मिर्च खरीद का हब बना बाराबंकी

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मिर्च खरीद का हब बना बाराबंकीgaonconnection, मिर्च खरीद का हब बना बाराबंकी

विशुनपुर (बाराबंकी)। जायद की फसलों में मिर्चे की खेती किसानों को काफी फायदा पहुंचा रही है। स्थानीय मिर्चा मंडी से सैकड़ो बोरा मिर्च प्रदेश के कई सब्जी मंडियों में भेजी जा रही है। अच्छे दाम के चलते इन दिनों किसानों को अच्छा मुनाफा हो रहा है। 

बाराबंकी मुख्यालय से 20 किमी दूर विशुनपुर कस्बे में इन दिनों शाम को हजारों की संख्या में मिर्च खरीदने व बेचने वालों की भीड़ देखी जा सकती है।  यहां शाम तक मिर्चे के पहाड़ जैसे ढेर लग जाते हैं।

मिर्च खरीद के मामले में विशुनपुर की मंडी जिले में नंबर एक पर गिनी जाती है। यहां पचासो किमी दूर से किसान मिर्च बेचने आते हैं। विशुनपुर मंडी में प्रतिदिन तीन से चार ट्रक मिर्चा खरीदा जाता है फिर इस मिर्चे को वाराणसी, इलाहाबाद, गोरखपुर, कानपुर व बस्ती की सब्जी मंडियों में भेजा जाता है। 

मिर्चे की आढ़त लगाने वाले रामदुलारे बताते हैं, “इस समय किसानों से 250 रूपए पसेरी के हिसाब से मिर्च खरीदा जाता है यानि 50 रूपए प्रति किलो के दाम किसानों को मिलते हैं फिर इस मिर्चे को प्रदेश के अलग अलग मंडियों में 300 रुपए पसेरी के हिसाब से बेचा जाता है भाड़ा निकाल कर 2 रूपये प्रति किलो बच जाता है।”

मिर्च खरीदने का काम करने वाले सतीश यादव बताते हैं, “मिर्च खरीदने का काम बहुत कच्चा होता है किसी-किसी दिन जब मंडी महंगी होती है तब तो दाम अच्छे मिल जाते हैं लेकिन जब किसी दिन मंडी सस्ती होती है तो एक दिन में हजारो रुपयों का नुकसान हो जाता है।” वो आगे बताते हैं, “जब किसी दिन मिर्च दूसरे जनपद की मंडियों में नहीं बिकता है तो वह दूसरे दिन खराब हो जाता है जिससे बहुत नुकसान झेलना पड़ता है।”

कई चक्रों में किसानो को लाभ

किसान एक बार मिर्चे की रोपाई करते हैं, रोपाई के कुछ दिन के बाद उसे गुड़ाई देते हैं फिर पेड़ो में जब मिर्च आ जाता है तो तोड़ कर मंडियों में बेच देते हैं। इसके बाद एक बार फिर फसल को किसान पानी व गोड़ाई देते हैं, जिससे पेड़ में पुनः मिर्च आ जाता है उसे पुनःतोड़ कर बाजार में बेचते हैं।

रिपोर्टर - अरुण मिश्रा

 

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