मक्के की बुवाई का सही समय

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लखनऊ। मक्का खरीफ के मौसम की फसल है। भारत के लगभग 75 फीसदी भागों में मक्के का उत्पादन होता है। यही कारण है मक्का उत्पादन में भारत पांचवें नम्बर पर है। मक्के का प्रयोग मानव आहार में 25 प्रतिशत, कुक्कुट आहार में 49 प्रतिशत पशु आहार में 12 प्रतिशत स्टार्च में 12 प्रतिशत शराब में 1 प्रतिशत और बीज में 1 प्रतिशत के रूप में किया जाता है। 

कानपुर देहात के मैथा ब्लॉक से पूरब दिशा में तीन किमी दूर बलुवापुर गाँव है, नहर के किनारे बसे इस गाँव में धान के साथ-साथ मक्का की खेती भी काफी मात्रा में की जाती है। वहां के किसान महेश चन्द्र राठौर (40 वर्ष) बताते हैं, “हमने पांच बीघा मक्का की बुवाई कर दी है, तीन बीघा हाइब्रिड बोई है जबकि 2 बीघा देशी बोई है। देशी बीज 100 रुपए में पांच किलो जबकि हाइब्रिड बीज 1500 में 5 किलो मिलता है। देशी मक्का में लागत कम लगानी पड़ती है और हाईब्रिड में एक बीघा में पूरे तीन हजार की लागत लग जाती है, जबकि पैदावार दोनों में बराबर होती है।”

बलुवापुर गाँव के ही रवीन्द्र शुक्ला (40 वर्ष) बताते हैं, “मक्का की खेती का प्रचलन तो बहुत पुराना है,“ हमारे घरों में मक्के की रोटी और मठ्ठा खाकर ही घरों से काम के लिए निकलते थे पर अब तो मक्के की रोटी खाने को बहुत कम ही मिलती हैं क्योंकि पैदावार के लालच में हाईब्रिड बीज बोते हैं जिसका खाने में कोई स्वाद नहीं होता है।”

मक्का की बुवाई का समय

देर से पकने वाली मक्का की बुवाई मध्य मई से मध्य जून तक पूरी कर लेनी चाहिए, बुवाई के 15 दिन बाद खेत की पहली निराई होना बहुत जरूरी है। शीघ्र पकने वाली मक्का की बुवाई जून के अंत तक पूरी कर ली जाए तथा बरसात के समय वाली 10 जुलाई तक पूरी कर ली जाए। 

बीजशोधन

जैविक ढंग से बीजशोधन के लिए देशी गाय के गोमूत्र में बीज शोधित कर लें।

बीज की मात्रा

देशी छोटे दाने वाली प्रजाति के लिए 16-18 किलोग्राम, संकर के लिए 20-22 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर और संकुल प्रजातियों के लिए 18-20 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर बुवाई करते हैं।

बुवाई की विधि

मक्का की बुवाई के समय हल के पीछे कूंड़ों में 3.5 सेंटीमीटर की गहराई कर लें। लाइन से लाइन की दूरी अगेती किस्मो में 45 सेंटीमीटर, मध्य और देर से पकने वाली प्रजातियों में 60 सेंटीमीटर होनी चाहिए। अगेती किस्मो में पौधे से पौधे की दूरी 20 सेंटीमीटर और देर से पकने वाली प्रजातियों में 25 सेंटीमीटर होनी चाहिए।

निराई-गुड़ाई

मक्का की खेती में निराई-गुड़ाई का विशेष महत्व है। निराई गुड़ाई के द्वारा खरपतवार नियंत्रण के साथ है अॉक्सीजन का संचार होता है, जिससे वह दूर तक फैल कर भोज्य पदार्थों को एकत्र कर पौधों को देती है। पहली निराई जमाव के 15 दिन बाद कर देना चाहिए साथ ही दूसरी निराई 35-40 दिन बाद करनी चाहिए।

रिपोर्टर - नीतू सिंह

 

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