आज के दिन हुआ अमिताभ बच्चन व मधुशाला के जन्मदाता हरिवंश राय बच्चन का जन्म
Sanjay Srivastava 27 Nov 2016 11:47 AM GMT

लखनऊ। मशहूर कवि व मधुशाला जैसी कालजयी रचना के रचयिता हरिवंश राय बच्चन का आज जन्मदिन है। बालीवुड के नामचीन अभिनेता अमिताभ बच्चन के पिता हरिवंश राय बच्चन का जन्म उत्तर प्रदेश के प्रतापगढ़ जिले के एक छोटे से गाँव बाबू पट्टी में 27 नवंबर 1907 को एक कायस्थ परिवार में हुआ था। यह जिला इलाहाबाद से 62 किलोमीटर की दूरी पर है। हरिवंश राय बच्चन के दो पुत्र अमिताभ बच्चन और अजिताभ हुए।
हरिवंश राय बच्चन की आरंभिक शिक्षा-दीक्षा गाँव की पाठशाला में हुई थी। उच्च शिक्षा के लिए वे इलाहाबाद और फिर कैम्ब्रिज गए जहां से उन्होंने अंग्रेजी साहित्य के विख्यात कवि डब्लू बी यीट्स की कविताओं पर शोध किया। हरिवंश राय ने 1941 से 1952 तक इलाहाबाद विश्वविद्यालय में अंग्रेजी साहित्य पढ़ाया।
वर्ष 1955 में कैम्ब्रिज से वापस आने के बाद वे भारत सरकार के विदेश मंत्रालय में हिन्दी विशेषज्ञ के रूप में नियुक्त हुए। 1926 में हरिवंश राय की शादी श्यामा से हुई। टीबी की लंबी बीमारी के बाद 1936 में श्यामा का देहांत हो गया। 1941 में बच्चन ने तेजी सूरी से शादी की।
हरिवंश राय बच्चन की मधुशाला में लिखी कुछ पंक्तियां आपके लिए.........
एक बरस में, एक बार ही जगती होली की ज्वाला,
एक बार ही लगती बाज़ी, जलती दीपों की माला,
दुनियावालों, किन्तु, किसी दिन आ मदिरालय में देखो,
दिन को होली, रात दिवाली, रोज़ मनाती मधुशाला।।
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मुसलमान औ' हिन्दू है दो, एक, मगर, उनका प्याला,
एक, मगर, उनका मदिरालय, एक, मगर, उनकी हाला,
दोनों रहते एक न जब तक मस्जिद मन्दिर में जाते,
बैर बढ़ाते मस्जिद मन्दिर मेल कराती मधुशाला!।50।
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कोई भी हो शेख नमाज़ी या पंडित जपता माला,
बैर भाव चाहे जितना हो मदिरा से रखनेवाला,
एक बार बस मधुशाला के आगे से होकर निकले,
देखूँ कैसे थाम न लेती दामन उसका मधुशाला!।51।
पिता को याद करते हुए पिछले दिनों महानायक अमिताभ बच्चन ने बताया कि उन्हें रोजाना सुबह अपने दिवंगत पिता और कवि हरिवंश राय बच्चन की रचनाएं पढ़ना बेहद पसंद है। इससे उन्हें जिंदगी की कठिनाइयों से निपटने की शक्ति मिलती है।
अमिताभ ने अपने ब्लॉग में लिखा, "पिता द्वारा मेरे लिए छोड़ी गई किताब रोजाना सुबह पढ़ता हूं। यह मुझे मजबूत बनाती है। उनकी ताकत दिव्य है।"
हरिवंश राय बच्चन का निधन 2003 में हुआ था। उनकी 'मधुशाला' और 'अग्निपथ' जैसी कृतियां आज भी लोगों की पसंद हैं।
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