जानिए बलराज दत्त से सुनील दत्त बनने की कहानी
Vineet Bajpai 6 Jun 2019 6:00 AM GMT
लखनऊ। 6 जून 1929 को जन्में सुनील दत्त का जन्म पंजाब (तत्कालीन पाकिस्तान ) के झेलम जिले के खुर्दी गाँव में हुआ था। सिर्फ 5 साल की उम्र में ही सुनील दत्त ने अपने पिता को खो दिया और जब वे 18 वर्ष के हुए, तो उन्हें भारत-पाकिस्तान का दर्द झेलना पड़ा। ऐसे में उन्होंने अपने परिवार के साथ हिंदुस्तान कूच किया। जहां उनके पिता के दोस्त याकूब ने उनके परिवार की मदद की। इसके बाद उनका परिवार हरियाणा के एक गाँव मंडौली में जा बसा। सुनील उसके बाद लखनऊ और फिर मुंबई जा बसें।
एक्टर बनने का सपना लिए सुनील 1955 में मुंबई आए। सुनील दत्त का नाम सुनील उनके माता-पिता ने नहीं रखा था, उनका नाम था बलराज दत्त था। बलराज से सुनील बनने की कहानी भी बहुत दिसचस्प है।
जब सुनील मुंबई आए तो उन दिनों बलराज साहनी फ़िल्म इंडस्ट्री में अभिनेता के रुप में स्थापित हो चुके थे। किसी ने कहा कि एक ही नाम वाले दो सितारे तो फिल्म इंडस्ट्री में चल नहीं सकते। इसे देखते हुए उन्होंने अपना नाम बलराज दत्त से बदलकर सुनील दत्त रख लिया।
नाम बदले के बाद भी हिंदी सिनेमा में अपनी पहचान बनाने के लिए उन्होंने 1955 से लेकर 1957 तक कड़ा संघर्ष करना पड़ा। साल 1955 में उनकी पहली फिल्म आई 'रेलवे प्लेटफार्म' इस फिल्म से उन्हें कुछ खास पहचान नहीं मिली। सुनील दत्त ने इसके बाद 'कुंदन', 'राजधानी ', 'किस्मत का खेल' और 'पायल' जैसी कई छोटी फिल्मों में अभिनय किया, लेकिन किसी में उन्हें वो सफलता नहीं मिली।
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साल 1957 में आई महबूब खान की 'मदर इंडिया' सुनील दत्त के जीवन का टर्निंग पॉइंट थी। इस फिल्म की शूटिंग के दौरान फिल्म में सुनील की मां का किरदार निभा रही नरगिस से उन्हें प्यार हो गया। दरअसल 'मदर इंडिया' के सेट पर आग लग गई थी, जिसमें घिरी नरगिस को सुनील दत्त ने अपनी जान पर खेल कर बचाया। प्यार में पहले ही धोखा खा चुकी नरगिस को सुनील में एक भरोसा नजर आया। नतीजा ये हुआ कि 'मदर इंडिया' फिल्म की रिलीज के बाद दोनों ने शादी कर ली। दोनों के तीन बच्चे हैं।
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