार्टी के गठन की पूरी तस्वीर दर्ज हो गयी।

खुशबू रांका और विनय शुक्ला द्वारा निर्देशित एक घंटा 36 मिनट की डॉक्यूमेंटरी फिल्म ऐन इनसिग्निफिकेंट मैन में यह पूरी कहानी पेश करने की कोशिश की गयी है। आनंद गांधी इस फिल्म के निर्माता हैं जो पूर्व में शिप ऑफ थीसियस फिल्म का निर्माण कर चुके हैं। 26 नवंबर को पार्टी के गठन के पांच साल पूरे हो जाएंगे और इससे पहले यह फिल्म 50 से ज्यादा अंतरराष्ट्रीय फिल्मोत्सवों में दिखायी जा चुकी है तथा भारत में 17 नवंबर को रिलीज होगी।

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रांका और शुक्ला आप के सामने आ रही समस्याओं से परेशान नहीं हैं और उनका मानना है कि फिल्म एक विशिष्ट लोकतांत्रिक घटनाक्रम को निष्पक्ष तरीके से दिखाती है। निर्देशकों का कहना है कि उनके पास केवल एक कैमरा था जिसे लेकर वे महत्वपूर्ण बैठकों और चर्चाओं में पहुंच जाते थे।

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रांका ने कहा, ''हमें पहुंच मिली हुई थी जिस वजह से फिल्मकारों के तौर पर हमारा सफर बना रहा। हमें महसूस हुआ कि यह हमें मिला एक खास मौका है और हम इसका इस्तेमाल ना करें तो हम वेबकूफ होंगे। हम ऐसी फिल्म बनाना चाहते थे जिसे कई तरीकों से देखा जा सके। यह कोई तत्काल टिप्पणी नहीं है बल्कि आत्मविश्लेषण की तरह है।'' शिप ऑफ थीसियस की सहलेखिका रांका ने कहा कि पार्टी ने उसे एक अच्छे रुप में पेश करने का कोई दबाव नहीं डाला।

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शुक्ला ने कहा, ''इन सालों में वे (पार्टी) इतने बड़े बन गए जिसकी हममें से किसी ने भी उम्मीद नहीं की थी। उनसे आखिरकार भारतीय राजनीति में एक आमूलचूल बदलाव लाने वाली प्रक्रिया का जन्म हुआ।'' वहीं आनंद गांधी ने कहा, ''यह एक समकालीन कहानी है। यह दुनिया भर में आज लोकतंत्र की कहानी है। यह अमेरिकी लोकतंत्र की भी उतनी ही कहानी है जितनी यूनानी, पुर्तगाली या भारतीय लोकतंत्र की है। उन्होंने कहा कि कोई एक व्यक्ति पूरे कथानक के व्यापक परिप्रेक्ष्य में महत्वपूर्ण नहीं है।

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