अभिभावक के आधार कार्ड पर मिलेगा मिड-डे मील

Swati ShuklaSwati Shukla   7 March 2017 9:56 AM GMT

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अभिभावक के आधार कार्ड पर मिलेगा मिड-डे मीलआधार कार्ड न होने पर भी सरकारी स्कूलों के छात्रों को मिड-डे मील मिलेगा बशर्ते उनके अभिभावक का आधार कार्ड हो।

स्वयं प्रोजेक्ट डेस्क

लखनऊ। आधार कार्ड न होने पर भी सरकारी स्कूलों के छात्रों को मिड-डे मील मिलेगा बशर्ते उनके अभिभावक का आधार कार्ड हो, हालांकि मार्च 2018 तक हर बच्चे के पास आधार कार्ड होना अनिवार्य करने के निर्देश दिए गए हैं।

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मानव संसाधन विकास मंत्रालय द्वारा हाल में अधिसूचना जारी की थी कि सरकारी स्कूल में खाना बनाने वाले और पढ़ने वाले बच्चों के लिए मिड-डे मील के लिए आधार कार्ड होना अनिवार्य है और जिन बच्चों के पास आधार कार्ड नहीं होगा वो बच्चे मिड डे मील की सुविधाओं का लाभ भी नही उठा पाएंगे। एक जुलाई से आधार कार्ड आधारित व्यवस्था लागू होनी थी। वर्तमान में मिड-डे मील योजना के तहत 11.5 लाख स्कूलों में 12 करोड़ बच्चों को खाना खिलाया जाता है।

मानव संसाधन विकास मंत्रालय स्कूल शिक्षा और साक्षरता के मध्याह्न भोजन विभाग के अवर सचिव राजीव कुमार बताते हैं, “जुलाई से सभी स्कूलों में आधार कार्ड अनिवार्य कर दिए जाएंगे। जिन बच्चों के पास आधार कार्ड नहीं होंगे उन बच्चों के माता पिता के आधार कार्ड पर मध्याह्न भोजन मिलेगा। लेकिन मार्च के बाद हर बच्चे के लिए आधार कार्ड अनिवार्य कर दिया जाएगा। साथ ही छात्रवृत्ति किताबें और ड्रेस इन सब की हम एग्जैक्ट संख्या जानकारी मिल सकेगी।”

मार्च 2018 तक हर बच्चे के लिए आधार कार्ड अनिवार्य हो जाएगा। साक्षरता अभियान के तहत इस योजना को लागू किया गया है। उत्तर प्रदेश में 50 प्रतिशत बच्चों के आधार कार्ड बन चुके हैं, 50 प्रतिशत बच्चों के आधार कार्ड कैंप लगाकर आधार कार्ड बनवाएं जाएंगे। आधार कार्ड जोड़ने का सीधा ही मकसद है कि हमारे पास बच्चों की सही संख्या दर्ज हो सके और लाभ उठाने वाले लाभार्थी बच्चों की सही जानकारी हमें पता चल सके।
राजीव कुमार , अवर सचिव

उत्तर प्रदेश में प्राथमिक और पूर्व माध्यमिक 1.98 लाख स्कूल है, जिसमें 1.96 करोड़ बच्चे शिक्षा प्राप्त करते हैं। जिला मुख्यालय से 40 किलोमीटर दूर रुदौली गाँव के रहने वाले हरीश कुमार रावत (55 वर्ष) बताते हैं, “अभी हमारे भी आधार कार्ड बनवाने के लिए कोई नहीं आया है और गाँव में आधी से ज्यादा आबादी के आधार कार्ड नहीं बने हुए हैं। बच्चों के आधार कार्ड कैसे बनेंगे।” कुम्हारांवा के प्राथमिक विद्यालय धरावन की अध्यापिका वंदना शुक्ला बताती है, “हमारे यहां आधार कार्ड बनाने के लिए दो किलोमीटर दूर पर कैंप लगाया गया था। इसमें बच्चों को ले जाने में बहुत समस्या हो रही थी। डेढ़ सौ बच्चे हमारे प्राथमिक विद्यालय में हैं। जिनमें से सिर्फ आधे से भी कम बच्चों का आधार कार्ड बन पाया है।”

काकोरी ब्लॉक के मन भावना गांव में रमेश चतुर्वेदी 40 वर्षीय बताते हैं, तीन चार महीने में कहीं एक बार आधार कार्ड बनाने वाले आते हैं। सुबह 10 बजे से शाम 5 बजे तक बैठते हैं। जितने लोगों के आधार कार्ड बन जाते हैं बन जाते हैं बाकी लोग महीनों इंतजार कर इंतजार करते हैं। अभी तक बच्चों की तस्करी करने वाले बच्चों की पहचान छुपाए रहते थे। बच्चों के आधार कार्ड बन जाने के बाद सभी बच्चों का फिंगर प्रिंट और आंख की पुतली का फोटो जैसे नहीं बदले जाने वाले पहचान सुरक्षित रख लिए जाते हैं। किसी भी बच्चे का फिंगर प्रिंट या आंख की पुतली का फोटो मिलाते ही उसका घर-परिवार, माता-पिता की पूरी जानकारी एक क्लिक पर जांच एजेंसी के सामने होगी।

यूपी में सवा नौ करोड़ आधार कार्ड बन चुके: उत्तर प्रदेश में 70 एजेंसियों की सहायता से 2755 से अधिक पंजीकरण केंद्रों पर स्थापित 9000 मशीनों से आधार कार्ड के नामांकन कराये जा रहे हैं। पूरे राज्य में लगभग 872 स्थायी नामांकन केंद्र स्थापित किये गये। यूआईडीएआई की वेबसाइट के अनुसार, 9.17 करोड़ निवासियों के आधार कार्ड बन चुके हैं। देश में अब तक आधार कार्ड धारकों की संख्या 111 करोड़ हो गई है।

आंकड़ों के हिसाब से उत्तर प्रदेश, आंध्र प्रदेश, केरल व दिल्ली में अधिक आधार कार्ड बनवाने वाले राज्य हैं। कारवी संस्था के डिप्टी मैनेजर अवधेश कुमार बताते हैं,” वर्तमान समय मे उत्तर प्रदेश में 70 एजेंसियों की सहायता से आधार कार्ड बनाने का काम हो रहा है। अभी हम लोग सभी स्कूलों में आधार कार्ड नहीं बना पाए हैं क्योंकि लाइट बड़ी समस्या है। बैटरी बहुत ज्यादा देर तक नहीं चलती है। एक मशीन के लिए जनरेटर भी नहीं लगा सकते हैं।”

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