लघु कथा : सुधार - हरिशंकर परसाई
Jamshed Qamar 22 Aug 2019 7:00 AM GMT
सुधार
एक जनहित की संस्था में कुछ सदस्यों ने आवाज उठाई, 'संस्था का काम असंतोषजनक चल रहा है। इसमें बहुत सुधार होना चाहिए। संस्था बरबाद हो रही है। इसे डूबने से बचाना चाहिए। इसको या तो सुधारना चाहिए या भंग कर देना चाहिए।
संस्था के अध्यक्ष ने पूछा कि किन-किन सदस्यों को असंतोष है।
दस सदस्यों ने असंतोष व्यक्त किया।
अध्यक्ष ने कहा, 'हमें सब लोगों का सहयोग चाहिए। सबको संतोष हो, इसी तरह हम काम करना चाहते हैं। आप दस सज्जन क्या सुधार चाहते हैं, कृपा कर बतलावें।'
और उन दस सदस्यों ने आपस में विचार कर जो सुधार सुझाए, वे ये थे -
'संस्था में चार सभापति, तीन उप-सभापति और तीन मंत्री और होने चाहिए...'
दस सदस्यों को संस्था के काम से बड़ा असंतोष था।
हरिशंकर परसाई
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