मिश्रित मछलीपालन से मोटा मुनाफा

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मिश्रित मछलीपालन से मोटा मुनाफाgaoconnection

लखनऊ। अगर किसान मछली पालने के इच्छुक हैं तो ये समय उनके लिए सबसे ज्यादा ठीक रहेगा। किसान चाहें तो अपने निजी तालाब या पट्टों के तालाब में मिश्रित मछली पालन करके अच्छी आमदनी एक से दो लाख रूपये कमा सकते हैं।

लखनऊ में स्थित राष्ट्रीय मत्स्य आनुवंशिक संसाधन ब्यूरो के तकनीकी अधिकारी अखिलेश कुमार यादव बताते हैं, “मिश्रित मछली पालन आय अर्जित करने का अच्छा साधन है। भारतीय मेजर कार्प (कतला, रोहू, मृगल) और विदेशी कार्प (सिल्वर, ग्रास, कॉमन) मछलियों की प्रजाति का पालन एक साथ किया जा सकता है। अप्रैल से जून तक का समय सबसे सही है। तीन प्रजाति पालन और चार प्रजाति पालन करने हेतु इच्छुक किसान को ज्यादा लाभ हो सकता है। जून से जुलाई के बीच में मछली के अण्डे मिलने लगते हैं। इसके साथ-साथ झींगा पालन भी कर सकते हैं।”

जब अत्यधिक तेजी से बढ़ने वाली अलग-अलग खाद्य प्रकृति कई मत्स्य प्रजातियों को एक साथ एक ही तालाब में उपलब्ध भोज्य पदार्थों के समुचित उपयोग की दृष्टि से एक निश्चित अनुपात में रखकर पाला जाये मिश्रित मत्स्य पालन होता है।

मत्स्य विभाग की रिपोर्ट के अनुसार भारत का मछली उत्पादन में दूसरा स्थान है, और देश में लगभग 14.49 मिलियन लोगों को जीविका प्रदान कर रहा है। साल 2011-12 में उत्तर प्रदेश में 429.72 टन का उत्पादन हुआ है।

मिश्रित मछलीपालन के लिये तालाब की तैयारी

मुख्यत: हर तालाब फसल के बाद सूख जाता है अगर नहीं सूखा है तो आप इस समय सुखा सकते हैं। इससे हानिकारक जीव नष्ट हो जाते हैं। सुखाने पर 4-5 इंच तक की मिट्टी को निकाल दें और गहराई तक जो मिट्टी चटक गई है तो उसको भी निकाल दें। तालाब की साफ-सफाई करें, इसके साथ-साथ जुताई भी कर सकते हैं। मछली जब बड़ी होती है तो उनमें जुए जैसे रोग हो जाते हैं इसलिए तालाब में खरपतवार हटा देना चाहिए। 2-4 डी का नमकीन सोडियम लेकर तालाब में ऊपर निकले पौधों में 800 लीटर पानी में घोल बनाकर तेज धूप में छिड़काव करना चाहिए। 

जलीय उत्पादकता हेतु चूने का प्रयोग

पानी का हल्का क्षारीय होना मत्स्य पालन के लिए लाभप्रद है। पानी अम्लीय अथवा अधिक क्षारीय नहीं होना चाहिए। चूना जल की क्षारीयता बढ़ाता है अथवा जल की अम्लीयता व क्षारीयता को संतुलित करता है। इसके अतिरिक्त चूना मछलियों को विभिन्न परोपजीवियों के प्रभाव से मुक्त रखता है और तालाब का पानी उपयुक्त बनाता है। एक हेक्टेयर के तालाब में 250 किग्रा चूने का प्रयोग मत्स्य बीज संचय से एक माह पूर्व करना चाहिए।

 

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