ताइवानी बैंड : हिंदी नहीं समझते, मगर हिंदुस्तानी संगीत के कायल

  • Whatsapp
  • Telegram
  • Linkedin
  • koo
  • Whatsapp
  • Telegram
  • Linkedin
  • koo
  • Whatsapp
  • Telegram
  • Linkedin
  • koo
ताइवानी बैंड : हिंदी नहीं समझते, मगर हिंदुस्तानी संगीत के कायलबैंड के सदस्य

नई दिल्ली (आईएएनएस)। राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में हाल ही में आयोजित हुए तीन दिवसीय जैज महोत्सव में ताइवान के बैंड 'शी झू कोंग' ने चीनी-ताइवानी धुनों पर दिल्लीवासियों को झूमने पर मजबूर कर दिया। भारत की धरती पर अपने संगीत से जलवे बिखेरने वाले ताइवानी बैंड के सदस्यों ने बताया कि यह उनकी पहली भारत यात्रा थी, लेकिन यहां मंच पर उन्हें ऐसा लगा जैसे वे अपने देश में प्रस्तुति दे रहे हैं।

भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद (आईसीसीआर) के तत्वावधान में 23 सितंबर से 25 सितंबर, 2017 तक आयोजित 7वें जैज महोत्सव में दक्षिण अफ्रीका, इजरायल, मेक्सिको, फ्रांस, स्पेन, और कोरिया के बैंड भी शामिल हुए थे। इसके अलावा महोत्सव में तीन बैंड भारत के भी थे। इस वर्ष 15,000 से अधिक जैज प्रेमियों ने इस महोत्सव का आनंद उठाया।

यह भी पढ़ें : पंकज त्रिपाठी : एक किसान का बेटा बना बॉलीवुड का चमकता सितारा

'शी झू कोंग बैंड' के प्रमुख एलेक्स वू ने कहा, "भारत की पहली यात्रा होने के बावजूद यहां लोगों की भीड़ और उनकी तालियों की गड़गड़ाहट ने हमें उत्साहित किया है। हम बहुत खुश हैं कि हमें दिल्ली के लोगों के बीच अपने संगीत को परोसने का मौका मिला। हम यहां के लोगों से मिले प्यार से अभिभूत हैं।"

उन्होंने आगे कहा, "हमें 7वें दिल्ली अंतर्राष्ट्रीय जैज महोत्सव का हिस्सा बनकर बहुत अच्छा लगा है। मंच पर हमें दर्शकों के सामने ऐसा महसूस हुआ जैसे हम अपने देश, अपने लोगों के बीच प्रस्तुति दे रहे हैं।"

यह भी पढ़ें : लता मंगेशकर के लिए आनंद बख्शी ने 1973 में लिखी थी ये कविता

ताइवान के इस बैंड में छह सदस्य हैं। सभी सदस्य अलग-अलग संगीत यंत्रों को बजाने के माहिर हैं। बैंड के सदस्यों में लिन पिन पेई (पियानो), वू चेंग चुन (एरू), येन चुन लिन (ब्रास), कोडी ब्यासी (ड्रम), एंजी लिन (कीबोर्ड) और मिन येन हेस्यी (सैक्सोफोन) शामिल हैं।

नेहरू पार्क में आयोजित हुए इस महोत्सव में दुनिया भर के कई देशों से आए बैंड की प्रस्तुतियां देखने-सुनने के लिए संगीत प्रेमियों की भारी भीड़ देखने को मिली। भारत की धरती पर देशी-विदेशी संगीत का लुत्फ उठाने के लिए विदेशी संगीत प्रेमी भी काफी संख्या में मौजूद थे।

यह भी पढ़ें : रूस में मधुर भंडारकर, हेमा मालिनी को किया जाएगा सम्मानित

भारतीय संगीत को आप कितना समझते हैं? आपको यहां का संगीत पसंद है? वू ने कहा, "भारत आने से पहले मैंने ताइवान में भारतीय संगीत सुने हैं। भारतीय संगीत काफी प्राचीन और पारंपरिक है। इसके बावजूद यहां आपको फ्यूजन काफी मात्रा में मिलेगा। यहां के पारंपरिक संगीत वाद्ययंत्र भी बहुत अच्छे हैं, जिनका यहां के संगीतकार बहुत अच्छे से इस्तेमाल करते हैं। हम हिंदी नहीं समझते हैं, लेकिन यहां के संगीत को समझते हैं, और हमें यह काफी पसंद है। वैसे भी संगीत की कोई भाषा नहीं होती है।"

आपके लिए जैज म्यूजिक क्या है? बैंड के दूसरे सदस्य कोडी ब्यासी ने कहा, "जैज संगीत में बहुत ही स्वतंत्रता है। जब हम संगीत की रचना करते हैं तो आप इसके साथ काफी प्रयोग कर सकते हैं। आप जैज संगीत के माध्यम से अपने तरीके से कई कहानियां सुना सकते हैं।"

यह भी पढ़ें : ‘न्यूटन’ में साहित्यिक चोरी का कोई संकेत नहीं: मार्को मुलर

अमेरिका के रहने वाले कोडी काफी समय से इस ताइवानी बैंड से जुड़े हुए हैं। भारत में अपने अनुभवों के बारे में वह कहते हैं, "मैंने भारतीय संगीत के बारे में काफी कुछ पढ़ा व सीखा है। लेकिन मैं ज्यादातर दक्षिण भारत में ही रहा। मैंने यहां वेणू, कंजीरा और कांसी जैसे कई वाद्ययंत्रों को बजाना सीखा है। इससे मेरे खुद के संगीत में काफी निखार आया। मैं कहना चाहूंगा कि मुझे यहां के संगीत ने काफी प्रेरित किया।"

      

Next Story

More Stories


© 2019 All rights reserved.