मन की बात : मोदी के मन में किसान, खेती और कानपुर की नूरजहाँ

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मन की बात : मोदी के मन में किसान, खेती और कानपुर की नूरजहाँगाँव कनेक्शन, मन की बात

लखनऊ। इस बार प्रधानमंत्री ने मन की बात में उत्तर प्रदेश के कई लोगों के बारे में बात की साथ ही किसानों के मुद्दे भी उनकी बात का अहम हिस्सा रहे।

प्रधानमंत्री ने कानपुर की नूरजहाँ का जिक्र करते हुए कहा, “कानपुर की नूरजहाँ एक ऐसा काम कर रही हैं, जो शायद किसी ने सोचा भी नहीं होगा। नूरजहाँ सौर ऊर्जा के माध्यम से गरीबों तक रोशनी पहुचाने का काम कर रही हैं।”

अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए प्रधानमंत्री ने कहा, ”नूरजहाँ ने महिलाओं के लिए एक समिति बनायीं है, साथ ही सौर ऊर्जा से चलने वाली लालटेन का प्लांट लगाया है। जहाँ वो 100 रुपए महीने पर किराये पर लालटेन देती हैं। लोग शाम को लालटेन ले जाते हैं और सुबह चार्जिंग के लिए दे जाते हैं। जलवायु परिवर्तन के लिए विश्व के बड़े बड़े लोग लोग क्या-क्या करते होंगे लेकिन एक नूरजहाँ शायद हर किसी को प्रेरणा दें, ऐसा काम कर रहीं हैं।

प्रधानमंत्री ने केले की खेती करने वाले किसानों का भी जिक्र करते हुए कहा, “मुझे एक बार केले की खेती करने वाले किसान भाइयों से बातचीत करने करने का मौका मिला और उन्होंने मुझे एक बड़ा अच्छा अनुभव बताया। पहले जब वो केले की खेती करते थे तो खेतों में बचें केले के तने (ठूठ) को साफ़ करने के लिए उनकों प्रति हेक्टेयर उनकों पांच से पंद्रह हज़ार रूपये खर्च करना पड़ता था

उन्होंने आगे कहा, कुछ किसानों ने उन तनो के छोटे-छोटे टुकड़े कर के उसे ज़मीन में ही दबा दिया इन केले के तने में इतना पानी होता है कि जहाँ इनको दबा दिया जाता है, वहां अगर कोई पेड़, पौधा या कोई फ़सल है तो लगभग तीन महीनों तक बाहर के पानी की ज़रूरत ही नहीं पड़ती। छोटा सा प्रयोग भी कितना बड़ा फ़ायदा कर सकता है ये हमारे किसान भाईयों ने खुद किया और ये किसी वैज्ञानिक से कम नहीं हैं।

प्रधानमंत्री ने आशा कार्यर्त्रियों की तारीफ़ करते कहा, “हमारे पूरे देश में आशा कार्यर्त्रिया काम कर रही हैं, लेकिन कभी भी उनके बारे में न मैंने चर्चा की है न आपने ही ज्यादा सुना होगा, लेकिन बिलगेट्स फाउंडेशन के बिल गेट्स और मिलिंडा गेट्स आशा कार्यकत्रियों के साथ लम्बे समय से काम कर रहे हैं, वो जब भी आते हैं आशा कार्यर्त्रियों की तारीफ़ करते हैं आशा कार्यर्त्रियों का क्या समर्पण है कितनी मेहनत करती हैं।

उन्होंने ने आगे कहा, उड़ीसा सरकार ने स्वतंत्रता दिवस एक आशा कार्यकर्त्री को सम्मानित किया। उड़ीसा के बालासोर ज़िले के छोटे से गाँव तेंदागाँव की रहने वाली जमुना मणि सिंह ने अपने गाँव को पूरी तरह से मलेरिया मुक्त किया। घर-घर जाकर उन्होंने लोगों को मलेरिया के प्रति जागरूक किया व प्राथमिक उपचारों के बारे में बताती थी।

पंजाब के एक किसान का ज़िक्र करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा, मुझे पंजाब के जालंधर के लखवीर सिंह का फ़ोन मिला। लखवीर सिंह ने बताया, हम यहाँ पर जैविक खेती करते हैं और काफ़ी लोगों को खेती करने में मदद भी करते हैं। कुछ लोग खेतों में शेष बचे पुआल व गेहूँ में आग लगा देते है, उन लोगों को कैसे समझाया जाए कि धरती के उपरी परत के जो सूक्ष्म जीवाणु हैं, नष्ट हो जाते हैं? और जो ये प्रदूषण हो रहा है दिल्ली में, हरियाणा में, पंजाब में इससे कैसे राहत मिले?

लखविंदर सिंह जी मुझे बहुत खुशी हुई आपका सन्देश सुन कर। एक तो ख़ुशी इस बात का हुई कि आप जैविक खेती करने वाले किसान हैं। और स्वयं जैविक खेती करते हैं ये इतना ही नहीं आप किसानों की समस्या को भली भाँति समझते हैं। और आपकी चिंता सही है लेकिन ये सिर्फ़ पंजाब, हरियाणा में ही होता है ऐसा नहीं है। बल्कि पूरे देश में यह परम्परा है ये हम लोगों की आदत है और परंपरागत रूप से हम इसी प्रकार से अपने फसल के अवशेषों को जलाने के रास्ते पर चले आ रहे हैं।

एक तो पहले हमें नुकसान का अंदाज़ नहीं था। दूसरा, उपाय क्या होते हैं उसका भी प्रशिक्षण नहीं हुआ। और उसके कारण ये चलता ही गया, बढ़ता ही गया और आज जो जलवायु परिवर्तन का संकट है, उसमें वो जुड़ता गया। उपाय यह है कि हमें हमारे किसान भाइयो-बहनों को प्रशिक्षित करना पड़ेगा उनको यह समझाना पड़ेगा कि फसल के अवशेष जलाना  खेत व पर्यावरण दोनों के लिए खतरा है। फसल के अवशेष भी बहुत कीमती होते हैं। वो अपने आप में एक जैविक खाद होता है। हम उसको बर्बाद करते हैं। इतना ही नहीं है अगर उसको छोटे-छोटे टुकड़े कर दिये जाएँ तो वो पशुओं के लिए तो ड्राई फ्रूट बन जाता है।

 

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