‘बच्चे धर्मयुद्ध लड़ रहे हैं’ लिखने वाले लेखक को मिलेगा भारत भूषण पुरस्कार
गाँव कनेक्शन 2 Aug 2017 2:36 PM GMT

लखनऊ। युवा कवि की प्रतिभा और संभावनाओं को सम्मानित करने वाला भारत भूषण पुरस्कार इस साल अच्युतानंद मिश्र को दिया जा रहा है । उनकी कविता बच्चे धर्मयुद्ध लड़ रहे हैं को इस बार इस पुरस्कार के लिए चुना गया है । यह कविता उन्होंने अमेरिकी युद्धों में मारे गए, यतीम और जिहादी बनाए गए उन असंख्य बच्चों के नाम है । इसमें उन्होंने इंसानी लड़ाई में किस तरह हाथ में खिलौना खेलने वाले बच्चों ने अपनी जान गंवाई, उसका मार्मिक चित्रण किया है।
कविता
सच के छूने से पहले
झूठ ने निगल लिया उन्हें
नन्हें हाथ
जिन्हें खिलौनों से उलझना था
खेतों में बम के टुकड़े चुन रहे हैं
वे हंसते हैं
और एक सुलगता हुआ
बम फूट जाता है
कितनी सहज है मृत्यु यहां
एक खिलौने की चाभी
टूटने से भी अधिक सहज
और जीवन, वह घूम रहा है
एक पहाड़ से रेतीले विस्तार की तरफ
धूल उड़ रही है
वे टेंट से बाहर निकलते हैं
युद्ध का अठ्ठासिवां दिन
और युद्ध की रफ्तार
इतनी धीमी इतनी सुस्त
कि एक युग बीत गया
अब थोड़े से बच्चे
बचे रह गए हैं
फिर भी युद्ध लड़ा जाएगा
यह धर्म युद्ध है
बच्चे धर्म की तरफ हैं
और वे युद्ध की तरफ
सब एक-दूसरे को मार देंगे
धर्म के खिलाफ खड़ा होगा युद्ध
और सिर्फ युद्ध जीतेगा
लेकिन तब तक
सिर्फ रात है यहां
कभी-कभी चमक उठता है आकाश
कभी-कभी रौशनी की एक फुहार
उनके बगल से गुजर जाती है
लेकिन रात और
पृथ्वी की सबसे भीषण रात
बारूद बर्फ और कीचड़ से लिथड़ी रात
और मृत्यु की असंख्य चीखों से भरी रात
पीप, खून और मांस के लोथड़ो वाली रात
अब आकार लेती है
वे दर्द और अंधकार से लौटते हैं
भूख की तरफ
भूख और सिर्फ भूख
बच्चे रोटी के टुकड़ों को नोंच रहे हैं
और वे इंसानी जिस्मों को
कटे टांगों वाली भूख
खून और पीप से लिथड़ी भूख
एक मरियल सुबह का दरवाजा खुलता है
न कोई नींद में था
न कोई जागने की कोशिश कर रहा है
टेंट के दरवाजे
युद्ध के पताकों की तरह लहराते हैं
हवा में, बच्चे दौड़ रहे हैं
खेतों की तरफ
रात की बमबारी ने
कुछ नए बीज बोए हैं
अच्युतानंद की कविताएं और आलोचनात्मक गद्य कई महत्वपूर्ण पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हो चुके हैं। 2013 में इनका कविता संग्रह आंख में तिनका प्रकाशित हुआ। इसके अलावा नक्सलबाड़ी आंदोलन नाम का आलोचनात्मक गद्य भी प्रकाशित हो चुका है।
इसी के साथ वह अफ्रीकी उपन्यासकार चिनुआ अचेबे का उपन्यास ऐरो ऑफ गॉड का हिंदी अनुवाद देवता का बाण नाम से प्रकाशित किया। इन दिनों वेउत्तर मार्क्सवाद की सैद्धांतिकी का अध्ययन और इसी सिलसिले में उत्तरमार्क्सवादी चिंतकों का विश्लेषण व मूल्यांकन कर रहे हैं। साथ ही फूको, हेबरमास, एडोर्नो, बौद्रिया और मार्क्युज़ पर विस्तृत लेख लिख रहे हैं।
इस पुरस्कार की स्थापना तार-सप्तक के महान कवि भारत भूषण अग्रवाल की याद में उनकी पत्नी बिन्दु अग्रवाल ने 1979 में की थी। इस पुरस्कार समिति के निर्णायक मंडल में अशोक वाजपेयी, अरुण कमल, उदय प्रकाश, अनामिका और पुरुषोत्तमअग्रवाल हैं, जो हर साल बारी-बारी से वर्ष की सर्वश्रेष्ठ कविता का चयन करते हैं।
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