जानिये कौन हैं भारत की 8 महान कवयित्रियां
Jamshed Qamar 2 Oct 2016 6:20 PM GMT

कवियों और कविताओं की बात करें तो ज़हन में रवीन्द्रनाथ टैगोर, सुमित्रानंदन पंत जैसे नाम सहज ही आ जाते हैं, पर एक सच ये भी है कि हमारी महिला कवयित्रियों को वो जगह नहीं मिल सकी जिनकी वो हमेशा से हकदार रही हैं। ‘गाँव कनेक्शन’ की साथी राखी सिन्हा ने कोशिश की है ऐसी ही आठ महान कवयित्रियों से आपका परिचय करवाने की है जिनके शब्दों के जादू ने सबको सम्मोहित किया है, इनकी लेखनी समय और काल से परे, भाषा के बन्धनों से आजाद और बेबाक रही है।
कमला सुरैय्या
मलयाली लेखिका और अंग्रजी कवयित्री कमला सुरैय्या को दुनिया माधवी दास और कमला दास नाम से भी जानी जाती हैं, केरल के पुन्नारयुरकुलम में सन 1934 में जन्मी कमला वो प्रगतिशील कवयित्री हैं जिन्होंने नारी कामुकता जैसे संवेदनशील विषय को उस वक्त बेबाकी और ईमानदारी से रखा जब शायद ही कोई महिला इनपर कुछ कहने की हिम्मत जुटा सकती थी। उनकी कुछ लोकप्रिय काव्य पुस्तकें “समर इन कलकत्ता” और “द डीसेनडेंटस” हैं।
Don’t write in English, they said, English isNot your mother-tongue. Why not leaveMe alone, critics, friends, visiting cousins,Every one of you? Why not let me speak inAny language I like? The language I speak,Becomes mine, its distortions, its queerness’sAll mine, mine aloneKamla Suraiyya
सरोजिनी नायडू
भारत की स्वर-कोकिला सरोजिनी नायडू एक महान स्वतंत्रता सेनानी और प्रसंशित कवयित्री थी। आजाद भारत की पहली महिला राज्यपाल बनने का गौरव भी उनके नाम है। उनका जन्म सन 1879 में हैदराबाद में हुआ था। उनकी कविताओं की विशिष्टता वो मधुर शैली है जो पढ़ने-सुनने वालों को बाँध लेती हैं। उनकी लोकप्रिय किताबों में “ए गोल्डन थ्रेसहोल्ड” और “द फेदर ऑफ़ द डौन” हैं।
The new hath come and now the old retires: And so the past becomes a mountain-cell, Where lone, apart, old hermit-memories dwell In consecrated calm, forgotten yet Of the keen heart that hastens to forget Old longings in fulfilling new desiresPast and Future, Sarojini Naidu.
महादेवी वर्मा
महिला सशक्तिकरण के क्षेत्र में सक्रिय भूमिका निभाने वाली, स्वतंत्रता सेनानी महादेवी वर्मा हिंदी भाषा की बेहतरीन कवयित्रियों में एक हैं। हिंदी कविता में छायावाद युग के चार प्रमुख स्तंभों में एक नाम उनका है। साहित्य में अपनी उत्कृष्टता के लिए पद्म विभूषण और साहित्य अकादमी फ़ेलोशिप से सम्मानित महादेवी वर्मा का जन्म साल 1907 में फर्रुखाबाद में हुआ था। उनकी कविताओं में इंसान और पशु दोनों के लिए ममता और प्यार की झलक दिखती है। “मधुर मधुर मेरे दीपक जल” और “अधिकार” उनकी खास कृतियां हैं।
मधुर-मधुर मेरे दीपक जल !युग-युग प्रतिदिन प्रतिक्षण प्रतिपल प्रियतम का पथ आलोकित कर!महादेवी वर्मा
बालामणि अम्मा
बालामणि अम्मा ने अपनी रचनाएँ मलयालम में लिखी हैं। कमाल की बात ये है कि उन्होंने हमारे-आपकी तरह कभी कोई औपचारिक शिक्षा नहीं पाई थी। अपने मामा के पुस्तक संग्रह को पढ़ते-पढ़ते उनमें लिखने का शौक जागा और फिर बालामणि अम्मां कहीं नहीं रुकी, उन्हें साहित्य भारती फ़ेलोशिप के साथ-साथ कितने ही और पुरस्कारों से नवाजा गया। केरल के पुन्नारयुरकुलम में जन्मी बालामणि अम्मां को लोग सम्मान से “मातृभूमि की कवयित्री” भी कहते हैं। “अम्मां”, “मुथास्सी” वगैरह उनकी खास किताबें हैं।
Your grandmother knows Nothing is destroyed Everything exists in human forever In my old heart there are so much of riches, still for your hands too to play witha translation of Muthassi, Balamani Amma
मीरा बाई
सोलहवीं सदी में मीरा बाई ने अपनी कविताओं के ज़रिये श्रीकृष्ण के लिए प्रेम और भक्ति की अलख जगाई थी। उनका नाम भक्ति आन्दोलन के कुछ चुनिंदा कवि-कवयित्रियों में शुमार है। मीरा बाई की कविताएं कृष्ण की बात करती हैं, वो कृष्ण जो मीरा के हैं, जिनके गुणों की प्रशंसा और प्रेम ही मीरा के जीवन का लक्ष्य है। राजस्थान के पाली में जन्मी मीरा बाई ने दमनकारी और दिखावटी सामाजिक रीति-रिवाजों का भी निडरता से विरोध किया है
I am mad with love and no one understands my plight.Only the wounded understand the agonies of the wounded, When the fire rages in the hearta translated version of I am mad with love, Mirabai
नंदिनी साहू
नंदिनी साहू लेखक, आलोचक और जानी-मानी भारतीय कवयित्री हैं। उन्होंने अंग्रेजी भाषा में दर्जनों किताबें और जाने कितनी ही कविताएं लिखी हैं। साल 1973 में उड़ीसा में जन्मी नंदिनी फिलहाल इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय, नई दिल्ली में बतौर एसोसिएट प्रोफेसर काम कर रही हैं। नंदिनी को अंग्रेजी साहित्य में उनके योगदान के लिए दो गोल्ड मेडल और शिक्षा रत्न पुरस्कार से सम्मानित किया गया है। उनकी कुछ मशहूर किताबें “द अदर वौइस्, ए कलेक्शन ऑफ़ पोएम्स” और “द साइलेंस” हैं
Does your laugh tear your shrunken lips? Open your wardrobe, cover the breast of the poor, apply on your lips the balm of a millennium’s rebellion. Who says death is the only truth? See, your body of fog is still seated on the throne. You still shine in the firmament of starsFrom Death Stands at a Distance, Nandini Sahu
सुभद्रा कुमारी चौहान
जब कभी हिंदी साहित्य में वीर रस की बात होती है, सुभद्रा कुमारी चौहान का ज़िक्र खुद-ब-खुद आ जाता है। सन 1904 में निहालपुर गाँव में जन्मी सुभद्रा ने खुलकर ब्रिटिश शासन का विरोध किया। दो बार जेल भी गई पर कभी डिगी नहीं, उनकी कविताएं राष्ट्रवाद और देशभक्ति से ओत-प्रोत होती थी। उनकी रचना “झांसी की रानी” शायद हिंदी साहित्य में सबसे ज्यादा गाई-गुनगुनाई जाने वाली कविता है। “वीरों का कैसा हो वसंत” भी उनकी एक प्रमुख कृति है
चमक उठी सन संत्तावन में, वो तलवार पुरानी थी, बुंदेलों हरबोलों के मुंह हमने सुनी कहानी थी, खूब लड़ी मर्दानी वो वो झांसी वाली रानी थीसुभद्रा कुमारी चौहान
अमृता प्रीतम
पंजाबी और हिंदी- दोनों भाषाओं में समान अधिकार रखने वाली अमृता प्रीतम ने भारतीय साहित्य में अपनी अमिट छाप छोड़ी है। उन्हें बीसवीं सदी की सबसे प्रमुख पंजाबी कवयित्री और उपन्यासकार माना जाता है। पंजाब के गुजरांवाला में जन्मी अमृता ने छह दशकों तक सौ से अधिक कहानियों और कविताओं की किताबें लिखी. साल 1956 में अपनी कविता “सुनेहदे” के लिए उन्हें साहित्य अकादमी पुरस्कार से नवाजा गया और इसके साथ ही उन्होंने ये सम्मान पाने वाली पहली महिला बनकर इतिहास रच दिया. “आज आंखन वारिस शाह नू” और “पिंजर” उनकी प्रसिद्ध रचनाएँ हैं
आज वारिस शाह से कहती हूँअपनी कब्र में से बोलो!और इश्क़ की किताब का कोई नया वर्क खोलो! पंजाब की एक बेटी रोयी थी,तूने एक लम्बी दास्तान लिखी,आज लाखों बेटियाँ रो रही हैं वारिस शाह! तुम से कह रही हूंअमृता प्रीतम
- इस लेख को लिखा है हमारी साथी राखी सिन्हा ने
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