वो फिल्मी हस्तियां जिनकी ज़िंदगी की Happy Ending नहीं हुई
Jamshed Qamar 10 Sep 2018 4:55 AM GMT

कभी किसी को मुकम्मल जहां नहीं मिलता
कहीं जमीं तो कहीं आसमां नहीं मिलता
ये शेर कहने को तो महज़ चंद अल्फाज़ हैं लेकिन देखा जाए तो ये इस कायनात की सबसे बड़ी हकीकत है। औऱ ये हक़ीकत सिर्फ आम लोगों के लिए नहीं खास लोगों के लिए भी है। फ़िल्मी दुनिया के हर जगमगाते सितारे के लिए भी ज़िंदगी फूलों की सेज नहीं होती। ऐसे ही कुछ किस्से, जानकारी के साथ साझा कर रही हैं, गांव कनेक्शन की साथी राखी सिन्हा। इस लेख में उन्होने ज़िक्र किया है ऐसी फिल्मी हस्तियों का जिन्होंने ज़िंदगी भले मक़बूलियत में गुज़ारी, लेकिन उनका अंत बेहद उदास रहा।फ
गुरुदत्त
इस कड़ी में सबसे पहला नाम आता है गुरुदत्त साहब का। प्यासा, कागज़ के फूल और साहिब बीवी और गुलाम जैसी क्लासिक फिल्में बनाने वाले गुरुदत्त साहब का जीवन उतार-चढ़ाव में बीता। काम के लिए वो जितने अनुशासनप्रिय थे, निजी जिंदगी में उतने ही गैरजिम्मेदार। उनकी मौत महज 39 साल की उम्र में नींद की दवाओं के हैवी डोज लेने से हुई। ज़्यादातर लोगों का मानना था कि उन्होंने सुसाइड किया पर उनके करीबी लोग इसे एक दुखद दुर्घटना से ज्यादा नहीं मानते। ये और बात थी कि गुरुदत्त साहब इससे पहले दो और दफ़ा आत्महत्या करने की नाकामयाब कोशिश कर चुके थे।
मधुबाला
मधुबाला का जिक्र आते ही जहन में एक बेहद हसीन चेहरे की तस्वीर उभरती है जिन्होंने अपने जानदार अभिनय से किरदारों को पर्दे पर जिंदा कर दिया था। "मुगले-ए-आज़म" शायद उतनी चर्चित और सफ़ल न होती अगर मधुबाला अनारकली न होती। दुखद ये रहा कि जैसा अंत अनारकली को असल जिंदगी में नसीब हुआ, मधुबाला ने भी कुछ वैसा ही दर्द लिए अपनी आखिरी साँसे ली। दिलीप कुमार से अलग होने का गम और लंबी बीमारी ने उन्हें तोड़ दिया और 36 साल की उम्र में उनका इंतकाल हो गया। सैकड़ों-हज़ारों लोगो से घिरी रहने वाली मधुबाला का आखिरी समय अकेलेपन के साये में गुजरा था।
मीना कुमारी
रुपहले पर्दे की ट्रेजेडी क्वीन मीना कुमारी की अपनी जिंदगी भी ट्रेजेडी में बीती। बचपन में पैसे की तंगी उन्हें फिल्मी दुनिया में खींच लाई। यहाँ उन्हें करोड़ों फैंस का प्यार मिला। दिल अपना और प्रीत पराई, बैजू बावरा, साहिब, बीवी और गुलाम और पाकीज़ा जैसी एक के बाद एक सफ़ल फिल्मों ने उन्हें फिल्म-इंडस्ट्री में ऊँचा मुकाम दिया पर अंत उतना ही दुखदायी रहा। पिता की गैररजामंदी के बावजूद मशहूर निर्देशक कमाल अमरोही से हुआ उनका निकाह ज्यादा समय तक टिक नहीं सका। प्यार में मिले धोखे उन्हें शराब और नशे में डुबोते चले गये और आखिर 31 मार्च 1972 को उन्होंने दुनिया को अलविदा कह दिया।
परवीन बॉबी
परवीन बॉबी ने बॉलीवुड में अपनी बुलंदी को शान से जिया पर आखिर वक़्त गुमनामी में रही। टाइम पत्रिका में जगह पाने वाली वो पहली बॉलीवुड अदाकारा थी। शान, नमक हरम, अमर अकबर एंथोनी, रंग बिरंगी जैसी उनकी दर्जनों हिट फिल्में हैं। परवीन बॉबी का नाम इंडस्ट्री के कई लोगों से जुड़ा पर अपने आखिरी समय में वो पूरी तरह अकेली थी। साल 2005 में मुंबई के जुहू इलाके के अपने फ्लैट में उन्होंने आखिरी सांस ली। उनकी मौत एक हादसा था या उन्होंने सुसाइड किया था, ये कभी पता नहीं चल सका।
दिव्या भारती
इस फेहरिस्त का अगला नाम है दिव्या भारती का जो महज 19 साल की उम्र में इस दुनिया को अलविदा कह गईं। तेलुगु और हिंदी फिल्मों में अपनी अलग पहचान बनानी वाली दिव्या की मौत पर आज तक अटकलें लगा करती हैं। विश्वात्मा, शोला और शबनम, दीवाना उनकी बड़ी हिट फिल्मों में हैं। चौदह साल की उम्र से फिल्म इंडस्ट्री पर राज करने वाली दिव्या गिनती के साल अपनी सफलता का जश्न मना सकी। कोई नहीं जानता कि मुंबई के पांचवे माले के अपने फ्लैट से वो गिरी या गिराई गई। सच चाहे जो भी रहा हो, उनका अंत बेहद दुखद था।
अवतार किशन हंगल
शोले में अपने एक डायलॉग 'इतना सन्नाटा क्यों हैं भाई' से सबको रुला देने वाले ए के हंगल की जिंदगी के आखिरी दिन 'सन्नाटे' में गुज़रे। मुफलिसी और बीमारी ने उन्हे घेर रखा था लेकिन आस-पास उन में से कोई नहीं था जो कभी उनकी कला के कायल हुआ करते थे। अवतार किशन हंगल छोटी-छोटी ज़रूरतों के लिए भी मोहताज थे। ज़िंदगी के आखिरी दिन उन्होंने एक टूटी-फूटी इमारत के छोटे से किराए के कमरे में गुज़ारे। हंगल साहब ने शोले, बावर्ची और शौकीन जैसी कई हिट फिल्मों में काम किया। हालांकि भारत सरकार ने फिल्मजगत में उनके योगदान को देखते हुए पद्म भूषण से सम्मानित किया लेकिन इससे भी उनके हालात नहीं बदले और 26 अगस्त 2012 को उनका इंतकाल हो गया।
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राखी सिन्हा लेखिका और पत्रकार हैं। रेडियो के लिए कहानियां भी लिखती हैं इनसे [email protected] पर संपर्क किया जा सकता है।
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