मधुमक्खी पालन को पहली बार मिले दस करोड़ रुपए
संजय कुमार श्रीवास्तव 18 Dec 2015 5:30 AM GMT
लखनऊ। देश में मधुमक्खी पालन को बढ़ावा देने के लिए केन्द्र सरकार ने पहली बार राष्ट्रीय मधुमक्खी बोर्ड को दस करोड़ रुपए की बड़ी धनराशि दी।
"मधुमक्खी से संबंधित पत्रिका और गाइड के विमोचन के मौके पर केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री राधा मोहन सिंह ने कहा, "देश में मधुमक्खी पालन को बढ़ावा देने और रोजगार सृजन करने के लिए धन की कमी नहीं होने दी जाएगी।"
असल में राष्ट्रीय मधुमक्खी बोर्ड का वर्ष 2006 में पुनर्गठन तो किया गया था लेकिन कभी भी इस बोर्ड को इतनी धनराशि नहीं मिल पायी। वर्ष 2010-11 में 2.56 करोड़, वर्ष 2011-12 में 2.77 करोड़, वर्ष 2012-13 में मात्र 19 लाख रुपए मिले और वर्ष 2013-14 में 2.21 करोड़ और 2014-15 में 35 लाख रुपए ही मिले थे।
केंद्रीय मंत्री राधा मोहन सिंह ने कहा, "मधुमक्खी पर्यावरण और कृषि विकास में मदद करती है और प्राकृतिक विविधता में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। कई अध्ययनों से यह साबित हो चुका है कि मधुमक्खी सबसे अधिक क्षमता वाली पर-परागणकर्ता है, जिसे फसल की जरूरत, उचित समय व क्षेत्र के अनुसार प्रयोग किया जा सकता है।"
मधुमक्खियों से अच्छी क्षमता के पर परागण से कई फसलों जैसे फलों व सब्जियों, तिलहन, दलहन आदि की पैदावार में बढ़ोत्तरी होती है।
राधा मोहन सिंह बताते हैं, "मधुमक्खी न केवल शहद, मोम, पराग, प्रोपोलिस, रॉयल जेली व बी वेनम जैसे बहुमूल्य पदार्थों का उत्पादन करता है। साथ ही ग्रामीण समुदाय के लिए रोजगार सृजन कर रहा है।"
देश में दो लाख मधुमक्खी पालक हैं और मधुमक्खी की बीस लाख कॉलोनी हैं। देश में शहद का उत्पादन लगभग 80 हजार टन प्रतिवर्ष है। लगभग एक हजार करोड़ रुपए का निर्यात कारोबार है।
मधुमक्खी के इस महत्व को देखते हुए कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय ने कई कदम उठाए हैं।
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