मंदिरों में चढ़ाए गए फूलों से बनाई जा रही है अगरबत्ती

Arvind ShukklaArvind Shukkla   20 Oct 2015 5:30 AM GMT

  • Whatsapp
  • Telegram
  • Linkedin
  • koo
  • Whatsapp
  • Telegram
  • Linkedin
  • koo
  • Whatsapp
  • Telegram
  • Linkedin
  • koo
मंदिरों में चढ़ाए गए फूलों से बनाई जा रही है अगरबत्ती

लखनऊ। मंदिरों में देवी-देवताओं पर चढ़ाए जाने वाले फूलों का क्या होता है, आपने कभी सोचा है। अक्सर ये फूल किसी नदी या तालाब में फेंक दिए जाते हैं लेकिन अब इन फूलों का भी सदुपयोग शुरू हो गया है।

लखनऊ से 20 किलोमीटर दूर बक्शी का तालाब के चंद्रिका देवी मंदिर में प्रसाद में चढ़ाए जाने वाले फूलों से धूप और अगरबत्ती बनाई जा रही है। इस नए प्रयोग से ना सिर्फ ईश्वर पर चढ़ाए जाने के बाद भी फूलों की खुशबू बरकरार रहती है बल्कि महिलाओं को घर बैठे रोजगार भी मिल रहा है ।

चंद्रिका देवी मेला समिति के ऑडिटर एस. के. चौहान बताते हैं कि "मंदिर में रोजाना सैकड़ों लोग मंदिर आते हैं जबकि नवरात्र में ये संख्या लाखों में पहुंच जाती है। मंदिर में चढ़ाए गए कुंतलों फूल एक समस्या बन गए थे। जिसके बाद सीमैप के सहयोग से इनकी रिसाइक्लिंग शुरू की गई । सूखे फूलों से बनी ये धूप और अगरबत्ती दोबारा से मंदिर परिसर में बनी दुकानों पर बिकने के लिए चली जाती है।"

अगरबत्ती के काम में लगी इनमें से अधिकांश महिलाओं की मंदिर परिसर में ही पूजा-सामग्री की दुकान भी है ऐसे में अगरबत्ती-धूप बनाने से इन्हें कमाई का एक जरिया भी मिल गया है। हालांकि मंदिर के आसपास के कई गॉंवों में भी महिलाएं घरों में ये काम काफी अरसे से करती आ रही हैं। देवरीकला की रहने वाली माधुरी अवस्थी(50 वर्ष) आंगनबाड़ी कार्यकर्ता है लेकिन आमदनी बढ़ाने के लिए वो सीमैप से कच्चा माल लाकर घर में धूप और अगरबत्ती बनाती हैं।

चंद्रिका देवी मंदिर की तरह लखनऊ के आसपास के सैकड़ों मंदिरों में ऐसे ही रोजाना फूलों का ढेर लगता है। केन्द्रीय औषधीय और सगंध पौधा संस्थान यानी सीमैप के मुख्य वैज्ञानिक एके सिंह सिंह बताते हैं "मंदिरों के अलावा मैरिज हाल और गेस्ट हाउसों से भी रोजाना सैकड़ों कुंतल फूल निकलता है। जिन्हें रिसाइकिल कर प्रदूषण की बड़ी समस्या से निपटा जा सकता है।"

जानकार मानते हैं तीर्थ स्थलों पर गंदगी और गंगा जैसी नदियों में प्रदूषण की एक वजह फूल और पूजा सामग्री है। ऐसे में चंद्रिका देवी मंदिर की तरह अगर सभी मंदिरों में फूलों की रिसाईक्लिंग शुरू हो जाए तो ना सिर्फ ईश्वर पर चढ़ाए गए इन फूलों की खुशबू बरकरार रहेगी बल्कि हजारों लोगों को रोजगार का जरिया भी मिल जाएगा।

 

Next Story

More Stories


© 2019 All rights reserved.