मोदी के खिलाफ नारेबाजी करने वाले छात्र को गेस्ट हाउस से निकाला

Arvind ShukklaArvind Shukkla   23 Jan 2016 5:30 AM GMT

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मोदी के खिलाफ नारेबाजी करने वाले छात्र को गेस्ट हाउस से निकालागाँव कनेक्शन

लखनऊ। बाबा भीमराव अंबेडकर केंद्रीय विश्वविद्यालय में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ नारेबाजी करने वाले छात्र रामकरन को विश्वविद्यालय प्रशासन ने गेस्ट हाउस से निकाल दिया। हैदराबाद के बाद इस वाक्ये के बाद दलित छात्रों में गुस्सा है।

गाँव कनेक्शन से बात करते हुए रामकरन निर्मल ने बताया, “मैं दो दिन के लिए विश्वविद्यालय के गेस्ट हाउस में 200 रुपये देकर गेस्ट कमरा बुक कराया था। लेकिन दीक्षांत समारोह में अपने मन की बात करने के आरोप में मुझे देर रात जबरन निकाल दिया गया।”

रामकरन आगे बताते हैं, “मैंने वही किया जो मेरे मन में था। मैं किसी पार्टी या प्रधानमंत्री के खिलाफ नहीं, मैने विचारधारा के खिलाफ आवाज़ उठाई थी। प्रधानमंत्री पूरे देश के अभिभावक हैं, फिर उनके सामने बात करने में कानून कैसे टूट गया। क्या हम अपने प्रधानमंत्री के सामने बात तक नहीं कर सकते।”

शुक्रवार को विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह में हैदराबाद विश्वविद्यालय के छात्र रोहित बेमुला की आत्महत्या के खिलाफ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सामने नारेबाजी और मोदी ‘गो-बैक’ के नारे लगाए थे।

रामकरन निर्मल एलएलएम का छात्र है और विधि सेवा में जाने के लिए तैयारी कर रहा है। शनिवार को लखनऊ में रिहाई लोकमंच ने दलितों की आवाज़ उठाने के लिए रामकरन का सम्मान किया। श्रावस्ती निवासी रामकरन ने बताया, “वो एक छात्र है, किसी संगठन और पार्टी से जुड़ने का कोई इरादा नहीं है। लेकिन जिस तरह से देश के शिक्षण संस्थाऩों का भगवाकरण हो रहा है वो छात्र और समाज दोनों के हित में नहीं है।”

हैदराबाद की घटना को लेकर दूसरे दलित छात्रों में भी नाराजगी है। अंबेडकर छात्रावास में रहने वाले एक शोधार्थी छात्र ने अपना नाम न छापने की शर्त पर बताया, “दिक्कत है हर जगह है, हमारी प्रतिभा और पढ़ाई पर जाति भारी पड़ जाती है। अगर सरेआम कहा जाएगा ये तो वही है (दलित या जाति सूचक शब्द) तो हमारा मनोबल टूट जाता है।”

रामकरन कहते हैं, अगर सरकार ने समय रहते कार्रवाई की होती तो शायद रोहित को जान नहीं देनी पड़ती। उस वाक्ये के बाद भी आम जनता की सरकार बताने वाले प्रधानमंत्री ने कोई कार्रवाई नहीं की। हम चाहते हैं प्रधानमंत्री इस बारे में कठोर कार्रवाई कर दलित छात्रों के कमजोर होते भरोसे को वापस लाएं।”

 

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