फिल्मों में दिखाया जाने वाला भाई-बहन का प्यार अब नहीं दिखता 

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फिल्मों में  दिखाया जाने वाला भाई-बहन का प्यार अब नहीं दिखता प्रतीकात्मक तस्वीर।

प्रेमेन्द्र श्रीवास्तव

हिंदी रजतपट पर भाई-बहन के अटूट प्यार और स्नेह को प्रदर्शित करने वाले त्योहार रक्षाबंधन के गीतों ने कभी लंबे समय तक सिने प्रेमियों के दिलों पर अपनी अमिट छाप छोड़ी थी, लेकिन अब तो बॉलीवुड के फिल्मकारों ने भाई-बहन के प्यार को लेकर फिल्में बनाना लगभग बंद-सा कर दिया है। कहा जा सकता है कि राखी के महत्व को भुला ही दिया है।

निर्माता एलवी प्रसाद की वर्ष 1959 में प्रदर्शित फिल्म “छोटी बहन” संभवतः पहली फिल्म थी, जिसमें भाई-बहन के प्यार भरे अटूट रिश्ते को रूपहले परदे पर दिखाया गया था। इस फिल्म में बलराज साहनी ने बड़े भाई और नंदा ने छोटी बहन की भूमिका निभाई थी। शैलेंद्र का लिखा और लता मंगेशकर का गाया फिल्म का गीत “भइया मेरे राखी के बंधन को निभाना” इतना लोकप्रिय हुआ कि आज भी रक्षाबंधन का त्योहार इस गीत के बिना अधूरा-सा लगता है। रक्षा बंधन के गीतों में इस गाने का स्थान आज भी नंबर एक पर है।

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इसके बाद 60 से 80 के दशक में फिल्मकारों ने भाई-बहन के प्यार को खासी तरजीह दी। निर्माता निर्देशक ए. भीम सिंह ने “भाई-बहन” के रिश्ते पर आधारित दो फिल्में “राखी” और “भाई-बहन” का निर्माण किया। वर्ष 1962 में रिलीज “राखी” में अशोक कुमार और वहीदा रहमान ने भाई-बहन की भूमिका निभाई थी। वर्ष 1968 में प्रदर्शित “भाई-बहन” में सुनील दत्त और नूतन मुख्य भूमिकाओं में थे।

इसी दौर में “अनपढ़” और “काजल” फिल्म में भाई-बहन के पवित्र प्रेम बखूबी दर्शाया गया। ये दोनों फिल्म खूब कामयाब हुईं। इन फिल्मों में दो खूबसूरत गीत पेश किए गए। इनमें “अनपढ़” का माला सिन्हा पर लता मंगेशकर की आवाज में फिल्माया गीत “रंग बिरंगी राखी लेकर आई बहना” आज भी बहनों को अभिभूत कर देता है। फिल्म में बलराज साहनी भाई की भूमिका में थे। फिल्म “काजल” में मीना कुमारी पर बेहद खूबसूरत गीत “मेरे भइया मेरे चंदा मेरे अनमोल रतन” हर बहन का पसंदीदा गीत है। रवि के संगीत निर्देशन में इस गीत को आशा भोंसले ने गाया था।

विमल राय की “बंदिनी” में भी एक बेहद मार्मिक गीत था, जिसमें बहन अपने पिता से भाई को सावन में भेजने का अनुरोध करती है। बहन की व्यथा को दर्द भरे अंदाज में पेश करने वाले शैलेंद्र और एसडी बर्मन के संगीत निर्देशन में तैयार गीत “अबके बरस भेजो भइया को बाबुल” को भी आशा भोंसले ने दर्द के साथ गाया है।

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वर्ष 1971 में रिलीज “हरे रामा हरे कृष्णा” में देवानन्द और जीनत अमान ने “भाई-बहन” की भूमिका निभाई थी। यह फिल्म भी अपने समय की ब्लॉक बस्टर फिल्म साबित हुई। फिल्म का गीत “फूलों का तारों का, सबका कहना है, एक हजारों में मेरी बहना है” आज भी सदाबहार गीतों में शामिल है। फिल्म “रेशम की डोरी” में सुमन कल्याणपुर का गाया “बहना ने भाई की कलाई से प्यार बांधा है” रक्षाबंधन पर आज भी गली मोहल्लों में खूब बजता है।

इसी तरह फिल्म “बेईमान” का “ये राखी बंधन है ऐसा”, फिल्म “सच्चा झूठा” का “मेरी प्यारी बहनिया बनेगी दुल्हनिया”, फिल्म “चम्बल की कसम” का “चंदा रे मेरे भइया से कहना”, फिल्म “प्यारी बहना” का “राखी के दिन”, फिल्म “तिरंगा” का “इसे समझो न रेशम का तार”, फिल्म “रिश्ता कागज का” गीत “ये राखी की लाज तेरा भइया निभाएगा” काफी लोकप्रिय हुए। इसे दुर्भाग्य ही कहा जाएगा कि पारिवारिक फिल्म बनाने के लिए मशहूर ताराचंद बड़जात्या जैसे बैनर के मेकर भी भाई बहन के प्यार को लेकर अब फिल्म नहीं बनाते।

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रक्षाबंधन पर आज भी बजते हैं ये तराने

  • भइया मेरे राखी के बंधन को निभाना (“छोटी बहन”-1959)
  • राखी बंधा ले मेरे वीर (“अपराध” 1962)
  • बहना ने भाई की कलाई से प्यार बांधा है (“रेश्म की डोरी” 1974)
  • फूलों का तारों का सबका कहना है (“हरे रामा हरे कृष्णा” 1971)
  • बहना ओ बहना तेरी डोली मैं सजाऊंगा (“अदालत” 1976)
  • मेरी प्यारी बहनिया बनेगी दुल्हनिया (“सच्चा झूठा” 1970)
  • मेरे भइया मेरे चंदा मेरे अनमोल रतन (“काजल” 1965)
  • चंदा रे मेरे भइया से कहना बहना याद करे (“चम्बल की कसम” 1980)
  • ये राखी बंधन है ऐसा (“बेईमान” 1972)
  • रंग बिरंगी राखी लेकर आई बहना (“अनपढ़” 1962)

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